कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के वक्त राज्य सरकार ने शांति धारीवाल के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने का फैसला लिया था, जिसपर हाईकोर्ट ने भी मुहर लगाई था. जबकि निचली अदालत ने मामले को बंद करने की मांग खारिज कर दी थी.
राजस्थान में कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल और JDA के 3 पूर्व अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भूयान की बेंच ने हाईकोर्ट के उन आदेशों को रद्द कर दिया है, जिसमें एकल पट्टा प्रकरण में आपराधिक कार्रवाई को समाप्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मामले में फिर से सुनवाई करने निर्देश दिए हैं.
दरअसल, हाईकोर्ट के दो आदेशों के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर की थी. इसे निस्तारित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया. शीर्ष अदालत ने कहा है कि हाईकोर्ट 6 महीने में फिर से मामले की सुनवाई करके अपना फैसला दे.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने बताया कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 17 जनवरी 2023 और 15 नवंबर 2022 को दिए दोनों आदेश रद्द कर दिए हैं. 17 जनवरी के आदेश से हाईकोर्ट ने तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर और जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को बंद कर दिया था.
चर्चित ‘एकल पट्टा’ मामले में कीमती भूमि के एकल पट्टे के आवंटन में कथित भ्रष्टाचार और प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप था, जिसने व्यापक ध्यान और कानूनी चुनौतियों को आकर्षित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से आग्रह किया कि इस मामले में सभी तथ्यों, साक्ष्यों और दावों की ताजा समीक्षा सुनिश्चित की जाए, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को मजबूत किया जा सके.
राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. केस की फाइलें प्राप्त करने के बाद, शर्मा ने कुछ महत्वपूर्ण उपेक्षित तथ्यों की पहचान की और प्रभावी कानूनी तर्क प्रस्तुत किया. जिससे सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की पूर्ण पुन: जांच का निर्णय लिया.
कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के वक्त राज्य सरकार ने शांति धारीवाल के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने का फैसला लिया था, जिसपर हाईकोर्ट ने भी मुहर लगाई था. जबकि निचली अदालत ने मामले को बंद करने की मांग खारिज कर दी थी.
बता दें कि 2011 में जयपुर विकास प्राधिकरण ने दस बीघे का एकल पट्टा जारी किया था. इस मामले की जांच ACB ने की थी और इस मामले में तत्कालीन ACS जी एस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर ,जोन आयुक्त ओंकार मल सैनी और कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक शैलेंद्र गर्ग को गिरफ्तार किया गया था. इसी मामले मे ACB ने कांग्रेस नेता शांति धारीवाल से भी पूछताछ की थी. हालांकि, इस विवाद के बाद 2013 मे एकल पट्टा रद्द कर दिया गया था.
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