उत्तर प्रदेश में PDA की लड़ाई अब नए राजनैतिक मोड़ पर आ गई है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस नारे की योगी आदित्यनाथ ने नई परिभाषा गढ़ दी है. उन्होंने कहा कि यह समाजवादी पार्टी का ‘प्रोडक्शन हाउस ऑफ दंगाई एंड अपराधी’ है. अखिलेश यादव बार-बार पीडीए (PDA) की राजनीति करने का दावा करते हैं. इसमें ‘P’ का मतलब पिछड़ा , ‘D’ का मतलब दलित और ‘A’ का मतलब अल्पसंख्यक है. वे ‘A’ के लिए कभी-कभी आधी आबादी और अगड़ी जाति का भी जिक्र करते रहे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीडीए की नई परिभाषा देते हुए इसे ‘प्रोडक्शन हाउस ऑफ दंगाई’ कहा है. उन्होंने इसमें ‘P’ के लिए प्रोडक्शन हाउस, ‘D’ के लिए दंगाई और ‘A’के लिए अपराधी शब्द का इस्तेमाल किया है.
उत्तर प्रदेश में PDA की लड़ाई अब नए राजनैतिक मोड़ पर आ गई है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस नारे की योगी आदित्यनाथ ने नई परिभाषा गढ़ दी है. उन्होंने कहा कि यह समाजवादी पार्टी का ‘प्रोडक्शन हाउस ऑफ दंगाई एंड अपराधी’ है. अखिलेश यादव बार-बार पीडीए (PDA) की राजनीति करने का दावा करते हैं. इसमें ‘P’ का मतलब पिछड़ा , ‘D’ का मतलब दलित और ‘A’ का मतलब अल्पसंख्यक है. वे ‘A’ के लिए कभी-कभी आधी आबादी और अगड़ी जाति का भी जिक्र करते रहे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीडीए की नई परिभाषा देते हुए इसे ‘प्रोडक्शन हाउस ऑफ दंगाई’ कहा है. उन्होंने इसमें ‘P’ के लिए प्रोडक्शन हाउस, ‘D’ के लिए दंगाई और ‘A’के लिए अपराधी शब्द का इस्तेमाल किया है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सपा के ‘पीडीए’ के नारे की नई परिभाषा देते हुए इसे दंगाइयों और अपराधियों का ‘प्रोडक्शन हाउस’ कहा. उन्होंने कहा कि दुर्दांत अपराधी, माफिया और दुष्कर्मी पैदा करने वाले इस ‘प्रोडक्शन हाउस’ के ‘सीईओ’ अखिलेश यादव और ‘ट्रेनर’ शिवपाल यादव हैं.
अखिलेश यादव ने सन 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान पीडीए का नारा दिया था. पार्टी ने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समूह के लिए इस नारे का इस्तेमाल इस साल लोकसभा चुनाव में भी किया था. लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए यह फार्मूला हिट रहा. सपा ने इस चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 37 सीटें जीती थीं. कटेंगे तो बंटेंगे के बाद इस नारे से बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में जुटी है. पार्टी का फोकस मुसलमानों के खिलाफ ओबीसी (OBC) और दलितों को एकजुट कर अपनी चुनावी नैया पार लगाने की है
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योगी आदित्यनाथ ने अम्बेडकर नगर जिले की कटेहरी विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के सिलसिले में आयोजित एक रैली में कहा, ”सपा पीडीए की बात करती है… लेकिन आपको बता दें कि उनका पीडीए क्या है. यह दंगाइयों और अपराधियों का ‘प्रोडक्शन हाउस’ है. मैं आपको यह नई परिभाषा दे रहा हूं.”
सीईओ अखिलेश यादव और ट्रेनर शिवपाल यादव
योगी ने कहा कि, “यहां (प्रोडक्शन हाउस) हर दुर्दांत अपराधी, हर दुर्दांत माफिया, हर दुर्दांत दुष्कर्मी पैदा होता है. इसके सीईओ (मुख्य अधिशासी) अखिलेश यादव हैं. इनके ‘ट्रेनर’ (प्रशिक्षक) शिवपाल यादव हैं.” उन्होंने कहा, ”किसी भी बड़े अपराधी, माफिया या दंगाई को याद करें… वे सपा के प्रोडक्शन हाउस से निकले हैं.”
मुख्यमंत्री के इस बयान के कुछ घंटों बाद ही अखिलेश यादव ने योगी पर निशाना साधते हुए तंज किया कि किसान कह रहा है कि लगे हाथ डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट खाद) का भी फुल फॉर्म बता दीजिए जिससे शायद यह याद आ जाए कि खाद के लिए प्रदेश में किसानों की कतारें लगी हैं.
अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा,” पीडीए कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा.” सपा प्रमुख ने इस पोस्ट में साधन सहकारी समिति पर कतार में लगे किसानों की तस्वीर भी साझा की.
