IPL Mumbai Indians Bowler Vignesh Puthur: केरल क्रिकेट लीग और तमिलनाडु प्रीमियर लीग में थोड़े समय के लिए खेलने के अलावा विग्नेश पुथुर को प्रथम श्रेणी क्रिकेट का भी अनुभव नहीं है.
IPL Mumbai Indians Bowler Vignesh Puthur: केरल के मल्लापुरम के विग्नेश पुथुर और बिहार के हाजीपुर की रौशनी कुमारी नई उम्मीदें जगा रहे हैं. उम्मीदें स्वस्थ लोकतंत्र की. उम्मीदें भारत के सुनहरे भविष्य की. सवाल अगर आपके मन में आ रहा है कि ऐसा क्यों तो जवाब ये कि ये दोनों गुदड़ी के लाल हैं. इन दोनों के पिता ऑटो-रिक्शा चलाते हैं. साफ है कि इनके पास संसाधनों की कमी थी, मगर फिर भी इन्होंने खुद की इच्छाशक्ति और मेहनत से कामयाबी हासिल की है. इन्होंने साबित किया है कि राजा का बेटा या बेटी ही राजा या रानी नहीं बनेंगे. भारत के लोकतंत्र ने उन्हें और सभी को ये मौका दिया है कि अगर इच्छाशक्ति के साथ मेहनत कोई करे तो उसे हर हाल में मंजिल मिल जाएगी.
विग्नेश पुथुर कौन हैं?

भारतीय क्रिकेट जगत के लिए अब तक अनजान रहे मुंबई इंडियंस के स्पिनर विग्नेश पुथुर (Vignesh Puthur) ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के अपने डेब्यू मैच में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ तीन विकेट लेकर तहलका मचा दिया. मुंबई की टीम 23 मार्च को खेले गए इस मैच को चार विकेट से हार गई, लेकिन केरल के 24 साल के स्पिनर ने अपनी काबिलियत से महेंद्र सिंह धोनी तक को परेशानी में डाल दिया. पुथुर ने चेन्नई के कप्तान रुतुराज गायकवाड़ (53) के साथ शिवम दुबे (09) और दीपक हुड्डा (03) के अहम विकेट चटकाए. उन्होंने 4 ओवरों में 32 रन दिए और तीन बड़े विकेट झटके. ऑटो रिक्शा चालक के बेटे पुथुर ने अब तक प्रथम श्रेणी या लिस्ट ए स्तर का मैच भी नहीं खेला है, लेकिन IPL में उनके प्रदर्शन से उम्मीदें बढ़ गईं हैं. केरल के मल्लापुरम के पुथुर कालीकट विश्वविद्यालय के पीटीएम गवर्नमेंट कॉलेज पेरिन्थालमन्ना से इंग्लिश में एम.ए. की पढ़ाई कर रहे हैं. उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते हैं. उनकी मां हाउस वाइफ हैं. केरल क्रिकेट लीग और तमिलनाडु प्रीमियर लीग में थोड़े समय के लिए खेलने के अलावा उन्हें प्रथम श्रेणी क्रिकेट का भी अनुभव नहीं है. स्थानीय लीग में पुथुर की प्रतिभा को देखकर मुंबई इंडियंस ने उन्हें टीम में लेने का मन बनाया और नतीजा दुनिया ने देखा.
खुशी कैसे की जाहिर
मुंबई इंडियंस के लिए खेलने के बाद विग्नेश बोले, ‘‘मैंने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि मैं इन सभी खिलाड़ियों के साथ खेलूंगा.”
विग्नेश पुथुर के पिता सुनील कुमार ने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं सोचा था कि वह पहले मैच में ही खेलेगा. हम बहुत खुश हैं. हमने कभी नहीं सोचा था कि उसे आईपीएल में खेलने का मौका मिलेगा. अब बहुत से लोग हमें बधाई देने के लिए कॉल कर रहे हैं और उम्मीद है कि वह सभी की उम्मीदों पर खरा उतरेगा.”
