Bhism panchak significance : भक्त मोक्ष की प्राप्ति और अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए इन पांच दिनों के दौरान उपवास रखते हैं. श्रद्धालु इस दौरान अच्छे स्वास्थ्य और अपने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी उपवास करते हैं.
Bhism panchak vrat 2024 tithi muhurat : हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने के आखिरी पांच दिनों में भीष्म पंचक मनाया जाता है, जो अश्विन पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा (sharad purnima) से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होता है. पंचांग के अनुसार भीष्म पंचक 2024 व्रत 12 नवंबर 2024 यानी आज से शुरू हो रहा है, जो 16 नवंबर 2024 को समाप्त होगा. आपको बता दें कि जो लोग चतुर मास व्रत का पालन करने में विफल रहते हैं, उन्हें कार्तिक मास के अंतिम पांच दिनों यानी भीष्म पंचक पर उपवास करने से चार महीने के उपवास का लाभ मिलता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि और महत्व.
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भीष्म पंचक व्रत पूजा विधि
पहले दिन, देव उत्थान एकादशी
भगवान के चरणों में कमल के फूल चढ़ाएं
दूसरा दिन, तुलसी विवाह
भगवान को बिल्वपत्र चढ़ाएं
तीसरा दिन, विश्वेश्वर व्रत
भगवान की नाभि पर सुगंध (गंध) चढ़ाएं
चौथा दिन, मणिकर्णिका स्नान
भगवान के कंधे पर जावा के फूल चढ़ाएं
पांचवें दिन, कार्तिक पूर्णिमा
भगवान के सिर पर मालती के फूल चढ़ाएं
यह भी माना जाता है कि पांच दिवसीय विष्णु पंचक के हर दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करके भगवान को जल चढ़ाने से लाभ दोगुना होते हैं.
भीष्म पंचक व्रत महत्व
भक्त मोक्ष की प्राप्ति और अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए यह उपवास करते हैं. पद्म पुराण में भीष्म पंचक व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है. बताया गया है कि कार्तिक का यह महीना भगवान श्री हरि को बहुत प्रिय है और इस महीने के दौरान सुबह जल्दी स्नान करने से भक्तों को सभी तीर्थ स्थानों में स्नान करने का लाभ मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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