सोनी भंडारी ने 2015 में कंप्यूटर प्रोग्रामर की परीक्षा दी थी. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से आयोजित परीक्षा में भंडारी ने 78.75 प्रतिशत के साथ महिला कैटेगरी में तीसरा स्थान प्राप्त किया, लेकिन आज तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिला है.
एक अच्छी नौकरी पाने के लिए लोग खूब मेहनत से पढ़ाई करते हैं, बेहतर जीवन की उम्मीद में सरकारी नौकरी का एग्जाम देते हैं. हालांकि परीक्षा में शानदार प्रदर्शन और सलेक्शन के बावजूद भी यह तय नहीं है कि आपको नौकरी मिल ही जाएगी. सरकारी सिस्टम की मार कुछ लोगों को सलेक्शन के बाद भी बेरोजगार बनाए रखती है. देहरादून की सोनी भंडारी ने सरकारी परीक्षा पास की और महिला अभ्यर्थियों में तीसरी रैंक भी मिली, लेकिन 2015 से आज तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला. सिस्टम की मार उन्हें बेरोजगार बनाए है और पति के साथ सिस्टम से जंग अब रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा है.
देहरादून के कंडोली गांव के रहने वाली सोनी भंडारी ने साल 2015 में कंप्यूटर प्रोग्रामर की परीक्षा दी थी. यह परीक्षा 2015 में उत्तराखंड के अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से आयोजित की गई थी और परीक्षा में सोनी भंडारी ने 78.75 प्रतिशत के साथ महिला कैटेगरी में तीसरा स्थान प्राप्त किया. सोनी भंडारी को पूरी उम्मीद थी कि इस परीक्षा पास करने के बाद उन्हें नियुक्ति पत्र मिलेगा और वह जल्द नौकरी करेंगी.
उन बातों को 10 साल हो चुके हैं. नियुक्ति पत्र के लिए सोनी भंडारी अब भी संघर्ष कर रही हैं, जबकि जरूरी सारे कागज सोनी भंडारी के पास हैं, लेकिन फिर भी सिस्टम की मार ऐसी है कि नियुक्ति पत्र के बजाय उन्हें कभी कोर्ट तो कभी सरकारी विभाग के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
इस तरह से समझिए पूरा मामला
परीक्षा पास करने के बाद सोनी भंडारी बेहद खुश थीं, लेकिन संस्कृति तकनीकी शिक्षा विभाग ने नियुक्ति देने के बजाय रिजेक्शन लेटर थमा दिया. विभाग से जब रिजेक्शन का कारण पूछा गया तो यह कारण बताया गया कि ओ लेवल का डिप्लोमा विज्ञप्ति में मांगे गए डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन के समक्ष नहीं था. इसके बाद सोनी भंडारी और उनके पति ने शासन में तत्कालीन तकनीकी शिक्षा सचिव से बात की. तत्कालीन तकनीकी शिक्षा सचिव आरके सुधांशु ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद नई दिल्ली से इस संबंध में जानकारी मांगी. परिषद ने स्पष्ट तौर पर लिखा कि ओ लेवल डिप्लोमा को डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशंस यानी डीसीए के समक्ष ही माना गया है, लेकिन सोनी भंडारी को तकनीकी शिक्षा विभाग से नियुक्ति नहीं मिली. हारकर भंडारी ने हाई कोर्ट की शरण ली और हाई कोर्ट ने 2019 में इस मामले के तुरंत निपटान के निर्देश दिए.
सिस्टम की मार ने दी बीमारी
भारत सरकार और हाई कोर्ट के कहने के बावजूद भी 10 सालों से यह मामला लटका है. हालत यह हैं कि सोनी भंडारी एंजायटी की मरीज बन चुकी हैं. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब वह परीक्षा देने गई थी तो उनका बेटा 2 साल का था. उन पर घर की जिम्मेदारी थी, फिर भी परीक्षा दी और रैंकिंग में तीसरा स्थान प्राप्त किया. आज उनका बेटा 12 साल का हो चुका है और 2015 में कंप्यूटर प्रोग्राम की परीक्षा पास करने के बावजूद भी नियुक्ति की आस लगाए बैठी हैं.
कंप्यूटर क्लास चलाने की मजबूरी
सोनी भंडारी अपने पति सत्येंद्र नेगी के साथ कंप्यूटर क्लास और कोचिंग क्लासेस चलाकर अपने अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. उनके पति सत्येंद्र नेगी कहते हैं कि सरकारी नौकरी पाना इतना कठिन होता है कि यह कभी सोचा नहीं था. सत्येंद्र नेगी बताते हैं कि परीक्षा में अव्वल आने के बावजूद भी 10 सालों बाद नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाया है. ऐसे में उनकी पत्नी दिमागी रूप से परेशान हो चुकी है. एंजायटी की दवाइयां ले रही है, क्योंकि उच्च शिक्षित होने के बावजूद भी नौकरी नहीं है.
तकनीकी शिक्षा मंत्री से लगाई गुहार
सोनी भंडारी और उनके पति सत्येंद्र नेगी ने मौजूदा तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल के पास गुहार लगाई है. इस मामले में तकनीकी शिक्षा मंत्री ने तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव को मामले को देखने के निर्देश दिए हैं और जल्द इस पर ठोस कार्रवाई करने को भी कहा है.
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