December 28, 2024
हद कर दी आपने... डियर ऑस्ट्रेलिया, कोहली से यह कैसा बदला?

हद कर दी आपने… डियर ऑस्ट्रेलिया, कोहली से यह कैसा बदला?​

मैदान पर मैच के दौरान विराट कोहली भले आपको आक्रमक दिखते हों लेकिन सही मायनों में वो क्रिकेट के एक ऐसे एंबेसडर हैं जिन्हें देखकर हर कोई अब उनकी तरह ही बनना चाहता है.

मैदान पर मैच के दौरान विराट कोहली भले आपको आक्रमक दिखते हों लेकिन सही मायनों में वो क्रिकेट के एक ऐसे एंबेसडर हैं जिन्हें देखकर हर कोई अब उनकी तरह ही बनना चाहता है.

क्रिकेट को हमेशा से ही जेंटलमैन्स गेम कहा जाता है. इसे खेलने वाला भी जेंटलमेन और इसे देखने वाला भी. इस खेल को जेंटलमैन्स गेम्स का मिला ये तमका यूं ही आगे भी बरकरार रहे इसके लिए ICC यानी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने कई कड़े नियम भी बनाए हैं. ये नियम इसलिए भी बनाए गए हैं ताकि अगर किसी खिलाड़ी से कोई गलती हो जाए तो उसपर जुर्माना लगाया जा सके. जुर्माना लगाने के पीछे का मकसद सिर्फ ये होता है कि अगली बार जब वह खिलाड़ी मैदान पर उतरे तो खेल को मर्यादा के अंदर रहकर ही खेले. बीतते समय के साथ क्रिकेट का स्वरूप बदला है. इस खेल को मिलने वाले अथाह प्रेम के पीछे इसे देखने और इससे प्यार करने वाले दर्शकों की भूमिका भी काफी अहम है. ऐसे में ये खेल जेंटलमैन्स गेम ही बना रहे, ये तय करने की कुछ हद तक जिम्मेदारी उन दर्शकों की भी होती है जो मैदान में मौजूद रहकर अपने टीम की हौसला अफजाई करते हैं.

खेल के मैदान में अपनी टीम के खिलाड़ियों को मेहमान टीम के खिलाड़ियों की तुलना में ज्यादा प्यार देना उनके लिए लगातार चीयर करना, एक सामान्य सी बात है लेकिन इस चियरिंग की आड़ लेकर किसी मेहमान खिलाड़ी को ह्यूमिलिएट करने की कोशिश की जाए तो ये कहीं से भी सही नहीं मानी जाएगी. इसे ना तो अच्छे खेल भावना का परिचय माना जा सकता है और ना ही बेहतर मेहमाननवाजी. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी बॉर्डर गवास्कर सीरीज के चौथे टेस्ट के दौरान मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर किंग कोहली के साथ कुछ फैन्स ने जिस तरह का व्यवहार किया उसे कहीं से भी जस्टिफाई नहीं किया जाना चाहिए.

एक फैन के तौर पर मैदान पर किसी बड़े खिलाड़ी से बेहतर खेल की अपेक्षा करना बिल्कुल जायज बात है. जायज इसलिए भी क्योंकि आप दर्शक ही उस खिलाड़ी के हर अप्स एंड डाउन में मैदान के अंदर और बाहर उनके साथ होते हैं. और कई बार तो फैंस का इस तरह का समर्थन देख उस खिलाड़ी को अपने खेल को और निखारने में मदद भी मिलती है. लेकिन किसी खिलाड़ी विशेष से अपनी निजी चीढ़ की वजह से अगर आप उसके प्रति गलत शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. तो एक फैंन के तौर ये किसी को शोभा नहीं देता.

आखिर मैदान पर ऐसा हुआ क्या ?

