युवाओं की लगातार हो रही मौत को लेकर रांची रिम्स के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंशुल कुमार का कहना है कि जो युवक नियमित अभ्यास नहीं कर रहे है, उन्हें ध्यान रखना होगा कि अचानक दस किलोमीटर की दौड़ में हिस्सा नहीं ले.
झारखण्ड में उत्पाद सिपाही (Excise Constable) बहाली के लिए आयोजित दौड़ में दस दिनों के दौरान अलग- अलग केन्द्रों पर करीब दस अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है. वहीं सैकड़ों अभ्यर्थी बेहोश हो चुके हैं. बताया जा रहा है की कई युवा लंबी दौड़ के लिए दवा का प्रयोग भी करते हैं. इस कारण ऐसी घटना हो रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए 583 उत्पाद सिपाही के पदों पर नियुक्तियां निकाली थी. उत्पाद विभाग की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. इस प्रक्रिया में हजारों की संख्या में अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं. अभ्यर्थियों को 10 किमी की दौड़ पूरी करनी पड़ रही है. इस दौड़ के चक्कर में कई अभ्यर्थियों की तबीयत बिगड़ रही हैं. इस दौरान विभिन्न जिलों में दौड़ के दौरान कई अभ्यर्थियों की मौत हुई है तो कई अस्पताल में ज़िंदगी और मौत से जंग लड़ रहे है.
जानकारों की मानें तो झारखंड में किसी भी शारीरिक परीक्षा में इस तरह का मामला पहले नहीं आया था. युवाओं की लगातार हो रही मौत को लेकर रांची रिम्स के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंशुल कुमार का कहना है कि जो युवक नियमित अभ्यास नहीं कर रहे है, उन्हें ध्यान रखना होगा कि अचानक दस किलोमीटर की दौड़ में हिस्सा नहीं ले. बिना स्वास्थ्य जांच कराये लंबी दौड़ में युवाओं को शामिल नहीं होना चाहिए. हार्ट व फेफड़े की बीमारी रहने पर लंबी दौड़ लगाने से मौत हो सकती है.
पुलिस मुख्यालय की ओर से कहा गया है कि उत्पाद सिपाही शारीरिक परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों की हुई मौत मामले की जांच करायी जायेगी. पुलिस का कहना है कि यूडी केस दर्ज कर मामले की जांच करायी जायेगी. दुर्भाग्यवश कुछ केंद्रों में शारीरिक परीक्षा के क्रम में कुछ अभ्यर्थियों की मौत हो गयी. इस मामले में यूडी केस दर्ज किया गया है. मृत्यु का कारण जानने का प्रयास किया जा रहा है.
बहरहाल यह पहला मामला है जब नौकरी के लिए युवाओं ने दौड़ लगायी और 10 लोगों के लिए ये मौत की दौड़ साबित हुई. कारण जानने के लिए पुलिस से लेकर सरकार तक ने पहल शुरू कर दिया है. अब सब की निगाहे टिकी होगी जांच की रिपोर्ट पर.
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