मदरसों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया फाजिल और कामिल वाला झटका, जानिए पूरा मामला​

 मदरसों ने फाजिल और कामिल की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह अपील खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार यूजीसी का है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मदरसा बोर्ड के फाजिल और कामिल की डिग्री असंवैधानिसक माना है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि यह यूजीसी का विशेषाधिकार है. यूपी के मदरसों में डिग्री हाई स्कूल और इंटर तक होती है. उसके बाद फाजिल और कामिल होता है. मदरसों ने यूजीसी ने इन कोर्सों को मान्यता देने की मांग की थी. यूजीसी अभी तक इस पर अप्रूवल नहीं दिया है.मदरसों ने फाजिल और कामिल की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह अपील खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार यूजीसी का है.

यूपी के 16 हजार मदरसे चलते रहेंगे: सुप्रीम कोर्ट
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया  जिसमें उसने (हाईकोर्ट ने) उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को खारिज कर दिया था और राज्य से विद्यार्थियों को अन्य विद्यालयों में भर्ती करने को कहा था. CJI डी वी चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. अदालत ने 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम की वैधता बरकरार रखी और कहा कि यह धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है. 

मदरसों को रेगुलेट कर सकती है सरकार: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मदरसा बोर्ड रोजमर्रा के कामकाज में दखल नहीं देता है. सिर्फ गुणवत्ता सुधारने की कोशिश करता है. राज्यों का दायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि न्यूनतम मानक बनाए रखे जाएं.-  बोर्ड और राज्य सरकार के पास मदरसों को विनियमित करने का अधिकार है.हालांकि साथ ही अदालत ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए मदरसों को रेगुलेट सरकार कर सकती है. अदालत ने कहा कि राज्य मदरसों के कामकाज को विनियमित कर सकता है ताकि छात्र योग्यता का एक स्तर प्राप्त कर सकें. शिक्षा के मानकों को बेहतर बनाने के लिए मदरसों को विनियमित करने में राज्य की रुचि महत्वपूर्ण  है.

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