मुंबई (Mumbai) में बलात्कार के आरोपी (Rape Accused) को अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी है. दरअसल, आरोपी ने अदालत में लिव इन एग्रीमेंट (Live in Agreement) पेश किया था.
पश्चिमी देशों में “लिव इन रिलेशनशिप” (Live in Relationship) और उसके लिए बनाए जाने वाले एग्रीमेंट अत्यंत प्रचलित हैं. ऐसा एग्रीमेंट अब भारत में भी दिखने लगा है. मुंबई में बलात्कार के आरोपी (Rape Accused) को इसी लिव इन एग्रीमेंट (Live in Agreement) के चलते अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई है. मुंबई की एक सत्र अदालत ने हाल ही में 29 साल की महिला से बलात्कार के आरोपी 46 साल के एक एक शख्स को जमानत दे दी है. आरोपी शख्स मुंबई के कोलाबा में रहता है.
दरअसल, आरोपी ने सात सूत्री और 11 महीने का एक एग्रीमेंट पेश किया था, जिसे लेकर उसने उसने दावा किया था कि इस पर शिकायतकर्ता महिला ने हस्ताक्षर किए थे, जिसके अनुसार अगर वे संबंध बनाते हैं तो उसे किसी भी तरह की जिम्मेदारी लेने से छूट दी गई थी.
क्या है एग्रीमेंट में?
दस्तावेज में उल्लेख है कि पुरुष और महिला 1 अगस्त 2024 से 30 जून 2025 तक लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रहेंगे.दूसरे क्लॉज में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान वे एक-दूसरे के खिलाफ कोई यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज नहीं कराएंगे और अपना समय शांतिपूर्वक साथ बिताएंगे.तीसरे में कहा गया है कि महिला पुरुष के साथ उसके घर पर रहेगी और अगर उसे उसका व्यवहार अनुपयुक्त लगता है तो वे एक महीने के नोटिस के बाद कभी भी अलग हो सकते हैं.चौथे में है कि महिला के रिश्तेदार उनके साथ रहने के दौरान उनके घर नहीं आ सकते.पांचवें क्लॉज के अनुसार, महिला या पुरुष को कोई उत्पीड़न या मानसिक पीड़ा नहीं पहुंचनी चाहिए.छठे के मुताबिक, अगर महिला गर्भवती हो जाती है तो पुरुष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए और वह पूरी तरह से जिम्मेदार होगी.सातवें में कहा है कि अगर उत्पीड़न के कारण आरोपी को मानसिक आघात पहुंचा, जिससे उसका जीवन बर्बाद हो गया तो महिला को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
FIR में धोखा देने, ब्लैकमेल करने जैसे आरोप
शिकायतकर्ता महिला ने उससे शादी का वादा कर धोखा देने और ब्लैकमेल करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाते हुए 23 अगस्त को कोलाबा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके बाद आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उसे इसी दस्तावेज के आधार पर 29 अगस्त को जमानत मिल गई.
व्यक्ति की ओर से पेश वकील सुनील पांडे ने इसे ठगी का मामला बताया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में उसे झूठा फंसाया गया है. वह परिस्थितियों का शिकार है. वे लिव-इन रिलेशनशिप में थे. समझौते से पता चलता है कि दोनों ने रिश्ते में रहने के लिए सहमति दी थी. एग्रीमेंट पर महिला के भी साइन हैं. एक दिन उसने ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. पैसे मांगे और संपत्ति को हड़पने की कोशिश की.
महिला ने अदालत में क्या कहा?
इस मामले में जहां पुरुष की ओर से कहा गया है कि लिव इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट में महिला के हस्ताक्षर हैं, वहीं महिला की ओर से अदालत में कहा गया कि दस्तावेज पर उसके हस्ताक्षर नहीं थे.
लिव इन रिलेशनशिप शादी का एक विकल्प है, यदि दो लोग एक साथ पति-पत्नी के तरह निवास कर रहे हैं और उन्होंने शादी नहीं की है, तब इसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है. पश्चिम के देशों में लिव इन रिलेशनशिप और ऐसे एग्रीमेंट अत्यंत प्रचलित है और धीरे-धीरे ये भारत में भी आम होते दिख रहे हैं. हालांकि इस मामले में लगे तमाम आरोपों की जांच चल रही है.
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