उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 साल की उम्र में जबकि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश 62 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं. जिला न्यायाधीश 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं.
सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. सरकार ने साथ ही यह भी रेखांकित किया कि न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद के कार्यों के लिए संविधान में किसी भी ‘कूलिंग ऑफ’ अवधि का कोई उल्लेख नहीं है.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 साल की उम्र में जबकि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश 62 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं. जिला न्यायाधीश 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं.
विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.”
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल में सरकार ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति उम्र को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के बराबर करने के लिए लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था. लेकिन विधेयक को सदन में विचार के लिए नहीं लाए जाने के कारण यह निरस्त हो गया.
प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्न पूछते हुए आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों को कार्यकारी और राजनीतिक भूमिकाएं दी गई हैं. उन्होंने कहा कि कुछ सेवानिवृत्ति न्यायाधीश सदस्य के रूप में राज्यसभा में आते हैं तो कुछ सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल बनते हैं. उन्होंने दावा किया कि इससे लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं.
अपने जवाब में कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि आप सदस्य ने मुद्दे को राजनीतिक रूप देने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति अनुच्छेद 124, अनुच्छेद 217, अनुच्छेद 224 और उच्चतम न्यायालय के फैसलों के अनुसार एक प्रक्रिया ज्ञापन के आधार पर की जाती है.”
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस मुद्दे को उठाने के बजाय, उन्होंने कूलिंग-ऑफ अवधि का एक और विषय उठाया. सरकार के विचाराधीन न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.”
मेघवाल ने कहा, ‘‘उन्होंने मोदी सरकार की आलोचना करने के लिए यह ‘कूलिंग-ऑफ पीरियड’ वाक्यांश तैयार किया है क्योंकि संविधान में किसी भी कूलिंग पीरियड का कोई उल्लेख नहीं है.”
मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन न्यायाधिकरणों और संस्थानों को न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद नियुक्ति के लिए नहीं बनाया है. उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘इन न्यायाधिकरणों का गठन मोदी द्वारा नहीं किया गया है.”
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