समांथा रूथ प्रभु, जिनके पिता का शुक्रवार को निधन हुआ है. उन्होंने हाल ही में उनके साथ अपने रिश्तों पर बात की. गलाटा इंडिया को दिए इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने बताया कि कैसे उनके पिता के साथ रिश्ते ने उनकी लाइफ और पर्सनैलिटी को एक शेप दी है
समांथा रूथ प्रभु, जिनके पिता का शुक्रवार को निधन हुआ है. उन्होंने हाल ही में उनके साथ अपने रिश्तों पर बात की. गलाटा इंडिया को दिए इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने बताया कि कैसे उनके पिता के साथ रिश्ते ने उनकी लाइफ और पर्सनैलिटी को एक शेप दी है और कैसे इसका असर उनकी सेल्फ वर्थ और सक्सेस को हैंडल करने पर पड़ा. उन्होंने कहा, कामयाबी दो चीजें करती हैं. या तो तुम सोचते हो कि तुमसे कोई जीत नहीं सकता या फिर तुम्हे लगता है कि इतने प्यार और तारीफें तुम डिजर्व नहीं करते. मेरे लिए यह बाद वाला था.
आगे समांथा ने कहा, “जब मैं बड़ी हो रही थी, तब मुझे अपनी पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ा. मेरे पिता कुछ इस तरह के थे… मुझे लगता है कि ज्यादातर भारतीय माता-पिता ऐसे ही होते हैं. उन्हें लगता है कि वे आपकी रक्षा कर रहे हैं. उन्होंने मुझसे कहा, ‘तुम इतने होशियार नहीं हो. यह भारतीय शिक्षा का मानक है. इसलिए तुम भी पहला रैंक प्राप्त कर सकती हो.’ जब आप किसी बच्चे से ऐसा कहते हैं, तो मैं लंबे समय तक यही मानती रही कि मैं होशियार नहीं हूं और उतनी अच्छी भी नहीं हूं.”
आगे वह कहती हैं, जब ये माया चेसेवे (डेब्यू फिल्म) ब्लॉकबस्टर हुई और लोगों ने मेरी तारीफें की. मुझे पता नहीं था कि इसे किस तरह स्वीकार करूं. मुझे इसकी आदत नहीं थी. मैं डरती थी कि लोग उठेंगे और महसूस करेंगे कि मैं टेलेंटेड और कूल नहीं हू. मैं खुद को और अच्छा करने के लिए बढ़ा रही थी और अच्छा दिखने के लिए तारीफ के योग्य महसूस करने के लिए,”
आगे समांथा कहती हैं, 10-12 साल और उससे ज्यादा मुझे समझने में लगे कि मैं परफेक्ट नहीं हूं और कभी नहीं होंउंगी. लेकिन परफेक्ट नहीं होना भी कूल है.
NDTV India – Latest
More Stories
विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल बनेगा सहरसा का मत्स्यगंधा, केंद्र सरकार ने दी 97.61 करोड़ रुपये की राशि
Mahakumbh 2025: 12 साल में ही क्यों लगता है महाकुंभ मेला, जानें इसका महत्व और कारण
इन 6 लोगों के लिए चमत्कार से कम नहीं है सुबह खाली पेट भीगी किशमिश का सेवन