रमेश बिधूड़ी ने अरविंद केजरीवाल पर “भ्रामक प्रचार” के लिए हमला बोला. साथ ही कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं किसी भी पद का दावेदार नहीं हूं. मैं लोगों की सेवा के लिए समर्पित हूं.
भाजपा के पूर्व सांसद और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी (Ramesh Bidhuri) ने रविवार को आम आदमी पार्टी के उन दावों को खारिज कर दिया कि अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) में भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश करने पर विचार कर सकती है. उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं.
रमेश बिधूड़ी मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कालकाजी सीट से चुनाव मैदान में है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कहा कि भाजपा पूर्व सांसद को एक या दो दिन में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने जा रही है. हालांकि विपक्षी पार्टी ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया है.
मैं किसी भी पद का दावेदार नहीं: बिधूड़ी
बिधूड़ी ने एक बयान में रविवार को कहा, “मैं लोगों के लिए उतना ही समर्पित हूं, जितना मैं अपनी पार्टी के लिए हूं. मेरे लिए मुख्यमंत्री की भूमिका के बारे में बातें पूरी तरह से निराधार हैं. मैं आपका सेवक बनकर लगातार काम करता रहूंगा.”
इसके साथ ही भाजपा नेता ने कहा कि वह पार्टी के “वफादार कार्यकर्ता” हैं. उन्होंने उन्होंने 2014 से 2019 और 2019 से 2024 तक सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के साथ ही 2003, 2008 और 2013 में विधायक चुने जाने का जिक्र करते हुए कहा, “पार्टी ने मुझे लगातार आशीर्वाद दिया और मुझ पर भरोसा जताया है. मैं पच्चीस सालों तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल रहा था, पार्टी ने मुझे दो बार सांसद और तीन बार विधायक बनाया और चौथी बार आपके दरवाजे पर आने का अवसर दिया है.”
पूर्व सांसद ने केजरीवाल पर उनके खिलाफ “भ्रामक प्रचार” के लिए भी हमला बोला. उन्होंने कहा, ”मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं किसी भी पद का दावेदार नहीं हूं.” साथ ही कहा कि मैं लोगों की सेवा के लिए समर्पित हूं.
अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा था?
अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उन्हें “विश्वसनीय स्रोतों” से पता चला है कि भाजपा आने वाले दिनों में बिधूड़ी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित करेगी. उन्होंने बिधूड़ी को सार्वजनिक बहस की चुनौती भी दी, जिससे दिल्ली के लोग तय करें कि नेतृत्व करने के लिए कौन बेहतर है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “एक बार जब बिधूड़ी की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा हो जाए तो मेरा प्रस्ताव है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए AAP के उम्मीदवार और भाजपा के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी के बीच दिल्ली के लोगों, देश और मीडिया के सामने सार्वजनिक बहस होनी चाहिए.”
केजरीवाल ने अपनी हार स्वीकार कर ली: बिधूड़ी
रमेश बिधूड़ी ने आरोप लगाया कि उनका नाम उछालकर केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया है कि अगले विधानसभा सत्र में भाजपा सरकार बनाएगी. उन्होंने कहा, ”उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है क्योंकि यह यह सभी को पता है कि दिल्ली की जनता उनसे नाराज है. लोग शराब घोटाला, शिक्षा घोटाला, स्वास्थ्य घोटाला, शीशमहल घोटाला, टूटी सड़कें, गंदा पेयजल आदि से छुटकारा पाना चाहते हैं.”
कालकाजी सीट से चुनाव लड़ रहीं मुख्यमंत्री आतिशी ने भी शुक्रवार को दावा किया कि भाजपा बिधूड़ी का नाम मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में घोषित करने जा रही है. साथ ही “सबसे अधिक गालियां देने वाले” नेता को चुनने के लिए पार्टी की आलोचना की.
भाजपा ने दावों को “निराधार अफवाह” बताकर खारिज कर दिया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केजरीवाल पर राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने शनिवार को राजधानी में “झुग्गी बस्ती प्रधान सम्मेलन” को संबोधित करते हुए कहा, “क्या केजरीवाल भाजपा के मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय कर सकते हैं? ऐसे दावे करने वाले वह कौन होते हैं?”
साथ ही शाह ने केजरीवाल पर जनता परसेप्शन को बदलने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली के लोग उनकी रणनीति को समझते हैं. उन्होंने कहा, ”झूठ, विश्वासघात और वादों से मुकरना” केजरीवाल के गुण हैं.
बिधूड़ी की टिप्पणियों से पैदा हुआ था विवाद
आतिशी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के बारे में बिधूड़ी की हालिया टिप्पणी ने विवाद पैदा कर दिया था. भाजपा नेता ने आतिशी के पिता को लेकर टिप्पणी की थी. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि कालकाजी की सड़कें ”प्रियंका गांधी के गाल” जैसी चिकनी बना देंगे. कांग्रेस ने इस टिप्पणी को “महिलाओं का अपमान” बताया था. हालांकि इस मामले में विवाद होने के बाद बिधूड़ी ने खेद जताया था.
दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को वोटों की गिनती की जाएगी.
आम आदमी पार्टी को 2015 के विधानसभा चुनावों में 67 सीटें और 2020 के चुनावों में 62 सीटें मिली थीं. पार्टी की नजर एक और कार्यकाल पर है. वहीं भाजपा ने 2015 में तीन और 2020 में आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी. हालांकि कांग्रेस दोनों ही बार अपना खाता खोलने में विफल रही थी.
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