Urinary Incontinence: पेशाब से जुड़ी इस बीमारी को यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस कहते हैं. पुरुषों में भी ये बीमारी पाई जाती है, लेकिन महिलाओं की तुलना में कम. हर 8 में से 1 पुरुष को ये समस्या होती है, वहीं महिलाओं में तीन में एक महिला को ये समस्या होती है.
Urine Leakage (Urinary incontinence): जरा सी छींक या खांसी आने पर यूरिन निकल आता है. महिलाओं में ये समस्या अधिक देखी जाती है. कई बार इसकी वजह से उन महिलाओं को शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ता है. पेशाब से जुड़ी इस बीमारी को यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस कहते हैं. पुरुषों में भी ये बीमारी पाई जाती है, लेकिन महिलाओं की तुलना में कम. हर 8 में से 1 पुरुष को ये समस्या होती है, वहीं महिलाओं में तीन में एक महिला को ये समस्या होती है.
What is Urinary incontinence:यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस का मतलब होता है कि व्यक्ति के न चाहते हुए भी बॉडी में स्टोर यूरिन का अपने आप निकल जाना (Urine Leakage). दरअसल, यूरिन हमारे ब्लैडर में स्टोर होती रहती है, जब ब्लैडर भरने लगता है तब हमें यूरिन पास करने की जरूरत होती है और इसका प्रेशर महसूस होता है. कई लोग ऐसे हैं जो पेशाब आने पर भी यूरिन रोक लेते हैं. इनकॉन्टिनेंस की प्रॉब्लम तब होती है जब पेशाब को रोककर रखने वाली मांसपेशियां कमजोर (Overactive bladder) पड़ जाती हैं. ऐसे में तेज हंसने या खांसी का हल्का सा झटका पड़ने पर भी यूरिन निकल आती है.
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इस वजह से होती है मिड एड महिलाओं में ये समस्या (Urinary incontinence – Symptoms and causes)
औरतों में ये बीमारी उम्र बढ़ने के साथ कॉमन हो जाती है. अधिकतर महिलाओं में 30-35 की उम्र के बाद ये परेशानी देखी जाती है.बच्चे की डिलीवरी के बाद कई महिलाओं के शरीर के निचले हिस्से के मसल्स कमजोर हो जाते हैं, क्योंकि बच्चे को जन्म देने में नीचे के मसल्स ज्यादा स्ट्रेच होते हैं. ऐसा अक्सर तब देखा जाता है, जब कोई मां काफी पतली हो और पैदा हुआ बच्चा काफी हेल्दी हो.इसके अलावा मोटापा और डायबिटीज की वजह से भी ये परेशानी होने लगती है. जो लोग बहुत ज्यादा कॉफी पीते हैं, या फिर स्मोकिंग करते हैं उनमें ये समस्या हो सकती है.
क्या है इलाज | Urinary incontinence: Treatment
लंबे समय तक अगर ये प्रॉब्लम होती है, तो डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर्स पहले मरीज को लाइफ स्टाइल सुधारने की सलाह देते हैं. कॉफी-चाय और स्मोकिंग से परहेज करने को कहा जाता है.मसल्स को मजबूत बनाने के लिए एक्सरसाइज सिखाई जाती है, इसे पेल्विक फ्लोर मसल ट्रेनिंग कहते हैं.पेशेंट को ब्लैडर ट्रेनिंग भी दी जाती है. बहुत जोर से पेशाब आने पर उससे कैसे डील किया जाए. ट्रेनिंग के माध्यम से ब्लैडर को धीरे-धीरे यूरिन रोकने के लिए प्रशिक्षित करते हैं.दवाएं भी दी जाती है, या कुछ मामलों में ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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