मेलबर्न में जारी चौथे टेस्ट में भारत की पहली पारी के दौरान टीम इंडिया को शुरुआती कुछ झटके लगने के बाद पारी को संभालते दिख रहे थे. विराट कोहली और यशस्वी जायसवाल केस के बीच एक अच्छी साझेदारी दिख रही थी. फिर मैदान के बीच में दोनों खिलाड़ियों के बीच हुई मिस अंडरस्टैंडिंग की वजह से यशस्वी जायसवाल रन आउट हो जाते है. रीप्ले देखकर लगता है कि अगर विराट कोहली की तरफ थोड़ी बेहतर कॉलिंग की गई होती तो शायद जायसवाल को रनआउट होने से बचाया जा सकता था. जायसवाल के आउट होने के बाद अब मैच पर भारत की पकड़ मजबूत करने की जिम्मेदारी विराट कोहली पर थी. भारतीय दर्शक विराट कोहली के लिए चीयर कर रहे थे. लेकिन विराट कोहली अगले ही ओवर में बोलैंड की गेंद पर एलेक्स कैरी को कैच थमा बैठे. आउट होने के बाद विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ बढ़ रहे थे. इस दौरान विराट कोहली ने जैसे ही बाउंडरी लाइन पार ऑस्ट्रेलियाई दर्शक उन्हें बुली करने (उन्हें देखकर शोर मचाने) लगे. विराट कोहली फिर भी ड्रेसिंग रूम की तरफ बढ़ते रहे लेकिन इससे पहले की वह ड्रेसिंग रूम की तरफ और आगे बढ़ पाते किसी ऑस्ट्रेलियाई दर्शक ने उन्हें कुछ ऐसा कहा कि कोहली को वापस आना पड़ा. कोहली दर्शकों की तरफ देखकर बेहद गुस्से में दिख रहे थे. लेकिन उन्होंने किसी से कुछ कहा नहीं और फिर वो ड्रेसिंग रूम के अंदर चले गए.

तो क्या इस वजह से टीम इंडिया से चिढ़े बैठे हैं ऑस्ट्रेलियाई दर्शक

दुनिया में आज के दौर में अगर कोई सीरीज सबसे ज्यादा चर्चित है तो वो है भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जाने वाला बॉर्डर-गवास्कर सीरीज. इस सीरीज की शुरुआत से लेकर आज तक की अगर बात करें तो टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया पर भारी पड़ी है. आंकड़े बताते हैं कि अभी तक दोनों देशों के बीच कुल 16 बार बॉर्डर-गवास्कर ट्रॉफी खेली जा चुकी है जिसमें से टीम इंडिया ने कुल 10 बार ये सीरीज अपने नाम की है. इन 10 सीरीज में से तो दो सीरीज जीत ऑस्ट्रेलिया में है.जबकि ऑस्ट्रेलिया भारत में सिर्फ एक बार ये सीरीज जीत पाया है.

2014-2015 में हुई सीरीज वो आखिरी सीरीज थी जिसे ऑस्ट्रेलिया ने जीता था. उसके बाद हुई चारों सीरीज भारत के ही नाम रही है. ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि टीम इंडिया और उनके खिलाड़ियों को लेकर जिस तरह का हेट ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों में दिख रहा है कहीं वो इन्हीं सीरीज हार का तो परिणाम तो नहीं है.

किंग कोहली को उकसाना कहीं पड़ ना जाए भारी

मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में चौथे टेस्ट के दौरान जो कुछ भी हुआ वो कहीं से भी सही नहीं था. विराट कोहली को ऑस्ट्रेलिया में बुली करना या उन्हें लेकर शोर मचाना कोई नई बात नहीं है. ये पिछले कई दौरों से चला आ रहा है और विराट कोहली ने ऐसा करने वालों को हमेशा से ही करारा जवाबा भी दिया है. अगर ऑस्ट्रेलिया में होम टीम के खिलाफ किंग कोहली के रिकॉर्ड पर एक नजर मारें तो वो ये इस बात की तस्दीक करते हैं कि जब-जब, किसी ने चाहे वो आस्ट्रेलियाई क्रिकेट हो या फिर ऑस्ट्रेलियाई फैन, ने किंग कोहली को उकसाने की कोशिश की है तो वो घरेलू टीम के ही खिलाफ गया है और विराट ने उनके गेंदबाजों की जमकर धुनाई की है. विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ उन्हीं के मैदान पर कुल 16 टेस्ट मैचों में 50.96 की औसत के साथ 1500 से ज्यादा रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 7 शतक भी जड़े हैं.