विग्नेश पुथुर की मां बिंदु ने कहा, ‘‘ उसने कल शाम को फोन करके कहा था कि आज रात मुझे खेलने का मौका मिल सकता है. हम कल रात हर गेंद को देख रहे थे और उसने अच्छा प्रदर्शन किया. उसने मैच के बाद रात में लगभग साढ़े 12 बजे फोन किया था. ”
पुथुर के बचपन के कोच विजयन ने कहा, ‘‘उसके सामने बहुत समय है. उम्मीद है कि वह और भी बहुत सी ऊंचाइयां हासिल करेगा. वह बहुत अनुशासित है और उसने बाएं हाथ की कलाई की स्पिन जैसी कठिन कला पर कड़ी मेहनत की है.”
बिहार की रौशनी कौन हैं?

बिहार बोर्ड 12वीं के नतीजे घोषित हुए तो कई गरीब परिवारों के बच्चे टॉपर बने. इनमें हाजीपुर की रौशनी की बात खास है. खास इसलिए कि कॉमर्स में रौशनी कुमारी ने 95 फीसदी अंक पाकर प्रदेश प्रदेश में टॉप किया है. रौशनी के पिता भी ऑटो-रिक्शा चलाते हैं. रौशनी ने रिजल्ट आने के बाद बताया कि उनके पिता रोजाना 500-600 रुपये तक ही कमा पाते हैं. ऐसे में उसे पता था कि वो अपने पिता पर पढ़ाई के खर्च का बहुत ज्यादा बोझ नहीं डाल सकती. रौशनी ने बताया कि एक टीचर के कहने पर उसने कॉमर्स को चुना. वे एक कोचिंग में गईं और अपनी फाइनेंशियल प्रॉब्लम बताते हुए वहां पढ़ाई के साथ-साथ काम मांगने लगीं. कोचिंग के टीचर ने रौशनी की समस्या को समझते हुए वहीं काम दे दिया. वहां काम के साथ वो पढ़ाई करने लगी. मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर टॉप कर गईं. रौशनी का ड्रीम सीए बनने का है. मगर, पिता की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सीएस करने का फैसला किया है. तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी रौशनी का कहना है कि वो अपने पिता के फाइनेंशियल प्रॉब्लम को जानती हैं. उनके भाई-बहनों की भी पढ़ाई जरूरी है. सीएस कम पैसे में हो जाएगा और वो इसकी पढ़ाई इंटर्नशिप में मिले पैसे से पूरा कर लेंगी.
घर में खुशियां ही खुशियां
रौशनी ने कहा, “मेरे पापा ऑटो चलाते हैं. कई बार घर में पैसे की तंगी रहती थी, लेकिन मम्मी-पापा ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया. मम्मी मेरे लिए दोस्त की तरह थीं, जो हर कदम पर साथ रहीं.”
रौशनी के पिता सुधीर कुमार ने रिजल्ट आने पर कहा, “मैंने ऑटो चलाकर अपनी बच्ची को पढ़ाया. कई बार एक वक्त का खाना खाकर दिन गुजारा, लेकिन बेटी की पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी.”
रौशनी की मां आरती देवी ने कहा, “हमारी बेटी दिन में 8-9 घंटे और रात को भी पढ़ती थी. उसका सपना था टॉप करना, और आज उसका जुनून पूरा हुआ.”
NDTV India – Latest
More Stories
डर्मेटोलॉजिस्ट ने बताया लड़कियां स्किन से जुड़ी यह गलतियां करती हैं रोजाना, त्वचा खराब हो सकती है
आंख पर पट्टी के बावजूद पूरे स्वैग में दिखे 89 साल के धर्मेंद्र, बोले- मैं हूं सबसे मजबूत
वक्फ बिल पर कल लोकसभा में होगी चर्चा, 8 घंटों का टाइम हो गया फिक्स