December 5, 2024
शिवसेना एनसीपी के बीच अनबन? क्यों भिड़े शिंदे और अजित गुट? मंत्रालयों को लेकर फंसा पेंच

शिवसेना-एनसीपी के बीच अनबन? क्यों भिड़े शिंदे और अजित गुट? मंत्रालयों को लेकर फंसा पेंच​

महाराष्‍ट्र में सरकार गठन की कुश्ती के बीच अजित पवार और एकनाथ शिंदे के गुटों वाली शिवसेना और एनसीपी में शायद सबकुछ ठीक नहीं है. कुछ बयानों से इसकी अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं.

महाराष्‍ट्र में सरकार गठन की कुश्ती के बीच अजित पवार और एकनाथ शिंदे के गुटों वाली शिवसेना और एनसीपी में शायद सबकुछ ठीक नहीं है. कुछ बयानों से इसकी अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं.

महाराष्‍ट्र में महायुति के सहयोगी दलों शिवसेना और एनसीपी के बीच मंत्रालयों को लेकर पेच फंसा हुआ बताया जा रहा है. खबरें हैं कि सार्वजनिक निर्माण विभाग, शहरी विकास और वित्त मंत्रालय जैसे कुछ मंत्रालय दोनों को चाहिए. हालांकि इस बीच दोनों गुटों के नेताओं में बयानबाजी शुरू हो गई है. शिवसेना के एक नेता ने कहा कि अजित दादा साथ नहीं होते तो सौ सीट लाते. जवाब में एनसीपी ने तीखा हमला बोला है.

सरकार गठन की कुश्ती के बीच अजित पवार और एकनाथ शिंदे के गुटों वाली शिवसेना और एनसीपी में शायद सबकुछ ठीक नहीं है. कुछ बयानों से इसकी अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं. दरअसल, शिंदे के विधायक गुलाबराव पाटिल ने कहा कि हमने केवल 85 सीटों पर चुनाव लड़ा, अगर अजित पवार गठबंधन में ना होते तो शिवसेना 90-100 सीटें जीत जाती.

एनसीपी ने दिया पाटिल को जवाब

जलगांव ग्रामीण से 59 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले गुलाब राव पाटिल के खिलाफ अजित पवार वाली एनसीपी के नेताओं ने तेवर दिखाते हुए फ़ौरन बयानबाजी शुरू कर दी. एनसीपी प्रवक्‍ता सूरज चव्‍हाण ने कहा कि गुलाबराव पाटिल को गुलाबराव पाटिल की तरह बात नहीं करनी चाहिए. सौभाग्य से उन्होंने यह नहीं कहा कि सभी भाजपा सांसद उनकी वजह से चुने गए.

बड़े नेताओं में छगन भुजबल भी एनसीपी का पक्ष रखने उतरे. उन्‍होंने कहा कि अगर वे हमारे साथ नहीं होते तो हम 100 सीटें हार जाते. तीनों ने मिलकर जो अच्छे फैसले लिए, उसका परिणाम मिला है.

हालांकि अब गुलाबराव पाटिल ने अपने बयान पर सफाई भी दी है और कहा है कि एनसीपी ने उनके कहे को गलत समझा.

अजित पवार ने दिल्‍ली में डाला डेरा

अजित पवार शुरुआत से ही भाजपा के मुख्यमंत्री को स्वीकार कर चुके हैंं, लेकिन खबरे हैं कि मंत्रालयों को लेकर उनके और शिंदे गुट के बीच पेंच फंसा हुआ है. इसलिए किसी ना किसी तरह गुस्सा गुटों में फूट रहा है. बीजेपी की इन दोनों सहयोगी पार्टियों को महाराष्‍ट्र सरकार में अपने पसंद के पोर्टफोलियो चाहिए. खबरें हैं कि पीडब्‍ल्‍यूडी, अर्बन डेवलपमेंट, फाइनेंस सहित कुछ ऐसे पोर्टफोलियो हैं जो एकनाथ शिंदे कैम्प और अजित पवार कैंप दोनो मांग रहे है.

यही वजह है कि अजित पवार खुद दिल्ली में डेरा डालकर बीजेपी आला कमान से चर्चा करने पहुंचे हैं.

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