खेल भावना का ज्ञान कोई कोहली को मत दें

मैदान पर मैच के दौरान विराट कोहली भले आपको आक्रमक दिखते हों लेकिन सही मायनों में वो क्रिकेट के एक ऐसे एंबेसडर हैं जिन्हें देखकर हर कोई अब उनकी तरह ही बनना चाहता है. यही वजह थी कि जब मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में विराट कोहली पर आईसीसी ने ये कहते हुए जुर्माना लगाया कि उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई ओपनर बल्लेबाज सैम कोंस्टास को टक्कर मारी है तो खुद कोंस्टास उनके बचाव में उतर आए और उन्होंने कहा कि कोहली ने ये जानबूझकर नहीं किया है. विराट कोहली ने क्रिकेट के मैदान पर कई बार बेहतर खेल भावना का परिचय देते हुए दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया था. ऐसा ही एक वाक्या है 2019 का, जब ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज स्टीव स्मिथ बॉल टेंपरिंग और धोखेबाजी के आरोपों की वजह से बैन झेलने के बाद फिर से मैदान में वापसी कर रहे थे.

इंग्लैंड में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वो वनडे विश्वकप का मैच था. मैदान पर जैसे ही स्टीव स्मिथ बल्लेबाजी करने उतरे तो स्टेडियम में मौजूद दर्शन उनका नाम लेकर हूटिंग करने लगे. उस समय भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे थे विराट कोहली. उन्हें ये अच्छे से पता था कि किसी खिलाड़ी के लिए बैन के बाद मैदान में वापसी करना किस कदर मुश्किल हो सकता है. कोहली बीच में मैदान में स्टीव स्मिथ के लिए हूटिंग करने वालों को चुप रहने का इशारा करते दिखे और उन्होंने दर्शकों से स्मिथ के लिए तालियां बजाने के लिए कहा. विराट कोहली के इस जेसचर की सबने तारीफ की.

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया से पार की सारीं हदें

ऑस्ट्रेलिया में टूर करना किसी भी मेहमान टीम के लिए कभी भी आसान नहीं रहा है. औऱ बात अगर ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराने की हो तो उसकी कल्पना करना भी कई टीमों के लिए आज भी एक सपने जैसा है. लेकिन टीम इंडिया ने बीते दशक भर में ना सिर्फ ऑस्ट्रेलिया का टूर किया बल्कि उसे उसकी जमीन पर ही पटखनी भी दी. आज भी दुनिया की दूसरी टीमों के लिए जो सपने जैसा उसे भारतीय टीम ना सिर्फ अपने लिए साकार किया है बल्कि ऑस्ट्रेलिया को उसकी ही जमीन पर पटखनी भी दी है. ऑस्ट्रेलिया का टूर करने वाले किसी भी टीम के लिए मैदान में जहां ऑस्ट्रेलियाई टीम से भिड़ना चुनौती रहा है वहीं मैदान के बाहर उनका इंतजार ऑस्ट्रेलिया की मीडिया करती है.

ऑस्ट्रेलिया की मीडिया हर माध्यम से मेहमान टीम पर मैच शुरू होने से पहले दबाव बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती. खैर ये सारी चीजें तो सदियों से चली आ रही हैं लेकिन सैम कोंस्टस और विराट कोहली को लेकर शुरू हुए विवाद तो ऑस्ट्रेलिया की मीडिया ने सारी हदे ही पार कर दीं है. इसका जीता जागता उदाहरण है विराट कोहली के लिए वहां की मीडिया वाले छपने वाले आर्टिकल. वहां के अखबारों ने बेशर्मी की सारी हदे पार करते हुए विराट कोहली को क्लॉन कोहली तक लिख डाला है. वेस्ट ऑस्ट्रेलियन अखबार ने विराट के लिए ‘क्लोन’ (जोकर) शब्द का इस्तेमाल किया. वहीं, ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने हेराल्ड सन के लिए अपने कॉलम में विराट कोहली पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा- क्रिकेट विराट कोहली की हरकतों के साथ खड़े रहने में विफल है. उन्होंने लिखा कि जो अपराध कोहली ने किया, उसके हिसाब से उन्हें मिली सजा बेहद कम है.’ वहीं, एक और ऑस्ट्रेलियाई अखबार ने कोहली के मुंह में पेसिफायर ठूस दिया है. इस आर्टिकल की हेडिंग ‘किंग कॉन’ है.

समरजीत सिंह NDTV में कार्यरत हैं और खेल और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते रहे हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं

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