मेरे लिए मुंद्रा में युवा लड़कियों से मिलना प्रेरणादायक है, जो हमारी शिक्षा पहल से अब इंजीनियर बनने का सपना देखती हैं. दैनिक मजदूरों से सफल व्यवसायी बनी झारखंड के गोड्डा की महिलाओं की दृढ़ता को देखना प्रेरणादायक है. पहले की जेनरेशन द्वारा किये गए संघर्षों से अनजान मेरी पोतियां अपार संभावनाओं की प्रतीक हैं, हम उन्हें बेहतर पोषण देने का प्रयास करते हैं.
आज से करीब एक दशक पहले जब मैंने अपनी पहली पोती की नाजुक उंगलियों को अपने हाथों में लिया, तब मैंने एक मौन संकल्प लिया था. एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद करने का, जहां उसकी आकांक्षाएं सभी सीमाओं से परे हों, जहां उसकी आवाज किसी भी पुरुष की आवाज के समान, सम्मान के साथ गूंजे और जहां उसकी अहमियत केवल उसके चरित्र और योगदान से मापी जाए.
आज तीन सुंदर पोतियों के साथ मेरा यह वादा पहले से कहीं अधिक प्रखर और जरूरी हो गया है. ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ कैलेंडर की केवल एक तारीख नहीं है, यह हमारे द्वारा बनाई गई प्रगति और आगे की यात्रा की एक सुंदर याद दिलाता है.
मेरे लिए यह मिशन कई मायनों में बेहद पसर्नल है. एक युवा लड़के के रूप में, जो अपनी मां से प्रेरित है. एक ऐसे बिजनेस लीडर के रूप में, जो लीडरशिप की भूमिका में महिलाओं की चुनौतियों का गवाह रहा हो. एक पति के रूप में मैं अपनी पत्नी प्रीति के अदाणी फाउंडेशन के प्रति अटूट समर्पण से प्रेरित हूं. एक दादा के रूप में मैं उन लड़कियों के लिए असीम दुनिया का सपना देखता हूं, जो मुझे प्यार से ‘दादू’ कहती हैं.
वो महिलाएं जिन्होंने मेरी दुनिया को आकार दिया
लैंगिक समानता के बारे में मेरी समझ बोर्डरूम या नीतिगत बहसों में नहीं बनी. यह घर पर ही विकसित हुई, जहां मैं कई महिलाओं से घिरा हुआ था. उनकी ताकत और ज्ञान ने मेरे नजरिए को गहराई से प्रभावित किया. बनासकांठा के रेगिस्तानी इलाकों में बढ़ते हुए मैंने अपनी मां को देखा कि कैसे उन्होंने अभाव को जीविका में और कठिनाई को सामंजस्य में बदला. वह हमारे बड़े संयुक्त परिवार को एक साथ रखने वाली शांत शक्ति थीं, जो निरंतर प्रयास, प्यार और साहस की प्रतीक थीं.
इसके बाद के जीवन में मेरी पत्नी प्रीति हमारे फाउंडेशन की पहलों के पीछे की प्रेरक शक्ति बन गईं. उन्होंने पूरे भारत में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया. उन्हें देश के दूरदराज के गांवों में ग्रामीण महिलाओं के साथ जुड़ते हुए देखना, उनके परिवारों के भविष्य के लिए मुद्दों पर चर्चा करना, अदाणी फाउंडेशन, जो गर्भवती महिलाओं को सिखाती है कि वे अपना और अपने होने वाले बच्चे का कैसे ख्याल रखें. इन सभी ने मुझे सशक्तीकरण के वास्तविक सार को समझने में मदद की है.
मेरे लिए मुंद्रा में युवा लड़कियों से मिलना प्रेरणादायक है, जो हमारी शिक्षा पहल से अब इंजीनियर बनने का सपना देखती हैं. दैनिक मजदूरों से सफल व्यवसायी बनी झारखंड के गोड्डा की महिलाओं की दृढ़ता को देखना प्रेरणादायक है. पहले की जेनरेशन द्वारा किये गए संघर्षों से अनजान मेरी पोतियां अपार संभावनाओं की प्रतीक हैं, हम उन्हें बेहतर पोषण देने का प्रयास करते हैं.
पसर्नल कमिटमेंट से बाधाओं को तोड़ना
कई साल पहले पोर्ट प्रोजेक्ट की यात्रा के दौरान मैंने लीडरशिप की भूमिका में महिलाओं की गैरहाजिरी देखी. यह क्षमता की कमी के कारण नहीं था, बल्कि पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में उनके लिए रास्ते की कमी के कारण था. इस अहसास ने बदलाव के लिए एक पर्सनल कमिटमेंट को जन्म दिया. फिर मैंने मीटिंग में अलग-अलग सवाल पूछना शुरू किया- “क्या हमारी नीतियां वास्तव में परिवार के अनुकूल हैं?” “हम भविष्य के नेतृत्व के लिए किसे सलाह दे रहे हैं?” ये केवल मेट्रिक्स नहीं थे; प्रत्येक संख्या एक जीवन, एक सपना, एक भविष्य के नेता का प्रतिनिधित्व करती थी, जिसका दृष्टिकोण हमारे प्रयासों को समृद्ध करेगा.
यात्रा जारी है
आज जब मैं अपने ऑफिसों में महिलाओं को हमारी टीमों का नेतृत्व करते हुए देखता हूं, जब मैं अपनी अक्षय ऊर्जा साइटों पर महिला इंजीनियरों को कठिन चुनौतियों का समाधान करते हुए देखता हूं, जब मैं फाउंडेशन के कार्यक्रमों में ग्रामीण महिलाओं को व्यवसाय के जरिए फलते-फूलते देखता हूं, तो मैं बहुत गर्व से भर जाता हूं.
