स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों को लखपति बनाने या यह सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण अपनाया गया है कि वे स्थायी आधार पर प्रति वर्ष न्यूनतम एक लाख रुपये की आय अर्जित करें.
आंध्र प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल लखपति दीदी बनाने में अग्रणी तीन बड़े राज्य हैं, जबकि देश भर में ऐसी कुल 1,15,00,274 महिलाएं हैं. ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने मंगलवार को लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया कि आंध्र प्रदेश में 14,87,631, बिहार में 13,47,649 और पश्चिम बंगाल में 11,81,852 लखपति दीदी हैं.
मध्य प्रदेश में 10,51,069, महाराष्ट्र में 10,04,338, उत्तर प्रदेश में 8,41,923, तेलंगाना में 7,58,693, गुजरात में 5,38,760, ओडिशा में 5,37,350, झारखंड में 3,51,808, तमिलनाडु में 3,18,101, केरल में 2,84,616 लखपति दीदियां हैं. वहीं राजस्थान 2,70, 405 और कर्नाटक 2,36,315 लखपति दीदियां हैं. उत्तरी राज्यों पंजाब और हरियाणा में लखपति दीदियों की संख्या कम है, जो क्रमशः 31,700 और 62,743 है.
कोटा श्रीनिवास पुजारी और चामला किरण कुमार रेड्डी के सवालों का जवाब देते हुए राज्यमंत्री ने कहा कि नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत 3 दिसंबर तक 503 ड्रोन उपलब्ध कराए गए हैं.
सबसे अधिक 97 ड्रोन आंध्र प्रदेश में दिए गए, इसके बाद कर्नाटक में 84, तेलंगाना में 72, मध्य प्रदेश में 34, उत्तर प्रदेश में 32, महाराष्ट्र में 30, पंजाब में 23 और हरियाणा में 22 ड्रोन दिए गए.
राज्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की केंद्र प्रायोजित योजना दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत अक्टूबर 2024 तक 10.05 करोड़ महिलाओं को 90.87 लाख स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया गया है.
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के सहयोग से इंटरनेशनल इनिशिएटिव फॉर इम्पैक्ट इवैल्यूएशन द्वारा 2019-20 के दौरान किए गए अध्ययन के अनुसार, डीएवाई-एनआरएलएम से आय में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
मंत्री ने कहा कि डीएवाई-एनआरएलएम को पूरे देश में (दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर) क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबी को कम करना है. इसके लिए ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित किया जाएगा और उन्हें तब तक लगातार सहायता और पोषण दिया जाएगा, जब तक कि समय के साथ उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हो जाती, उनके जीवन स्तर में सुधार नहीं आ जाता और वे घोर गरीबी से बाहर नहीं निकल आते.
लखपति दीदी पहल डीएवाई-एनआरएलएम के परिणामों में से एक है. स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों को लखपति बनाने या यह सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण अपनाया गया है कि वे स्थायी आधार पर प्रति वर्ष न्यूनतम एक लाख रुपये की आय अर्जित करें.
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