लखीमपुर खीरी में आदमखोर बाघ ने किया एक और शिकार, एक महीने में तीन लोगों को मार डाला​

 लखीमपुर खीरी जिले के मोहम्मदी वन रेंज से सटे गांवों में हाल के दिनों में जंगली जानवरों के कई हमले हुए हैं. बाघ के हमलों में तीन लोगों की अब तक मौत हो चुकी है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बाघों के हमले से लोग परेशान हैं. मंगलवार को एक बार फिर बाघ ने खेत में काम कर रहे एक मजदूर को अपना निवाला बना लिया. दरअसल यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में इन दिनों जंगल से बाहर निकल रहे बाघों का आतंक जारी है. खीरी जिले के मोहम्मदी रेंज में ही सिर्फ बाघ के हमले से अभी तक तीन मौत हो चुकी हैं. खीरी के मोहम्मदी वन रेंज में खेत में काम कर रहे एक मजदूर पर बाघ ने हमला कर दिया और मजदूर को गन्ने के खेत में खींच ले गया. शोर मचाने पर बाघ शव को छोड़कर भाग गया. 

हाल के दिनों में कई हमले हुए हैं. राजेपुर शाह गांव के रहने वाले प्रभु दयाल खेत पर जानवरों के लिए चारा लेने गए थे तभी अचानक बाघ ने उनपर हमला कर दिया. जिससे प्रभु दयाल की मौत हो गई.  मौके पर पहुंचे आक्रोशित ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया. मोहम्मदी वन रेंज में बाघ से हमले में यह तीसरी मौत है.  जिसको लेकर वन विभाग के खिलाफ आसपास के ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. 

इससे पहले मोहम्मदी वन रेंज के गांव इमलिया में खेत में काम कर रहे अमरीश नाम के किसान पर हमला कर बाघ ने किसान को मौत के घाट उतार दिया था. जिसके बाद सरकार ने वन विभाग को बाघ ट्रेंकुलाइज करने के आदेश दिए थे. 

इसी तरह जाकिर खेत में मजदूरी करने गए तभी बाघ जाकिर को गन्ने के खेत में खींच ले गया और जाकिर की मौत हो गई. जाकिर की मौत के बाद ग्रामीणों ने सड़क पर शव रखकर जमकर हंगामा किया था. जिसके बाद वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज किए जाने के अभियान में तेजी लायी थी. लेकिन बाघ को ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सका.

गांव के ही नजदीक खेत में काम करने गए प्रभु दयाल पर आज बाघ ने हमला कर उसको मौत के घाट उतार दिया. आक्रोशित ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मौके पर पहुंचे वन विभाग के रेंजर नरेश पाल सिंह का कहना है कि हमला करने वाला जानवर बाघ है या तेंदुआ अभी ये बता पाना मुश्किल है ड्रोन के जरिए तलाश की जा रही है.

लगातार हो रहे हमलों को देखते हुए बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए अब दुधवा से एक्सपर्ट डायना और सुरलोचना नाम के हाथियों को लगाया गया है. लेकिन गन्ने की फसल बड़ी होने के चलते बाघ ट्रेस कर ट्रेंकुलाइज करना थोड़ा मुश्किल होता दिखाई दे रहा है. हालांकि पीलीभीत टाइगर रिजर्व से आए एक्सपर्ट डॉक्टर दक्ष का हाथी पर बैठकर गन्ने के खेतों में कॉम्बिंग कर रहे हैं. कई बार टीम का सामना बाघ से हुआ लेकिन गन्ने की फसल बड़ी होने के चलते कामयाबी नहीं मिली है.  लगातार हो रही घटनाएं अब विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है. देखना होगा अब जंगल से बाहर निकल रहे बाघों को रोकने के लिए वन विभाग क्या कदम उठाता है. 

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