हमने जान लगा दी फिर भी… शहरी इलाकों में कम वोटिंग पर CEC राजीव कुमार का छलका दर्द​

 NDTV इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स 2024 में पहुंचे CEC राजीव कुमार ने बताया, “भारत में लोकतंत्र को जिंदा रखने का क्रेडिट प्रिसाइडिंग ऑफिसर यानी चुनाव अधिकारियों को जाता है. चुनाव आयोग इन्हीं की वजह से काम कर पाता है.”

देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि भारत के लोकतंत्र के रचयिता यानी मतदाता पहले से कहीं ज्यादा मैच्योर हो चुके हैं. आज के वोटर्स को पता है कि उन्हें क्यों वोट करना है. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में शहरी इलाकों में कम वोटिंग पर CEC ने हैरानी भी जताई. उन्होंने कहा, “हमने जान लगा दी थी, लेकिन फिर भी शहरी इलाकों में कम वोटर्स बूथ तक पहुंचे.” 

CEC राजीव कुमार ने इस दौरान चुनाव आयोग पर उठाने वालों को भी जवाब दिया. उन्होंने कहा, “कविता में कई रस होते हैं. श्रृंगार रस, वीर रस, करुणा रस और भी रस हैं. मुझे लगता है कि धीरे-धीरे निंदा रस का चलन भी बढ़ता जा रहा है. चुनाव आयोग को लेकर पूरा सोशल मीडिया निंदा रस से भरा हुआ है. आप आज प्रशंसा कर रहे हैं, यानी आप प्रशंसा रस की तरफ जा रहे हैं.”
 

NDTV इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स 2024 में पहुंचे CEC राजीव कुमार ने बताया, “भारत में लोकतंत्र को जिंदा रखने का क्रेडिट प्रिसाइडिंग ऑफिसर यानी चुनाव अधिकारियों को जाता है. चुनाव आयोग इन्हीं की वजह से काम कर पाता है. भारत में साढ़े 10 लाख पोलिंग बूथ हैं. हर बूथ पर करीब-करीब 4 से 5 प्रिसाइडिंग ऑफिसर के साथ बाकी चुनाव कर्मी होते हैं. यानी 10.5x5x5= 55 लाख चुनाव कर्मी. इन चुनाव कर्मियों में टीचर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, कृषि विभाग के कर्मी समेत बाकी डिपार्टमेंट के लोग शामिल होते हैं. इन सभी को इलेक्शन ड्यूटी के लिए रैंडम चुना जाता है.” 

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