November 23, 2024
1984 सिख विरोधी दंगा मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत: अदालत

1984 सिख विरोधी दंगा मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत: अदालत​

1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) पर अदालत ने आरोप तय करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने माना कि उनके खिलाफ पर्याप्‍त सबूत हैं.

1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) पर अदालत ने आरोप तय करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने माना कि उनके खिलाफ पर्याप्‍त सबूत हैं.

दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 Anti Sikh Riots) के दौरान शहर के पुल बंगश गुरुद्वारे के बाहर ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या से जुड़े मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) के खिलाफ हत्या और दंगा भड़काने के मामले में आरोप तय करने का निर्देश दिया है. यह मामला सीबीआई ने दर्ज किया था. सीबीआई मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश राकेश सियाल ने कहा कि उनके खिलाफ अभियोग चलाने के पर्याप्त सबूत हैं. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं.”

अदालत ने आधिकारिक रूप से आरोप तय करने के लिए इस मामले को 13 सितंबर को सूचीबद्ध किया है. अदालत ने कई अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया है, जिनमें गैरकानूनी ढंग से एकत्र होना, दंगा करना, विभिन्न समूहों के बीच द्वेष को बढ़ावा देना, घर में जबरन घुसना और चोरी शामिल हैं.

सीबीआई ने पिछले साल दायर की थी चार्जशीट

पिछले साल मई में सीबीआई ने एक चार्जशीट दायर की थी, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री टाइटलर पर नवंबर 1984 में गुरुद्वारे के पास एकत्रित भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया था. जनवरी में आखिरी बहस के दौरान केंद्रीय एजेंसी ने प्रत्यक्षदर्शियों को पेश किया था और अदालत को बताया था कि कांग्रेस नेता के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.

सीबीआई ने अदालत को बताया, “टाइटलर ने भीड़ को सिखों को मारने के लिए उकसाया, जिसके परिणामस्वरूप भीड़ ने गुरुद्वारा पुल बंगश को आग लगा दी और सिख समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी.”

टाइटलर ने आरोपों से किया है इनकार

एक गवाह ने दावा किया कि उसने गुरुद्वारे के सामने भीड़ को पेट्रोल कनस्तर, लाठियां, तलवारें और रॉड लिए टाइटलर के साथ देखा था, जो उस वक्‍त सांसद थे, जबकि अन्य ने दावा किया कि उन्होंने टाइटलर को सफेद एंबेसडर से बाहर निकलते और एकत्रित भीड़ को उनके “निर्देशों” का पालन करते देखा. हालांकि टाइटलर ने जोर देकर कहा है कि उनके खिलाफ “एक भी सबूत” नहीं है.

टाइटलर ने पिछले साल अगस्त में सीबीआई की फोरेंसिक लैब से आवाज का नमूना देने के बाद निकलने पर कहा था, “मैंने क्या किया है? मेरे खिलाफ सबूत हैं तो मैं फांसी लगाने को तैयार हूं… इसका 1984 के दंगों के मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसके लिए वे मेरी आवाज (नमूना) चाहते थे…”

इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद भड़की थी हिंसा

1984 में विवादास्पद ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी और सिखों पर हमले हुए थे. आधिकारिक तौर पर कम से कम 3,000 लोग मारे गए. हालांकि स्वतंत्र सूत्रों का दावा है कि यह संख्या 8,000 है, जिसमें दिल्ली में कम से कम 3,000 लोग शामिल हैं. टाइटलर को पिछले तीन मौकों पर सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दी गई थी, लेकिन बाद में अदालतों ने एजेंसी से मामले की आगे की जांच करने को कहा.

दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे 80 साल के टाइटलर का नाम सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले नानावटी आयोग की रिपोर्ट में भी था. टाइटलर के खिलाफ यह मामला उन तीन मामलों में से एक था, जिसे पैनल ने 2005 में सीबीआई द्वारा फिर से खोलने की सिफारिश की थी.

टाइटलर को लेकर कांग्रेस पर हमलावर विरोधी

जगदीश टाइटलर लंबे समय से कांग्रेस के विरोधियों के लिए हमले का मुद्दा रहे हैं, पार्टी पर अपने आरोपी नेताओं को बचाने का आरोप भी लगे हैं. इस मामले में 2012 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह ने संसद सदस्‍यों और देश से माफी मांगी थी, उन्‍होंने कहा था कि मुझे न केवल सिखों बल्कि पूरे देश से माफी मांगने में कोई झिझक नहीं है. मैं शर्म से अपना सिर झुकाता हूं कि ऐसा कुछ हुआ. वहीं सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी सिख दंगों को लेकर माफी मांग चुके हैं.

टाइटलर एक सत्र अदालत द्वारा एक-एक लाख रुपये के बांड और जमानत पर दी गई जमानत पर बाहर हैं.

अदालत ने उन पर कुछ शर्तें भी लगाई गई थीं, जिनमें यह गारंटी भी शामिल थी कि वह मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे या बिना अनुमति देश नहीं छोड़ेंगे.

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