बीजेपी या कांग्रेस में से कौन पाएगा माता वैष्णो देवी की कृपा? बारीदारों की ये कहानी बढ़ा रही टेंशन​

 Jammu Kashmir Polls 2024 : जम्मू कश्मीर का विधानसभा चुनाव तो भाजपा और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है ही, माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट भी बेहद महत्वपूर्ण है. भाजपा के लिए तो ये बहुत ही महत्वपूर्ण है, लेकिन 1986 की वो कहानी अब इनकी परेशानी बढ़ा रही है.

Jammu Kashmir Election 2024 : रियासी जिले में तीन विधानसभा सीटें हैं. इनमें श्री माता वैष्णो देवी (Mata Vaishno Devi), गुलाबगढ़ और रियासी विधानसभा सीटें हैं. भाजपा (BJP) की तरफ से बलदेव राज शर्मा उम्मीदवार बने हैं तो कांग्रेस (Congress) की तरफ से भूपिंदर जामवाल को उम्मीदवार बनाया गया है. मगर भाजपा में अंदरखाने हलचल है. वजह ये है कि पहले इस सीट पर भाजपा ने रोहित दुबे को उम्मीदवार बनाया था. रोहित की कटड़ा के आसपास काफी अच्छी पकड़ बताई जाती है. टिकट बदले जाने के बाद वे और उनके कार्यकर्ता नाराज हो गए. बाद में राम माधव सहित अन्य नेताओं ने समझाया तो माने. हालांकि, अभी भी भीतरघात से इंकार नहीं किया जा सकता. भाजपा के लिए अच्छी बात ये है कि हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान उसे इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस के मुकाबले काफी अच्छी बढ़त मिली थी.इस सीट पर करीब 56,000 मतदाता हैं. परिसीमन के बाद 2021 में ही यह सीट अस्तित्व में आई है. फेज 2 में 25 सितंबर को यहां चुनाव है.

बारीदार लड़ेंगे चुनाव?

भाजपा के लिए सीट बंटवारे के विवाद को छोड़कर इस सीट पर सब कुछ ठीक चल ही रहा था कि खबर आई कि बारीदार सेवा कमेटी इस बार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतार सकती है. इसे लेकर एक कमेटी का गठन भी हो चुका है. इस सीट पर बारीदार वोटर्स करीब 15000 हैं. ऐसे में बारीदार किस पार्टी का वोट काटेंगे या खुद जीत की इबारत लिखेंगे, ये तो आने वाला समय ही बताएगा. हालांकि ये तो तय है कि अगर बारीदार सेवा कमेटी चुनाव लड़ती है तो भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है. 

कौन हैं बारीदार?

बारीदार अपनी कुलदेवी माता वैष्णो देवी को बताते हैं. दावा करते हैं कि श्रीधर इन्हीं के वंश के थे. श्रीधर को ही माता ने दर्शन देकर त्रिकुट पर्वत पर बसने की बात बताई थी. तब से बारीदार लगातार माता की पूजा करते रहे हैं. हालांकि, साल 1986 में 30 अगस्त की आधी रात एकाएक उन्हें गुफा से बाहर कर दिया गया. सारे अधिकार श्राइन बोर्ड को दे दिए गए. 1986 तक बारीदारों के 27 गांव थे, जो अब 37 गांव हो चुके हैं. बारीदारों में चार वर्ग मनोत्रा, दरोरा, खस और समनोत्रा हैं. समनोत्रा ही पूजा कराते हैं. अन्य तीनों यात्रियों के प्रबंधन का काम देखते थे. बारीदारों के कामकाज का बंटवारा कृपाल देव के राज में किया गया था. पटानामा में डोगरी भाषा में यह आज भी लिखा हुआ मिल जाएगा. 1986 से आज तक बारीदार माता वैष्णो देवी के मंदिर से श्राइन बोर्ड की जगह खुद के लिए हक मांग रहे हैं. उनका विरोध प्रदर्शन इन दिनों काफी तीखा हो चुका है और इसी के लिए वे विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.

कौन हैं श्रीधर?

माता वैष्णो देवी के मंदिर से जुड़ी कई किवदंतियों में बताया गया है कि वनवास के दौरान भगवान राम की वैष्णो माता से मुलाकात हुई थी. तब भगवान राम ने देवी को त्रिकूट पर्वत पर स्थित पवित्र गुफा में रहकर भक्तों का उद्धार करने को कहा था. वहीं सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध किवदंती श्रीधर ब्राह्मण की है, जो आधुनिक कटड़ा शहर से सटे त्रिकूट पर्वत की तलहटी में स्थित हंसाली गांव में रहते थे.

भंडारे में मां ने की मदद

श्रीधर शक्ति के कट्टर भक्त थे. भले ही वह बहुत गरीब थे, लेकिन मां की भक्ति कभी नहीं छोड़ते थे. वैष्णो मां की प्रेरणा और आश्वासन से एक दिन श्रीधर ने भव्य भंडारे का आयोजन किया. भंडारे के लिए एक शुभ तिथि चुनी गई और श्रीधर ने आस-पास के गांवों में रहने वाले सभी लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया. इसके बाद, श्रीधर ने घर-घर जाकर अपने पड़ोसियों और परिचितों से अनुरोध किया कि वे उन्हें कच्चा खाना दें, जिसे भंडारे के दिन पकाकर मेहमानों को परोसा जा सके. हालांकि उनमें से कुछ ने तो ऐसा किया, लेकिन कई अन्य ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया. उन्होंने वास्तव में उसे बिना किसी साधन के भंडारा आयोजित करने की हिम्मत करने के लिए ताना मारा. जैसे-जैसे भंडारे का दिन नजदीक आता गया, भंडारे के लिए आमंत्रित मेहमानों को खिलाने के बारे में श्रीधर की चिंताएं भी बढ़ती गईं.

गुफा के दर्शन कराए

भंडारे वाले दिन वह अपनी झोपड़ी के बाहर पूजा करने बैठ गए. दोपहर तक उसके मेहमान आने लगे. उन्हें पूजा में पूरी तरह से लीन देखकर, अतिथि जहां भी जगह मिल सकती थी, वहां आराम से बैठने लगे. अजीब बात यह थी कि बहुत बड़ी संख्या में मेहमान श्रीधर की छोटी सी झोपड़ी में आराम से बैठ गए . जब पूजा समाप्त हो गई, तो श्रीधर ने चारों ओर देखा कि बहुत सारे मेहमान आए हुए थे. जब वह सोच रहे थे कि अपने मेहमानों को कैसे बताएं कि वह उन्हें भोजन नहीं करा पाएंगे, तो उन्होंने देखा कि वैष्णो माता उसकी झोपड़ी से बाहर आ रही हैं. उन्होंने भंडारे का पूरा प्रबंध कर दिया था. कुछ दिनों बाद मां ने श्रीधर को सपने में अपनी गुफा के दर्शन कराए और इसके बाद से लोग उस गुफा में माता के दर्शन के लिए जाने लगे.

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