2 इंजन, 9.5 टन का पेलोड और 71 ट्रूप्स की कैपासिटी… समझिए क्यों खास है भारत में बनने वाला C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट​

 56 में से 40 एयरक्राफ्ट बनाने के लिए टाटा एडवांस लिमिटेड और एयरबस के बीच करार हुआ था. बाकी 16 एयरक्राफ्ट स्पेन से रेडी-टू-फ्लाई कंडीशन में भारत आने हैं. इसके लिए अगस्त 2025 की डेडलाइन रखी गई है. इसके तहत पहला एयरक्राफ्ट सितंबर 2023 में भारत आ भी चुका है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (28 अक्टूबर) को गुजरात के वडोदरा में स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज के साथ टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) कैंपस में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया. वडोदरा का C295 प्लांट पहला प्राइवेट प्लांट है, जहां मिलिट्री ट्रासपोर्ट एयरक्राफ्ट बनेंगे. मोदी ने C-295 एयरक्राफ्ट की फाइनल असेंबली लाइन (FAL) प्लांट की नींव अक्टूबर 2022 में रखी थी. इसके लिए भारत सरकार ने सितंबर 2021 में स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ 56 C-295 एयरक्राफ्ट के लिए 21,935 करोड़ रूपए में डील साइन की थी. 

56 में से 40 एयरक्राफ्ट बनाने के लिए टाटा एडवांस लिमिटेड और एयरबस के बीच करार हुआ था. बाकी 16 एयरक्राफ्ट स्पेन से रेडी-टू-फ्लाई कंडीशन में भारत आने हैं. इसके लिए अगस्त 2025 की डेडलाइन रखी गई है. इसके तहत पहला एयरक्राफ्ट सितंबर 2023 में भारत आ भी चुका है.

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PM मोदी ने टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स की शुरुआत करते हुए कहा, ” टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे रतन टाटा को याद करते हुए कहा कि रतन टाटा अगर आज हमारे बीच रहते, तो और ज्यादा खुशी होती. हमने अपने नए रास्ते तय किए और नतीजा सब के सामने हैं. C-295 की फैक्ट्री नए भारत को दर्शाती है.”

आइए जानते हैं क्या है C-295 एयरक्राफ्ट? भारत को इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या है इसकी ताकत:-

एयरबस C-295 क्या है?
एयरबस C-295 को 90 के दशक में डेवलप किया गया था. तब इसे CASA C-295 कहा जाता था. इसके नाम में C CASA से लिया गया है. 2 का मतलब है इसमें 2 इंजन है. 95 का मतलब है यह अधिकतम 9.5 टन का पेलोड उठा सकता है. इस तरह इसका नाम C-295 हो गया.

कब भरी पहली उड़ान?
इसने 28 नवंबर 1997 को अपनी पहली उड़ान भरी थी. यह एक मीडियम टैक्टिकल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है. इसमें सामान से लेकर जवानों तक को ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. एयरक्राफ्ट एक बार में 9 टन सामान या 71 जवानों को ले जा सकता है. इसे पैराशूट ड्रॉपिंग, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस, मेडिकल एग्जिट और समुद्री गश्त के लिए डिजाइन किया गया है. 

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एयरक्राफ्ट C-295 की क्या है खासियत?
-इस एयरक्राफ्ट का विंग्स स्पैन 25.81 मीटर का होता है. इसमें 2 क्रू मेंबर होते हैं. 71 ट्रूप्स (सैनिकों) के बैठने की कैपासिटी होती है. इसमें 5 कार्गो पैलेट होते हैं.

-ये एयरक्राफ्ट शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग कर सकते हैं. ये 320 मीटर की दूरी में ही टेक-ऑफ कर सकता है. लैंडिंग के लिए 670 मीटर की लंबाई काफी है. ये पहाड़ी इलाकों में भी पूरी तरह कारगर है.

-ये एयरक्राफ्ट अपने साथ 7,050 किलोग्राम का पेलोड उठा सकता है. एक बार में अपने साथ 71 सैनिक, 44 पैराट्रूपर्स, 24 स्ट्रेचर या 5 कार्गो पैलेट को ले जा सकता है.

-ये एयरक्राफ्ट लगातार 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. 2 लोगों के क्रू केबिन में टचस्क्रीन कंट्रोल के साथ स्मार्ट कंट्रोल सिस्टम भी है.

-C-295MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में पीछे रैम्प डोर है, जो सैनिकों या सामान की तेजी से लोडिंग और ड्रॉपिंग के लिए बना है.

-एयरक्राफ्ट में 2 प्रैट एंड व्हिटनी PW127 टर्बोट्रूप इंजन लगे हुए हैं. इन सभी प्लेन को स्वदेश निर्मित इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूइट से लैस किया जाएगा.

कितने देशों के पास है C295?
दुनिया के 37 देशों में C295 एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें इजिप्ट, पोलैंड, इंडोनेशिया, भारत, कनाडा, मेक्सिको, ब्राजील समेत 37 देश हैं. साल 1999 में स्पेन के एयर फोर्स ने सबसे पहले C-295 में दिलचस्पी ली. उसने 2000 में 9 C-295 एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया था. मिस्र ने अक्टूबर 2010 में C-295 का ऑर्डर दिया. 2021 तक उसके पास ऐसे 21 एयरक्राफ्ट का बेड़ा तैयार हो चुका था.

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टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स कब तैयार होगा C-295?
टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स काम शुरू होने के बाद पहला C-295 एयरक्राफ्ट सिंतबर 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगा. बाकी 39 एयरक्राफ्ट 2031 तक बनकर तैयार हो जाएंगे. इन्हें मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है.

किसे रिप्लेस करेगी C-295?
C-295 सोवियत एंटोनोव An-32 और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के एवरो 748 के पुराने बेड़े को रिप्लेस करेगा.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एयर कोमोडोर (रिटायर) डॉ. अशमिंदर सिंह बहल कहते हैं, “ये एयरक्राफ्ट मिडियम मल्टीरोल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है. टैक्टिकल रोल में भी इसका इस्तेमाल होता है और इंटर-इंट्रा थियेटर के अंदर भी इसका इस्तेमाल होता है. अगर कोई ट्रूप्स फॉर्म की सिचुएशन आए, तो लद्दाख से लेकर इसे अरुणाचल प्रदेश तक ले जाया जा सकता है. इसमें कार्गो फैसिलिटी भी है और पैरा ड्रॉप्स भी. कहीं न कहीं इसका रोल मैरीटाइम सर्विलांस के लिए भी अहम है.”

बहल कहते हैं, “मेडिकल इवैक्यूएशन के लिए भी हम इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये बहुत ही कैपेबल एयरक्राप्ट है. इसके अंदर 71 सैनिक और 48 के करीब पैरा ट्रूपर्स को बैठाया जा सकता है. इसकी एडवांस टेक्नोलॉजी इसे कई जहाजों की तुलना में खास बनाती है.”

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