प्रधानमंत्री ने वैश्विक सस्टेनेबिलिटी प्रयासों में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डाला, जिसमें ‘मिशन लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) और सीओपी26 में घोषित ‘पंचामृत लक्ष्य’ शामिल हैं, जो नेट-शून्य भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत पी3 (प्रो प्लैनेट पीपुल) अप्रोच की पुरजोर वकालत करता है और ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ की ओर अपनी यात्रा में अपने अनुभवों और सीखों को दुनिया के साथ साझा करने के लिए हमेशा से इच्छुक रहा है. पीएम मोदी ने तीन दिवसीय ‘12वें क्षेत्रीय 3आर और एशिया में सर्कुलर इकोनॉमी फोरम’ के प्रतिनिधियों के साथ एक विशेष लिखित संदेश साझा किया. उद्घाटन सत्र में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित दूसरे व्यक्ति शामिल हुए.
अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने सस्टेनेबल शहरी विकास और संसाधन दक्षता सुनिश्चित करने में 3आर (रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल) और ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ सिद्धांतों की भूमिका पर प्रकाश डाला.
प्रधानमंत्री ने वैश्विक सस्टेनेबिलिटी प्रयासों में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डाला, जिसमें ‘मिशन लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) और सीओपी26 में घोषित ‘पंचामृत लक्ष्य’ शामिल हैं, जो नेट-शून्य भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है.
अपने संबोधन के दौरान, मनोहर लाल ने जयपुर को सस्टेनेबिलिटी में अपनी गहरी जड़ें वाली परंपराओं, जैसे वर्षा जल संचयन और पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बने हस्तशिल्प के कारण एक आइडल वेन्यू के रूप में उजागर किया.
पीएम मोदी के विजन को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने सिटीज कोलिशन फॉर सर्कुलरिटी (सी-3) की घोषणा की, जो शहर-दर-शहर सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए एक बहु-राष्ट्र गठबंधन है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम प्रस्ताव करते हैं कि गठबंधन की संरचना और परिचालन फ्रेमवर्क को अंतिम रूप देने के लिए इस मंच के बाद सदस्य देशों का एक कार्य समूह बनाया जाए.”
मनोहर लाल ने कहा, “सर्कुलर इकोनॉमी सिर्फ एक पर्यावरणीय जिम्मेदारी नहीं बल्कि एक आर्थिक आवश्यकता है.”
मंत्री ने बायो-सीएनजी, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और ई-कचरा पुनर्चक्रण पर भारत के फोकस के बारे में भी बात की, जिससे कम कार्बन, संसाधन-कुशल समाज बनाने के सरकार के संकल्प की पुष्टि हुई.
मनोहर लाल ने घोषणा की कि मंच जयपुर घोषणा (2025-2034) को अपनाएगा, जो एक गैर-राजनीतिक, गैर-बाध्यकारी प्रतिबद्धता है, जो संसाधन दक्षता और सस्टेनेबल शहरी विकास की दिशा में अगले दशक के प्रयासों का मार्गदर्शन करेगी.
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