Shani Pradosh Vrat:भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना के लिए समर्पित प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखकर शिव भक्त विधि-विधान से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करते हैं. भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ने के कारण शनि प्रदोष व्रत कहलाता है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से महादेव की कृपा से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. जानिए इस महीने का पहला प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा और किस तरह की जा सकती है भगवान शिव की प्रदोष व्रत पर पूजा संपन्न.
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भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 अगस्त, शुक्रवार को देररात 2 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 31 अगस्त, शनिवार को देर रात 3 बजकर 41 मिनट तक है. भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त, शनिवार को रखा जाएगा. शनिवार का दिन होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत होगा. शनि प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 44 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा सबसे ज्यादा फलदायी मानी जाएगी.
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
शनि प्रदोष व्रत प्रात: काल उठते ही शुरू हो जाता है. सुबह उठकर स्नान और ध्यान करने के बाद पूजाघर की साफ-सफाई कर लें. प्रदोष व्रत की पूजा संध्याकाल में की जाती है. पूजा के लिए चौकी भगवान शिव और माता पार्वती का चित्र स्थापित करें. दोनों का अभिषेक करें और फिर विधि-विधान से पूजा करें. भगवान शिव को बेलपत्र, कनेर और माता को जवाकुसुम के फूल चढ़ाएं. घी का दीया जलाएं और आरती के बाद शिव चालीसा का पाठ करें. अंत में भगवान को हलवे या खीर का भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शनि प्रदोष व्रत विशेष महत्व है. शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त हैं और शनिवार को प्रदोष व्रत आना शुभ माना जाता है. शनि दोष (Shani Dosh) से पीड़ित लोगों के लिए यह व्रत विशेष प्रभावकारी होता है. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Shani Pradosh Vrat:भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना के लिए समर्पित प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखकर शिव भक्त विधि-विधान से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करते हैं. भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ने के कारण शनि प्रदोष व्रत कहलाता है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से महादेव की कृपा से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. जानिए इस महीने का पहला प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा और किस तरह की जा सकती है भगवान शिव की प्रदोष व्रत पर पूजा संपन्न.
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भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 अगस्त, शुक्रवार को देररात 2 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 31 अगस्त, शनिवार को देर रात 3 बजकर 41 मिनट तक है. भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त, शनिवार को रखा जाएगा. शनिवार का दिन होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत होगा. शनि प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 44 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा सबसे ज्यादा फलदायी मानी जाएगी.
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
शनि प्रदोष व्रत प्रात: काल उठते ही शुरू हो जाता है. सुबह उठकर स्नान और ध्यान करने के बाद पूजाघर की साफ-सफाई कर लें. प्रदोष व्रत की पूजा संध्याकाल में की जाती है. पूजा के लिए चौकी भगवान शिव और माता पार्वती का चित्र स्थापित करें. दोनों का अभिषेक करें और फिर विधि-विधान से पूजा करें. भगवान शिव को बेलपत्र, कनेर और माता को जवाकुसुम के फूल चढ़ाएं. घी का दीया जलाएं और आरती के बाद शिव चालीसा का पाठ करें. अंत में भगवान को हलवे या खीर का भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शनि प्रदोष व्रत विशेष महत्व है. शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त हैं और शनिवार को प्रदोष व्रत आना शुभ माना जाता है. शनि दोष (Shani Dosh) से पीड़ित लोगों के लिए यह व्रत विशेष प्रभावकारी होता है. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Pradosh Vrat Date: अगस्त महीने का आखिरी और भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा इस दिन. जानिए इस व्रत की पूजा से जुड़ीं कुछ जरूरी बातें. NDTV India – Latest
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