बॉलीवुड का सुनहरा दौर अपने आप में कई रूमानी कहानियां छिपाए हुए है. यहां कई ऐसे हरफनमौला हुए हैं जो एक्टिंग के साथ साथ सिंगिंग का भी जादू चलाते थे.
बॉलीवुड का सुनहरा दौर अपने आप में कई रूमानी कहानियां छिपाए हुए है. यहां कई ऐसे हरफनमौला हुए हैं जो एक्टिंग के साथ साथ सिंगिंग का भी जादू चलाते थे. ऐसी ही एक्ट्रेस कम सिंगर थीं जिन्होंने बचपन में ही गाना शुरु कर दिया था और आगे जाकर उनकी एक्टिंग के भी लोग दीवाने हो गए. इस एक्ट्रेस को अपने दौर के सबसे रोमांटिक हीरो से प्यार हुआ लेकिन ये प्यार शादी में तब्दील नहीं हो पाया और इसी गम में एक्ट्रेस ताउम्र अविवाहित ही रहीं.
पहली नजर में ही देव साहब की दीवानी हो गई थी सुरैया
जी हां बात हो रही है अपने दौर की मशहूर एक्ट्रेस सुरैया की. सुरैया की आवाज जितनी सुरीली थी, वो उतनी ही खूबसूरत भी थीं. महज 12 साल की उम्र में सुरैया ने सिंगिंग शुरु कर दी थी. वो कम ही उम्र में अच्छी खासी मशहूर हो गई थीं. इसके बाद उन्होंने फिल्मों में कदम रखा और वहां भी अपनी एक्टिंग के दम पर वो स्क्रीन पर छा गईं. सुरैया ने यूं तो अपने जमाने के सभी बड़े स्टार्स के साथ काम किया लेकिन उनकी जोड़ी देव आनंद साहब के साथ खूब जमी.
1948 में इन दोनों की पहली मुलाकात फिल्म विद्या के सेट पर हुई थी. धीर धीरे सुरैया और देव आनंद को एक दूसरे से प्यार हो गया. देव आनन्द और सुरैया एक दूसरे से गहरी मोहब्बत करने लगे लेकिन धर्म की दीवार इनकी शादी के बीच में आ गई. देव साहब तो सब कुछ अलग रखकर सुरैया से शादी करना चाहते थे लेकिन सुरैया की नानी नहीं चाहती थीं कि सुरैया दूसरे धर्म में शादी करें. इस तरह दोनों की मोहब्बत अधूरी रह गई.
नानी की वजह से नहीं हो पाई सुरैया और देव साहब की शादी
कुछ सालों बाद देवानंद ने कल्पना कार्तिक से शादी कर ली लेकिन सुरैया ने देव साहब की याद में ताउम्र शादी नहीं की. सुरैया और देव आनन्द ने एक साथ सात फिल्मों में काम किया. कहते हैं कि दोनों एक दूसरे के प्यार में इतने पागल थे कि फिल्म के सेट पर ही शादी करने का प्लान बन गया था. लेकिन किसी ने सुरैया की नानी तक खबर कर दी और नानी सुरैया को घसीटते हुए घर ले गई. इसके बाद सुरैया के देव साहब से मिलने पर पाबंदी लग गई. हालांकि देव साहब ने हीरे की अंगूठी देकर सुरैया को प्रपोज किया था और ये अंगूठी सुरैया की नानी ने समुद्र में फिकवा दी थी. सुरैया ने जब आखिरी बार देव साहब से मुलाकात की तो बताया कि वो नहीं चाहतीं कि उनकी वजह से देव साहब मर जाएं. इसके बाद देव साहब और सुरैया कभी नहीं मिले और इस प्रेम कहानी का दुख भरा अंत हो गया.
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