क्या आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना दिल्ली की जरूरत है? क्या दिल्ली की जनता को केंद्र की इस योजना से दूर रखकर कोई गलती की गई है? या फिर दिल्ली की स्वास्थ्य योजना ने आयुष्मान योजना से आम लोगों को बचाया है? ये सवाल महत्वपूर्ण हैं. यह विषय केंद्र में काबिज बीजेपी और प्रदेश में काबिज आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का विषय भी रहा है. आम लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि सच क्या है और किस स्वास्थ्य मॉडल के साथ चला जाए?
क्या आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना दिल्ली की जरूरत है? क्या दिल्ली की जनता को केंद्र की इस योजना से दूर रखकर कोई गलती की गई है? या फिर दिल्ली की स्वास्थ्य योजना ने आयुष्मान योजना से आम लोगों को बचाया है? ये सवाल महत्वपूर्ण हैं. यह विषय केंद्र में काबिज बीजेपी और प्रदेश में काबिज आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का विषय भी रहा है. आम लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि सच क्या है और किस स्वास्थ्य मॉडल के साथ चला जाए?
बीजेपी दिल्ली की जनता को आयुष्मान योजना से दूर रखने के लिए आम आदमी पार्टी पर इल्जाम लगाती है लेकिन इस इल्जाम को आम आदमी पार्टी खारिज करती. इसे भी समझा जाना चाहिए. आयुष्मान योजना में अधिकतम 5 लाख तक का इलाज संभव होता है. अस्पताल में भर्ती होने की शर्त है. 12 करोड़ से ज्यादा गरीब और कमजोर परिवारों को यह योजना कवर प्रदान करता है. यह संख्या आबादी का 40% है. योजना की खासियत कैशलेस कवर है. पूरी योजना में परिवार के आकार, आयु या लिंग के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं है. आयुष्मान योजना के पैनल में शामिल सरकारी-गैर सरकारी किसी भी अस्पताल में इलाज कराया जा सकता है.
आयुष्मान योजना में उपेक्षित सीनियर सिटिजन अब जुड़े. पहले 70 साल से अधिक उम्र के लोगों का आयुष्मान योजना में इलाज नहीं होता था लेकिन अब केंद्र सरकार ने नियमों में बदलाव किया है. अब 70 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटिजन को भी आयुष्मान योजना में शामिल कर लिया गया है. इससे 6 करोड़ सीनियर सिटीजन को लाभ मिलेगा. इससे साफ है कि वास्तव में जितना बताया जा रहा है उतना लाभ आम नागरिकों को आयुष्मान योजना से नहीं मिलता रहा है. तभी आयुष्मान योजना में बदलाव की निरंतर जरूरत महसूस होती रही है.
देशभर में 29,929 अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत पैनल में हैं जिनमें 13,222 निजी अस्पताल हैं. अगर इन अस्पतालों में सही तरीके से आम लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलता तो उपलब्धि उल्लेख करने योग्य होती. मगर, फिलहाल उल्लेखनीय यही है कि आयुष्मान योजना भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. यह बात अब सिर्फ राजनीतिक आरोप भर नहीं रही. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में आयुष्मान योजना को स्वीकार करने में जो झिझक या संकोच दिखलाया है उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि आयुष्मान योजना का लाभ आम लोगों को मिलना बेहद मुश्किल रहा है. दरअसल यह योजना चिकित्सा माफिया के लिए कमाई का स्रोत बन चुकी है.
सीएजी ने आयुष्मान में पकड़ा घोटाला!
सीएजी की रिपोर्ट में यह सनसनीखेज खुलासा हो चुका है कि एक ही मोबाइल नंबर से 7 लाख 49 हजार 820 लाभार्थी जुड़े हुए थे. एक और मोबाइल नंबर से 1.39 लाख लोग आयुष्मान योजना से जुड़े मिले. और, इसी तरह एक अन्य मोबाइल नंबर से 96,046 लोग आयुष्मान योजना से जुड़े पाए गए. स्पष्ट है कि योजना के लाभार्थी भी फर्जी होंगे और मेडिकल सुविधा भी. यह भ्रष्टाचार किसकी कीमत पर हुआ है? आम लोगों की कीमत पर.
