इस बार भाद्रपद की अमावस्या सोमवार को पड़ रही है और इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा. इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण करना काफी खास कहा जाता है.
Bhadrapada Amavasya: यूं तो अमावस्या (amavasya) तिथि सनातन धर्म में हमेशा महत्वपूर्ण मानी गई है, लेकिन भाद्रपद की अमावस्या (Bhadrapada amavasya) दान पुण्य और पितरों के तर्पण के लिए काफी खास कही जाती है. इस दिन कई तरह की धार्मिक गतिविधियां होती है. कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान और पितरों की पूजा के साथ साथ पितरों के लिए तर्पण करना काफी शुभ होता है. मान्यता है कि इस अमावस्या के दिन शुभ और मांगलिक कार्यक्रम नहीं होते हैं. चलिए जानते हैं कि इस साल यानी 2024 में भाद्रपद की अमावस्या तिथि (Bhadrapada amavasya date) किस दिन है और साथ ही जानेंगे कि गंगा स्नान और पितरों के लिए तर्पण का सही समय क्या है.
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कब है भाद्रपद की अमावस्या | when is Bhadrapada amavasya
द्रिक पंचांग की बात करें तो इस बार भाद्रपद की अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रही है. अमावस्या की तिथि 2 सितंबर को सुबह 5:21 बजे आरंभ हो रही है और ये तिथि अगले दिन यानी 3 सितंबर को सुबह 7:24 बजे तक रहेगा. उदया तिथि की माने तो अमावस्या 2 सितंबर को मनाई जाएगी. 2 सितंबर को सोमवार है और इसलिए भाद्रपद की अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाएगी. इसी दिन पितरों को तर्पण किया जाएगा और श्राद्धकर्म किया जाएगी. सोमवार की अमावस्या को ही गंगा स्नान के बाद किया गया दान काफी शुभ माना जाता है. सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान का शुभ समय सुबह 4 बजकर 38 मिनट से 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. अगर आपको पितरों के लिए श्राद्धकर्म करना है तो इसके लिए सही समय दोपहर के बाद और अगले दिन सूर्योदय से पहले का है.
इस तरह करें अमावस्या की पूजा | Know how to do amavasya puja and tarpan
अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान करें और घर को साफ करें. अगर आपको गंगा स्नान करना है तो तड़के ही कर लें. इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें. इसके बाद पूजा पाठ करें और भगवान का ध्यान करें. इस दिन आप सूर्य को जल देते वक्त अपने पितरों के लिए तर्पण भी कर सकते हैं. लोटे में जल लेकर इसमें काले तिल मिलाएं और पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण करें. इसके बाद पितृ पूजा और श्राद्ध कर्म करें. इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है अमावस्या के दिन तामसिक चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करने का विधान है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने के बाद उसकी 108 बार परिक्रमा करें और परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना करते हुए इसके तने पर लाल रंग का धागा या रक्षा सूत्र बांधें. पीपल को देव वृक्ष कहा गया है इसलिए अमावस्या पर इसकी खास पूजा की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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