November 22, 2024
Parliamentary Panel

Adultery again Crime! संसदीय पैनल ने कहा-विवाह पवित्र संस्था इसे बचाया जाना चाहिए

एडल्टरी को फिर से अपराध माने जाने की सिफारिश संसदीय पैनल ने किया है।

Adultery to become crime again: एडल्टरी को फिर से अपराध माने जाने की सिफारिश संसदीय पैनल ने किया है। संसदीय पैनल ने मंगलवार को एडल्टरी यानी व्याभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने की सिफारिश करने के साथ कहा कि विवाह पवित्र संस्था है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। बीते सितंबर में गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक पेश करते हुए संसदीय पैनल को रिपोर्ट पेश करने को कहा था।

रिपोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि संशोधित व्यभिचार कानून को जेंडर न्यूट्रल अपराध माना जाना चाहिए और दोनों पक्षों – पुरुष और महिला – को समान रूप से उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट आदेश के खिलाफ रिपोर्ट?

पैनल की रिपोर्ट अगर सरकार द्वारा स्वीकार कर ली जाती है तो यह सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के 2018 के एक ऐतिहासिक फैसले के विरोध में होगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता और न ही होना चाहिए। दरअसल, 2018 में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने कहा था कि एडल्टरी क्राइम नहीं हो सकता है। हालांकि, तलाक के लिए एक नागरिक अपराध का आधार हो सकता है। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उस 163 साल पुराने औपनिवेशिक युग के कानून को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि पत्नी का मालिक पति होता है।

कानून में तब कहा गया था कि एक पुरुष जिसने एक विवाहित महिला के साथ यौन संबंध बनाया और उसके पति की सहमति के बिना किया गया यह काम उसके दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा हो सकती है। महिला को सज़ा नहीं होगी। अब पैनल यह सिफारिश कर दिया है कि एडल्टरी लॉ में जेंडर न्यूट्रल प्रावधान किया जाए यानी उल्लंघन करने वाला पुरुष हो या स्त्री, या थर्ड जेंडर, सबको इस कानून का सामना करना पड़ेगा।

2018 के फैसले से पहले, कानून में कहा गया था कि जो पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसके पति की सहमति के बिना यौन संबंध बनाता है, उसे दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा हो सकती है। महिला को सज़ा नहीं होगी।

गृह मामलों की स्थायी समिति ने दी रिपोर्ट

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में तीनों विधेयकों को सितंबर में पेश किया था। इन विधेयकों को गृह मामलों की स्थायी समिति को भेजा गया था। संसदीय पैनल का अध्यक्ष बीजेपी सांसद बृजलाल हैं। तीनों विधेयकों का अध्ययन कर पैनल को तीन महीने में रिपोर्ट देनी थी। अगस्त में पैनल के पास तीनों विधेयकों को भेजा गया था। भारतीय न्याय संहिता तीन के एक समूह का हिस्सा है जो भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेगी।

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