November 24, 2024
बिहार में भूमि सर्वे से लोग परेशान... चुनावी साल में नफा या इससे नुकसान, क्या टल जाएगा सर्वेक्षण?

बिहार में भूमि सर्वे से लोग परेशान… चुनावी साल में नफा या इससे नुकसान, क्या टल जाएगा सर्वेक्षण?​

सरकार में शामिल प्रमुख घटक जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के अधिकांश नेताओं का मानना हैं कि चुनावी वर्ष में इसका राजनीतिक लाभ से अधिक नुक़सान हो सकता है.

सरकार में शामिल प्रमुख घटक जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के अधिकांश नेताओं का मानना हैं कि चुनावी वर्ष में इसका राजनीतिक लाभ से अधिक नुक़सान हो सकता है.

बिहार की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार के द्वारा करवाए जा रहे भूमि सर्वे को लेकर कई जगहों से शिकायतें सामने आ रही है. खबरों के अनुसार कई जगहों पर अधिकारी और आम लोग दोनों ही इससे परेशान हैं. अब सूत्रों के हवाले से खबर आयी है कि सरकार इसे टालने की तैयारी में है. ऐसा इस फीडबैक के आधार पर किया जा रहा हैं कि लोगों को फ़िलहाल इस सर्वेक्षण और उसके प्रक्रिया के कारण काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं.

सरकार में शामिल प्रमुख घटक जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के अधिकांश नेताओं का मानना हैं कि चुनावी वर्ष में इसका राजनीतिक लाभ से अधिक नुक़सान हो सकता है. हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ही लेंगे. राज्य सरकार ने ये विशेष सर्वेक्षण राज्य में ज़मीन से जुड़े विवाद और हिंसा पर क़ाबू पाने के लिए शुरू किया था. जीतन राम मांझी ने इसे लेकर जमुई में एक कार्यक्रम के बाद कहा था कि सर्वे ईमानदारी से होनी चाहिए ताकि लोगों को न्याय मिल सके. यदि सर्वे में कोई गड़बड़ होता है तो वह आगे इसका विरोध करेंगे.

लोगों को हो रही है कई तरह की परेशानी
कई लोगों को पुराने दस्‍तावेज नहीं मिल रहे हैं तो कई लोगों का कहना है कि बंटवारा मौखिक हुआ था. वहीं कई लोगों का कहना है कि जमीन के मामले को लेकर सालों से वह सरकारी कार्यालयों के चक्‍कर लगा रहे हैं तो यह काम इतना जल्‍दी कैसे हो सकेगा. कई लोगों का कहना है कि सरकार के इस सर्वे के लिए कर्मचारियों की कमी है. बता दें कि बिहार में जो खतियान काम में लाया जा रहा है, वह 1910 का है. वहीं कई जगहों पर 1970 और 1980 का खतियान इस्‍तेमाल किया जा रहा है.

क्यों पड़ी जमीन सर्वे की जरूरत
बिहार में कई जगह पर अब भी जो खतियान इस्तेमाल में लाया जा रहा है, वो सन 1910 तक का बना हुआ है, जबकि कई जगह पर 1970 और 1980 का भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है. जब खतियान पुराना हो जाता है तो उस जमीन के कई दावेदार हो जाते हैं. ये होता इसलिए है क्योंकि परिवार कई हिस्सों में बंट जाते हैं. अब उनके नाम से खतियान नहीं होता है तो उन्हें दिक्कत शुरू हो जाती है और जमीन को लेकर विवाद शुरू हो जाता है.

रिकॉर्ड्स ऑनलाइन उपलब्ध कराने की तैयारी
बिहार सरकार जमीन को लेकर तमाम रिकॉर्ड्स अब ऑनलाइन उपलब्ध कराने की तैयारी में है. इस सर्वे से पहले जमीन के मौजूदा और वास्तविक मालिक की पहचान की जाएगी और उसके बाद उस जमीन से जुड़ी तमाम जानकारियों को बिहार सरकार की साइट पर अपडेट और अपलोड किया जाएगा. सर्वे के पूरा होने के बाद अब कोई भी अपने जमीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन ही देख पाएगा.

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