संसद में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार 2018 में शुरू हुई आयुष्मान योजना में अब तक 3,42,988 फ्रॉड केस सामने आए हैं. इनमें से 2,86,771 मामले मेडिकल मैनेजमेंट और 56,217 सर्जिकल मैनेजमेंट कैटेगरी के हैं. सवाल ये है कि इतनी बड़ी संख्या में फ्रॉड हो रहे हैं और सज़ा किसी को नहीं मिल रही है तो क्यों?
लूट के लिए गैरजरूरी ऑपरेशन में जा रही है जान
ताज़ा उदाहरण गुजरात का है. गुजरात के दो युवकों की जान इसलिए चली गई क्योंकि अस्पताल ने आयुष्मान योजना के तहत मेडीक्लेम से कमाई के लिए उन दोनों का गैर जरूरी तरीके से ऑपरेशन कर दिया. आर्टरी ब्लॉक को 80-90 प्रतिशत बताकर ऑपरेशन किए गए जबकि वास्तव में फुटेज रिपोर्ट में ऐसा नहीं था. एक मामले में 30 से 40% का ब्लॉकेज था तो दूसरे मामले में ब्लॉकेज था ही नहीं. ख्याति मल्टीस्पेशियलिटी को आयुष्मान योजना के पैनल से हटा दिया गया है. 2024 में अब तक 12 अस्पताल गलत कारणों से डी-पैनलाइज्ड हो चुके हैं.
सवाल यह है कि अस्पतालों को डी-पैनलाइज्ड कर देने मात्र से आयुष्मान योजना प्यूरीफाइ हो जाएगी? आम लोग सुरक्षित हो जाएंगे? चाहे जितने लोग भी आयुष्मान योजना या किसी भी योजना से लाभान्वित हों, अगर उस योजना से मरीजों को जान गंवानी पड़ रही है और वो भी इसलिए कि लुटेरे लूट कर सकें तो ऐसी योजना को दिल्ली क्यों स्वीकार करे? देश में इसे अस्वीकार क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
आयुष्मान योजना के बगैर भी दिल्ली खुश
दिल्ली का स्वास्थ्य मॉडल देश में लागू हो तो किसी आयुष्मान योजना की जरूरत ही नहीं रह जाती है. आयुष्मान योजना केवल पांच लाख रुपये तक की बीमा सुनिश्चित करता है जबकि दिल्ली में एक करोड़ रुपये तक का इलाज मुफ्त होता है. आयुष्मान योजना का लाभ लेने के लिए अस्पताल में भर्ती होने की शर्त है जबकि दिल्ली स्वास्थ्य योजना ऐसी किसी भी शर्त से आम लोगों को आजाद रखता है. मोहल्ला क्लीनिक के रूप में दिल्ली के लोगों को घर के आसपास नि:शुल्क ओपीडी की सुविधा उपलब्ध है जो आयुष्मान योजना में कवर ही नहीं होती.
देश का स्वास्थ्य बजट महज 1.8 से 2 प्रतिशत तक का है जबकि दिल्ली में स्वास्थ्य बजट 16 प्रतिशत है. दिल्ली के 38 अस्पतालो में 81 हजार ओपीडी और 65,806 आईपीडी चल रहे हैं. इसी तरह दिल्ली में 530 मोहल्ला क्लीनिक हैं जहां हर रोज 64 हजार लोग दवा, जांच और इलाज करा रहे हैं. दिल्ली में आम लोगों को बगैर मेडीक्लेम के मुफ्त इलाज मिल रहा है. ऐसे में आयुष्मान योजना की कोई कमी महसूस नहीं हो रही है. दिल्ली का स्वास्थ्य मॉडल अपने आप में मजबूत है. एम्स जैसे संस्थानों में देशभर के लोग इलाज कराने आते हैं. दिल्ली न सिर्फ अपनी आबादी के लिए इलाज मुहैया करा रही है बल्कि देशभर के लोगों का इलाज यहां होता है. यही वजह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल स्वास्थ्य के दिल्ली मॉडल को ही देश में अपनाने की वकालत करते हैं.
(प्रेम कुमार तीन दशक से पत्रकारिता में सक्रिय हैं, और देश के नामचीन TV चैनलों में बतौर पैनलिस्ट लंबा अनुभव रखते हैं)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
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