सभी माफिया समाजवादी पार्टी के ‘प्रोडक्शन हाउस’ की उपज
प्रयागराज के फूलपुर विधानसभा क्षेत्र के कोटवा में एक चुनावी रैली में योगी आदित्यनाथ ने कहा, “उत्तर प्रदेश का कोई ऐसा अपराधी नहीं, कोई ऐसा माफिया नहीं जो समाजवादी पार्टी का शागिर्द (शिष्य) ना रहा हो.” उन्होंने आरोप लगाया, “चाहे प्रयागराज का अतीक अहमद रहा हो, गाजीपुर का मुख्तार अंसारी रहा हो, आम्बेडकर नगर का खान मुबारक रहा हो.. ये सभी के सभी समाजवादी पार्टी के ‘प्रोडक्शन हाउस’ की उपज थे. ये सभी अपराध के लिए समाजवादी पार्टी के ‘बिजनेस पार्टनर’ (कारोबारी साझेदार) थे.”
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मुख्यमंत्री ने सपा के समाजवाद पर प्रहार करते हुए कहा, “आजादी के बाद समाजवादी आंदोलन, मूल्यों और आदर्शों के लिए प्रारंभ हुआ था. जय प्रकाश नारायण, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव, चंद्रशेखर जी, जनेश्वर मिश्र जी, मोहन सिंह जी जैसे स्वनाम धन्य लोग इस आंदोलन से जुड़े थे.” उन्होंने कहा, “ये आज की समाजवादी पार्टी माफिया और अपराधियों का जमावड़ा भर रह गई है. इसीलिए प्रदेश में एक नारा निकल पड़ा है, देख ‘सपाई, बिटिया घबराई.’ यही अयोध्या में हुआ, यही कन्नौज में हुआ. यही लखनऊ में हुआ और यही हरदोई में इन लोगों (सपा) ने किया.”
उन्होंने कहा, “इसी तरह, राजू पाल की हत्या करने वाला व्यक्ति इसी समाजवादी पार्टी का ‘शागिर्द’ (शिष्य) बनकर प्रयागराज को बदनाम करता था. इसलिए मैं इस पार्टी को ‘प्रोडक्शन हाउस’ कहता हूं जहां दुर्दांत माफिया पैदा होते हैं, यहां से आगे बढ़ते हैं.. पनपते हैं. इन लोगों ने अच्छे-अच्छे ‘ट्रेनर’ वहां रखे हैं.”
वहीं अम्बेडकर नगर में मुख्यमंत्री ने कहा, ”जब ‘डबल इंजन’ की सरकार बनी और उन्होंने उसे अपना असली चेहरा दिखाया, तो उनके राम नाम सत्य में देर नहीं हुई.”
उत्तर प्रदेश की राजनीति में नारों की जंग जारी
यूपी की राजनीति में नारों की जंग जारी है. हर राउंड में योगी आदित्यनाथ कुछ नया लेकर आ जाते हैं. बस अब उनका लक्ष्य अर्जुन की तरह उपचुनाव जीत लेने का है. जो जीता वही सिकंदर. लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव सिकंदर बने थे. उनका पीडीए वाला दांव सुपर हिट रहा था. समाजवादी पार्टी देश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
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पीडीए के पीछे की राजनीति और उसका गणित क्या है? राजनीति का एक नियम है कि विरोधी के सबसे मजबूत पक्ष को तोड़ा जाए. यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के ‘पीडीए’ पर हमला बोला है. इसी पीडीए के दांव से समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. उसके 37 सांसद चुने गए और बीजेपी को यूपी में 29 सीटों का नुकसान हुआ. सीएम योगी ने पीडीए को मुस्लिम परस्त और पिछड़ा, दलित विरोधी बताया है. उन्होंने जानबूझकर बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या का जिक्र किया.
चुनावी माहौल में एजेंडा योगी आदित्यनाथ सेट कर रहे
राजू पाल की हत्या का आरोप अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर लगा था. इसका मतलब मुसलमान बनाम पिछड़ा… योगी आदित्यनाथ इसी लड़ाई से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को कमजोर करना चाहते हैं. इसी कारण उन्होंने शनिवार को अलीगढ़ में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU) का मुद्दा उठाया था. बीजेपी की कोशिश अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बहाने मुसलमानों के खिलाफ दलितों और पिछड़ों को गोलंबद करने की है.
इस बार के चुनावी माहौल में एजेंडा योगी आदित्यनाथ सेट कर रहे हैं. चाहे मामला महाराष्ट्र का हो या फिर झारखंड का. उन्होंने शुरुआत ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ से की थी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव तक सभी विपक्षी नेता अब उसका जवाब ढूंढ रहे हैं. कुल मिलाकर सीएम योगी की कोशिश किसी न किसी बहाने विपक्ष के जाति वाले चक्रव्यूह को हिंदुत्व से तोड़ने की है.
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