भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया (Lahar Singh Siroya) ने कर्नाटक के कॉन्ट्रैक्टर सुसाइड मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और उनके पुत्र प्रियांक खरगे को निशाना बनाया है. उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र को बचाने का मतलब खुद को और अपने परिवार को बचाना नहीं है. कर्नाटक में कॉन्ट्रैक्टर की सुसाइड का मामला गरमाता जा रहा है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया (Lahar Singh Siroya) ने कर्नाटक के कॉन्ट्रैक्टर सुसाइड मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और उनके पुत्र प्रियांक खरगे को निशाना बनाया है. उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र को बचाने का मतलब खुद को और अपने परिवार को बचाना नहीं है. कर्नाटक में कॉन्ट्रैक्टर की सुसाइड का मामला गरमाता जा रहा है.
लहर सिंह सिरोया ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा है कि, ”मल्लिकार्जुन खरगे दिल्ली में लोकतंत्र बचाने में व्यस्त हैं, लेकिन उनके पीछे कलबुर्गी में यह क्या हो रहा है. उनका बेटा, जो कि एक महान संविधान विशेषज्ञ की तरह काम करता है, एक के बाद एक मुसीबत में फंसता जा रहा है.”
उन्होंने कहा है कि, ”यही एक मात्र बात नहीं है, खरगे जी के पारिवारिक ट्रस्ट और भूमि घोटालों का ब्यौरा भी एक के बाद एक सामने आ रहा है. उनके पारिवारिक ट्रस्ट को हाल ही में दलित कोटे के तहत ली गई बेंगलुरु में कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) की 5 एकड़ जमीन वापस करने के लिए मजबूर होना पड़ा. सोनिया गांधी को धन्यवाद कि उनके आरटीआई कानून की बदौलत दस्तावेजों में इसकी विस्तृत जानकारी मिली है.”
सिरोया ने अपनी पोस्ट में अखबारों में प्रकाशित खबरों की कतरनें भी लगाई हैं. उन्होंने कहा है कि, ”कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व की खींचतान के कारण भी सूचना का प्रवाह अच्छा है. राज्य कांग्रेस में कोई भी किसी के प्रति वफादार नहीं है, बल्कि केवल अपने और अपनी कुर्सी के प्रति वफादार है. अगर खरगे जी को लगता है कि दिल्ली बहुत दूर है और वहां कुछ नहीं पहुंच सकता, तो वे गलत हैं. मुझे उम्मीद है कि लोकतंत्र को बचाने का मतलब खुद को और अपने परिवार को बचाना नहीं रह जाएगा. वैसे भी नेहरू-गांधी परिवार का यही मंत्र रहा है.”
इससे पहले बीजेपी के आरोपों पर कर्नाटक सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा था कि उन्होंने कॉन्ट्रैक्टर सुसाइड मामले में गृह मंत्री से जांच कराने का अनुरोध किया है.प्रियांक खरगे ने कहा था कि इस मामले में दो पहलू सामने आए हैं. ठेकेदार ने कुछ और कहा है, जबकि आरोपी ने भी घटना के दूसरे पहलू के मद्देनजर शिकायत की है.
प्रियांक खरगे ने कहा, “मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और मैंने खुद गृह मंत्री से अनुरोध किया है कि वे गृह विभाग के भीतर एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से मामले की जांच करवाएं. इसलिए स्वाभाविक रूप से भाजपा को लगता है कि उन्हें कुछ मुद्दा मिल गया है, लेकिन एक साल हो गया है, भाजपा अपने मतलब के आधार पर मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है.”
प्रियांक खरगे ने कहा, “न तो मैं, न ही मेरा विभाग और न ही सरकार इन सभी गतिविधियों में शामिल है. पहले से ही मैंने उनसे बात की है, लेकिन, अभी गृह मंत्री बेंगलुरु में नहीं हैं. इसलिए जब वह वापस आ जाएंगे, तो मैं इस मामले में उनसे फिर से चर्चा करूंगा. बीजेपी कानून को नहीं समझती है. क्या मैं आरोपी हूं? आठ लोगों पर आरोप लगाया गया है. क्या बीजेपी को पता है कि कानून क्या है? क्या उनको देश के कानून की समझ है? वह किस आधार पर पूछ रहे हैं? क्या मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है? क्या मेरा नाम वहां है, जैसा कि आपने कहा? यह लोग सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं और उनका इरादा बिल्कुल साफ है. वह अपनी आंतरिक समस्याओं को छिपाना चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “उनके कई नेताओं पर केस दर्ज है. उनकी पार्टी में खुद आंतरिक गुटबाजी चल रही है. लेकिन प्रियांक खरगे उनके पसंदीदा हैं और इसलिए वे मुझ पर दबाव बनाते हैं. मेरा मानना है कि मेरा एक बहुत मजबूत वैचारिक झुकाव है, जो उनके राजनीतिक आकाओं के खिलाफ है. तो यह बिलकुल स्वाभाविक है कि हमेशा मुझे ही दोषी ठहराया जाता है. वह सिर्फ मुझ पर आरोप लगाते हैं, हालांकि तथ्यों और सबूतों के साथ नहीं आते हैं.”
प्रियांक खरगे ने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या कभी मैंने भाजपा पर ऐसा आरोप लगाया है, जो बिना सबूत के हो. वह तथ्यात्मक नहीं हैं. वह हमेशा हिट एंड रन करते हैं. मैं उन्हें इन आरोपों को साबित करने की चुनौती देता हूं.”
उन्होंने आगे कहा, “इस मामले में आठ लोग आरोपी हैं. उनमें से एक हमारे कांग्रेस कॉरपोरेट का भाई है. यह एक ऐसी बात है, जिसे मैं नकार नहीं सकता. इसका मतलब यह नहीं है कि मैं हर चीज में शामिल हूं. यह पूरी तरह से सच है कि वह आरोपी हैं, जो वो कह रहे हैं कि यह एक शुद्ध व्यापारिक लेनदेन था. उन्हें एक साल के लिए पैसे चाहिए थे. हमने बैंक से पैसे ट्रांसफर किए हैं, जो एक कानूनी लेनदेन है. इस पैसे ट्रांसफर के बारे में कोई अस्पष्टता नहीं है. तो ऐसा क्यों किया गया? यह कैसे किया गया? यह तो जांच में सामने आने दीजिए.”
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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