October 27, 2024
वजन घटाने की नई दवा से मसल्स मास भी हो सकता है कम, अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

वजन घटाने की नई दवा से मसल्स मास भी हो सकता है कम, अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा​

ये दवाएं मोटापे के इलाज में बहुत प्रभावी साबित हुई हैं, जो कई बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन वे वजन घटाने की प्रक्रिया के दौरान काफी मांसपेशियों का नुकसान भी कर सकती हैं.

ये दवाएं मोटापे के इलाज में बहुत प्रभावी साबित हुई हैं, जो कई बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन वे वजन घटाने की प्रक्रिया के दौरान काफी मांसपेशियों का नुकसान भी कर सकती हैं.

वजन घटाने की दवाओं के बढ़ते उपयोग के बीच एक नए अध्ययन ने इन लोकप्रिय दवाओं के कारण मसल्स मास में गिरावट की चिंता जताई है. हाल ही में ‘द लैंसेट’ पत्रिका में प्रकाशित एक टिप्पणी में अमेरिका और कनाडा के शोधकर्ताओं ने मेडिकली वेट लॉस के संदर्भ में मसल्स मास के महत्व के बारे में बताया. इसमें भी खासकर जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट के व्यापक उपयोग पर ध्यान दिया गया है.

हालांकि ये दवाएं मोटापे के इलाज में बहुत प्रभावी साबित हुई हैं, जो कई बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन वे वजन घटाने की प्रक्रिया के दौरान काफी मांसपेशियों का नुकसान भी कर सकती हैं. अमेरिका के पेनिंगटन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर और कनाडा के अल्बर्टा और मैकमास्टर विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने यह बात कही.

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25 से 39 प्रतिशत मसल्स मास कम हो सकता है:

उन्होंने बताया कि 36 से 72 हफ्तों में कुल वजन कम होने में 25 से 39 प्रतिशत मसल्स मास कम हो सकता है. जबकि मसल्स की भूमिका न केवल शारीरिक ताकत और कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए है, बल्कि यह मेटाबॉलिक हेल्दी और शरीर की इम्यून सिस्टम के कंट्रोल के लिए भी जरूरी है.

टीम ने पाया कि जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट्स से मांसपेशियों में कमी ज्यादा होती है. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह “एनएक्सपेक्टेड नेगेटिव हेल्थ रिजल्ट्स” का कारण बन सकता है, क्योंकि कम मांसपेशी वाले लोगों की इम्यूनिटी कम होती है और वे संक्रमण, खराब ग्लूकोज कंट्रोल और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होते हैं.

सार्कोपेनिक मोटापा बढ़ता है:

ज्यादातर मोटापे से पीड़ित लोगों में वजन कम करने के कारण मसल्स की कमी हो जाती है, जिससे सार्कोपेनिक मोटापा बढ़ सकता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और ज्यादा वजन दोनों होते हैं. यह हार्ट डिजीज और मृत्यु दर बढ़ाने में योगदान देता है.

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पेनिंगटन में मेटाबॉलिज्म और बॉडी कंपोजिशन के प्रोफेसर डॉ. स्टीवन हेम्सफील्ड ने वजन घटाने की दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों से “साइड इफेक्ट्स के प्रति जागरूक रहने” की अपील की. उन्होंने कहा कि, दवाओं के दौरान लोग “कम खा रहे हैं और जरूरी पोषण नहीं ले रहे हैं.”

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि वजन कम करने के लिए दवाओं के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और व्यायाम भी जरूरी है.

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