रांची। पिछले कुछ दिनों से झारखंड सुर्खियों में है। राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए विरोधी दल हर संभव चाल चलने को बेताब हैं। उधर, झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमेंत सोरेन (Hemant Soren) की मुश्किलें भी बढ़ गई है। सोरेन की विधायकी खतरे में पड़ गई है। लाभ के पद पर रहते हुए लाभ लेने के मामले में चुनाव आयोग ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी है। इस बाबत आयोग ने राज्यपाल को अपना आदेश भी भेज दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन आज किसी भी समय राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। ऐसे में अब उनकी कुर्सी पर कौन आसीन होगा या झारखंड का अगला मुखिया कौन होगा? इसको लेकर कयास लगाने का दौर शुरू हो चुका है।
हेमंत सोरेन की विरासत को कौन संभालेगा?
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इस्तीफा तय माना जा रहा है। हालांकि, यह भी अब माना जा रहा है कि वह अपने किसी करीबी या परिवार के सदस्य को मुख्यमंत्री पद सौंपेंगे। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि हेमंत सोरेन की जगह कौन लेगा। सीएम (Jharkhand CM) की पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) को पहले विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। जबकि पर्यटन मंत्री जोबा मांझी और परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को भी सीएम की कुर्सी मिलने की संभावना दिख रही है। ये दोनों चेहरे सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वासी हैं।
इसलिए हेमंत सोरेन की बढ़ी मुश्किलें…
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला चल रह है। बीजेपी ने हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में पत्थर की खदान लीज पर लेने की शिकायत की थी। बीजेपी ने फरवरी 2022 में रघुवर दास के नेतृत्व में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने अपने नाम से रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज आवंटित करा ली। इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। हालांकि, यह मामला कोर्ट तक पहुंचा था। सीएम ने इस मामले में लीज पर लिए गए खनन पट्टों को निरस्त करते हुए उसे छोड़कर कोर्ट को जानकारी भी दी थी।
सीएम होने के साथ खनन और वन Deptt भी हैं
बीजेपी ने आरोप लगाया था कि सोरेन झारखंड के सीएम होने के साथ खनन और वन मंत्री भी हैं। अपने अधीन वन विभाग से उन्होंने खनन की एक लीज ली है। उन्होंने जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9ए का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी ठेके लेने के कारण उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य कर देना चाहिए। लाभ के पद मामले पर ईसीआई में अब सुनवाई पूरी हो गयी है।
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