April 15, 2025

भारतीय नौसेना की पहली ‘अफ्रीका-इंडिया की मैरीटाइम एंगेजमेंट एक्सरसाइज़’ हुई शुरू​

तंज़ानिया की रक्षा मंत्री डॉ. टैक्स ने भारत के साथ इस संयुक्त अभ्यास को रणनीतिक पहल बताते हुए समुद्री साझेदारी को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया.

तंज़ानिया की रक्षा मंत्री डॉ. टैक्स ने भारत के साथ इस संयुक्त अभ्यास को रणनीतिक पहल बताते हुए समुद्री साझेदारी को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया.

भारतीय नौसेना की पहली ‘अफ्रीका-इंडिया की मैरीटाइम एंगेजमेंट एक्सरसाइज़’ (AIKEYME) के हार्बर चरण का उद्घाटन 13 अप्रैल, 2025 को दार एस सलाम स्थित आईएनएस चेन्नई पर तंज़ानिया की रक्षा एवं राष्ट्रीय सेवा मंत्री डॉ. स्टरगोमेना लॉरेंस टैक्स और भारत के रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. यह अभ्यास भारत और तंज़ानिया द्वारा सह-मेजबानी में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें कोमोरोस, जिबूती, केन्या, मेडागास्कर, मॉरिशस, मोज़ाम्बिक, सेशेल्स और दक्षिण अफ्रीका की नौसेनाओं की भागीदारी है.

इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री ने अरूशा में स्थापित हथियार प्रशिक्षण सिम्युलेटर सुविधा एवं रक्षा प्रदर्शनी का भी डिजिटल रूप से उद्घाटन किया. इस एक्सपो में भारत की 22 अग्रणी कंपनियां अपने प्रमुख रक्षा उत्पादों के साथ भाग ले रही हैं.अपने संबोधन में श्री संजय सेठ ने समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने हेतु एकता और साझा उद्देश्य की भावना को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने भारत और अफ्रीका के ऐतिहासिक संबंधों को स्मरण करते हुए “MAHASAGAR” (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across the Region) सिद्धांत को दोहराया, जो इस साझेदारी को और सुदृढ़ करता है.

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उन्होंने एक प्रसिद्ध अफ्रीकी कहावत – “यदि तेज जाना है तो अकेले जाओ, यदि दूर तक जाना है तो साथ चलो” का उल्लेख करते हुए समुद्री सुरक्षा में दीर्घकालिक और स्थायी साझेदारियों की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही, AIKEYME 25 की मेज़बानी के लिए तंज़ानिया को धन्यवाद देते हुए उन्होंने इसे बहुपक्षीय सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.

तंज़ानिया की रक्षा मंत्री डॉ. टैक्स ने भारत के साथ इस संयुक्त अभ्यास को रणनीतिक पहल बताते हुए समुद्री साझेदारी को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने समुद्री डकैती और तस्करी जैसी समस्याओं से सामूहिक रूप से निपटने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.उन्होंने AIKEYME के आगामी संस्करणों की मेज़बानी हेतु तंज़ानिया की प्रतिबद्धता को भी दोहराया और क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा के लिए नवाचार एवं सूचना साझाकरण पर आधारित सहयोगी ढांचे की रूपरेखा प्रस्तुत की. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह साझेदारी केवल सैन्य दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापक क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने की अपेक्षा भी रखती है.

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इस अवसर पर तंज़ानिया पीपुल्स डिफेंस फोर्स के प्रमुख, भारतीय नौसेना के प्रमुख, तथा तंज़ानिया में भारत के उच्चायुक्त सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे. कार्यक्रम में 50-सदस्यीय गार्ड ऑफ ऑनर और भारतीय नौसेना बैंड की प्रस्तुति ने इस समुद्री सहयोग की भावना को और अधिक सजीव कर दिया.

संजय सेठ ने इस अभ्यास में भाग ले रहे विभिन्न देशों के नौसैनिकों एवं आईओएस सागर पोत के कर्मियों से भी संवाद किया. उन्होंने आईएनएस चेन्नई का दौरा किया और तंज़ानिया को मित्रता और सहयोग के प्रतीकस्वरूप 15 पैराशूट सेट, राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के लिए पुस्तकें और एक त्रि-सेवा वॉर गेमिंग सिम्युलेटर भेंट किया.

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AIKEYME 25 और IOS सागर हिंद महासागर क्षेत्र में स्वतंत्रता, सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए भागीदार देशों की प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं. यह अभ्यास भारत-अफ्रीका संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ते हुए समुद्री क्षेत्र में बहुपक्षीय साझेदारी को सशक्त करता है. यह एक ऐसा प्रयास भी है जो सीमाओं से परे आपसी जुड़ाव और सहयोग को बढ़ावा देता है.

यह कहा जा सकता है कि अफ्रीकी देशों में अपने प्रभुत्व का विस्तार करने के लिए भारत ने इतिहास का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धाभ्यास शुरू किया है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का अफ्रीकी देशों के साथ अपना अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त नौसैनिक अभ्यास है, जिसका मकसद अफ्रीकी महाद्वीप में अपने प्रभाव और हिंद महासागर में उपस्थिति को मजबूत करना है. उल्लेखनीय है कि ये वो क्षेत्र है, जहां चीन लगातार अपने कारोबार को बढ़ा रहा है और व्यापार की रक्षा के लिए सैन्य प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है.

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विशेषज्ञों का मानना है कि हिंद महासागर की सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए अफ्रीकी देश हमेशा से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण रहे हैं.ज्ञातव्य हो कि चीन का पहला विदेशी सैन्य अड्डा जिबूती में पहले से ही ऑपरेशनल है. इसके अलावा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए चीन लगातार अफ्रीकी देशों में अपनी उपस्थिति को प्रभावशाली बनाने की दिशा में अपनी नियंत्रण प्रणाली को और भी मजबूत बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. इस सैन्य अभ्यास के जरिए भारत ये संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि अफ्रीकी प्लेग्राउंड में चीन को एकमात्र खिलाड़ी के रूप में वर्चस्व स्थापित करने का कोई भी मौका नहीं दिया जाएगा.

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