सजीं हैं दुकानें, देखिए बिहार के समस्तीपुर में क्यों खाने के लिए हाथोंहाथ बिक रहा घोंघा​

 देखा जाए तो बरसात का मौसम शुरू होते ही बाजारों में घोंघे की बिक्री शुरू हो जाती है. घोंघा का दूसरा नाम डोका भी है. इसका स्वाद मटन से भी ज्यादा स्वादिष्ट होता है जिसकारण लोग इसे खूब पसंद करते है. (अविनाश कुमार की रिपोर्ट)

बरसात का मौसम शुरू होते ही बाजारों में घोंघा बिकना शुरू हो गया है. कई लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं और कई लोगों को तो इसका टेस्ट मटन से भी बेहतर लगता है. टेस्ट की बात करें तो वो तो सबकी अपनी-अपनी पसंद है लेकिन, यह स्वास्थ्य और सेहत के लिहाज से बहुत उपयोगी है. बिहार के समस्तीपुर के बाजारों में इसे देखा जा सकता है कि दुकानदार इसे बेच रहे हैं और ग्राहक खरीदने को बेताब हैं.

देखा जाए तो बरसात का मौसम शुरू होते ही बाजारों में घोंघे की बिक्री शुरू हो जाती है. घोंघा का दूसरा नाम डोका भी है. इसका स्वाद मटन से भी ज्यादा स्वादिष्ट होता है जिसकारण लोग इसे खूब पसंद करते है. हालांकि घोंघा समुद्री माना जाता है, लेकिन यह नदी और छोटे बड़े जलाशयों में भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है. घोंघा स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी उपयोगी माना जाता है.

घोंघा के फायदे

जानकारों की मानें तो घोंघा यानी डोका में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है जबकि इसमें सोडियम की मात्रा कम पायी जाती है. इस वजह से यह ब्लड प्रेशर के लेवल को मेंटेन करने में मदद करता है. इसमें कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है. जिस कारण हार्ट और किडनी की बीमारी के ज़ोखिम को कम करता है. घोंघा में प्रोटीन के साथ साथ जिंक की मात्रा भी होती है, जो महिलाओं और पुरषो में फर्टिलिटी बढ़ाने में जरूरी होता है. कुपोषित बच्चों जिनमे आयरन की कमी होती है उनके लिए भी यह काफ़ी उपयोगी माना जाता है. 

कितने में मिलता है घोंघा

समस्तीपुर शहर के ताजपुर रोड स्थित मछली बाजार में घोंघा 200 रुपये से 250 रुपये किलो तक प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाता है. लेकिन इन दिनों बारिस नही होने और अत्यधिक गर्मी पड़ने के जलाशयों सुख रहे है जिसकारण यह कम मात्रा में बाज़ार में मिलते है. इसे बनाने के लिए सबसे पहले उसके कवर को हटाकर गर्म पानी मे उबाल जाता है. उसके बाद उसे मटन की तरह ही बनाया जाता है.

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