फिर भी उस गर्व के नीचे एक शांत अधीरता छिपी हुई है. क्योंकि हम चाहे कितनी भी दूर क्यों न आ गए हों, मेरी पोतियां जब बोर्डरूम में प्रवेश करेंगी तो शायद उस रूम में टेबल पर बैठी अकेली महिला होंगी. उन्हें अभी भी कठिन संघर्ष करना पड़ सकता है, जोर से बोलना पड़ सकता है और अपनी पहचान पाने के लिए खुद को दो बार साबित करना पड़ सकता है. उन्हें अभी भी ऐसे दरवाजों का सामना करना पड़ सकता है जो बहुत धीरे-धीरे खुलते हैं, या बिल्कुल भी नहीं खुलते.
यही कारण है कि आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मेरा कमिटमेंट और भी मजबूत हो गया है. न केवल एक कारोबारी के रूप में, बल्कि एक दादा के रूप में भी. वह दादा जो एक ऐसी दुनिया का सपना देखता है जहां मेरी पोतियों को कभी भी अपनी जगह के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि वह पहले से ही उनकी होगी.
महिला सशक्तीकरण के लिए अदाणी फाउंडेशन की प्रतिबद्धता
हमारे इसी नजरिए के अनुरूप अदाणी फाउंडेशन महिला सशक्तीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है. हाल ही में, हमने ‘बटरफ्लाई इफेक्ट’ फ्रेमवर्क का अनावरण किया, जो महिलाओं की जीवन भर की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन की गई एक परिवर्तनकारी पहल है.
यह पहल शैशवावस्था से लेकर बुढ़ापे तक निरंतर सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है. यह सुनिश्चित करते हुए कि महिलाओं को उनके सामाजिक-आर्थिक कल्याण को बढ़ाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और अवसर मिले. शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थायी आजीविका और बुनियादी ढांचे पर जोर देकर हमारा लक्ष्य महिलाओं को अपने और अपने परिवार के लिए सार्थक विकल्प बनाने के लिए सशक्त बनाना है. आज तक अदाणी फाउंडेशन ने कई मिलियन लड़कियों और महिलाओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, जो स्थायी सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए हमारे समर्पण की पुष्टि करता है.
इसके अलावा, हमारी ‘लखपति दीदी’ पहल 1,000 से अधिक महिलाओं का जश्न मनाती है, जिन्होंने उन्नत उद्यमशीलता कौशल के माध्यम से वित्तीय स्वतंत्रता हासिल की है. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करके हम एक लिंग-समावेशी समाज बनाने में योगदान देते हैं, जहां महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाता है और मान्यता दी जाती है.
ये पहल कार्यक्रम से कहीं अधिक हैं. यह एक ऐसी दुनिया बनाने की हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जहां हर महिला अपनी पूरी क्षमता का अहसास कर सके.
कल के लिए मेरा वादा
इसे पढ़ने वाली हर महिला जो खुद को अनदेखा, कमतर आंकी गई या चुप रहने का अनुभव करती है, जानती है कि आपकी यात्रा मायने रखती है. आपका नेतृत्व सिर्फ़ स्वागत योग्य नहीं है; यह ज़रूरी भी है. प्रभावशाली पद पर बैठे हर पुरुष से, चाहे वह घर, टीम या संगठन का नेतृत्व कर रहा हो, मैं आग्रह करता हूं कि लैंगिक समानता को महिलाओं के मुद्दे के रूप में न देखें, बल्कि एक मानवीय अनिवार्यता के रूप में देखें. महिलाओं की प्रतिभा, अंतर्दृष्टि और नेतृत्व अमूल्य संसाधन हैं, जिन्हें हम बर्बाद नहीं कर सकते.
और मेरी पोतियों के लिए, जो एक दिन यह पढ़ सकती हैं.
“मेरी प्यारी लड़कियों,
आपको जो दुनिया विरासत में मिलेगी, वह ऐसी होनी चाहिए जहां आपकी प्रतिभा का स्वागत खुले दरवाज़ों से हो, न कि कांच की छतों से. जहां आपकी महत्वाकांक्षाओं पर कभी सवाल न उठाया जाए, केवल प्रोत्साहित किया जाए. जहां आपकी आवाज़ न केवल सुनी जाए, बल्कि उसे खोजा जाए. मैं आगे बढ़ते रहने, बाधाओं को तोड़ते रहने की कसम खाता हूं, जब तक कि वह दुनिया सिर्फ़ एक कल्पना नहीं, बल्कि वास्तविकता बन जाए. क्योंकि तुम और तुम्हारी जैसी हर लड़की हर कमरे में यह जानते हुए चलने की हकदार है कि तुम वहां की हो.”
तुम्हारा दादू
आइये हम सब मिलकर #AccelerateAction का समर्थन करें, जिसे 2025 के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए सही थीम के रूप में चुना गया है, इसलिए नहीं कि यह सही कॉर्पोरेट रणनीति है या कोई लोकप्रिय सामाजिक कारण है, बल्कि इसलिए कि पत्नियां, बेटियां और पोतियां अपने सपनों के दायरे तक भविष्य की हकदार हैं. जो भारत वास्तव में अपनी सभी बेटियों को गले लगाता है, वह भारत विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार है.
(गौतम अदाणी, चेयरमैन, अदाणी ग्रुप)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
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