मुंबई और आसपास 27 म्यूनिसिपल अस्पताल हैं जो इन वेंडर्स की दवाइयों पर दौड़ रहे हैं. करीब 50 आम दवाइयों को मुफ्त में मरीजों को बाँटने वाले अस्पताल परिजनों को अब पर्चा थमा रहे हैं.
सबसे अमीर महानगर पालिका बीएमसी के अस्पताल संकट में दिख रहे हैं! वेंडर्स ने दवाइयों की सप्लाई रोक दी है क्यूंकि बीएमसी ने उनका 120 करोड़ बकाया नहीं भरा है. दवा-वेंडर्स वित्तीय बर्बादी के कगार पर हैं तो गरीब मरीज़ों को दवाइयों का पर्चा थमाया जा रहा है. आर्थिक राजधानी मुंबई से रिपोर्ट.
बीएमसी अस्पतालों की दयनीय स्थिति है, 3 दिन का भी स्टॉक अब नहीं बचा है. गरीब मरीज़ों का अस्पताल है उनकी ही चिंता बीएमसी को नहीं है. हमारा पैसा क़रीब 7-8 महीने से रोक रखा है. वेंडर्स बताते हैं की वो वित्तीय बर्बादी के कगार पर हैं, भुगतान में देरी असहनीय हो गई है. ऐसे में भुगतान पूरा होने तक आपूर्ति स्थगित करने के अलावा इनके पास कोई विकल्प नहीं.
मुंबई और आसपास 27 म्यूनिसिपल अस्पताल हैं जो इन वेंडर्स की दवाइयों पर दौड़ रहे हैं. करीब 50 आम दवाइयों को मुफ्त में मरीजों को बाँटने वाले अस्पताल परिजनों को अब पर्चा थमा रहे हैं.
बीएमसी ने जब करीब 52,000 करोड़ का बजट पेश किया था तो हेल्थ सेक्टर को पूरे बजट का 12% हिस्सा दिया गया यानी करीब 6000 करोड़ रुपए! मुफ्त इलाज और मुफ्त दवाइयों के लिए शहर का गरीब तबका बीएमसी अस्पतालों पर निर्भर होता है. अब, ये 6,000 करोड़ किस काम का? अगर उन्हें ये नसीब ही ना हो?
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