November 24, 2024
Bihar Caste survey

बिहार जाति सर्वे रिपोर्ट: यादव 14%, भूमिहार 2.86%, राजपूत 3.45%, ब्राह्मण 3.66%, जानिए अन्य जातियों की संख्या

बिहार सरकार ने सोमवार को जाति-आधारित सर्वेक्षण के नतीजे (Bihar caste census report) जारी किए।

Bihar caste census: बिहार सरकार ने सोमवार को जाति-आधारित सर्वेक्षण के नतीजे (Bihar caste census report) जारी किए। बिहार के मुख्य सचिव द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य की आबादी में अन्य पिछड़ी जातियां 63 फीसदी हैं। राज्य में पिछड़ों की आबादी 27.13% है। अत्यंत पिछड़ों की आबादी 36.01% है।

जानिए किस जाति का कितना प्रतिशत?

बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। बिहार में SC (Scheduled Castes) की आबादी 19% से अधिक है। वहीं, ST (Scheduled Tribes) की आबादी 1.68% है। सवर्णों की आबादी 15.52% है। बिहार में यादव 14%, भूमिहार 2.86%, राजपूत 3.45%, ब्राह्मण 3.66%, कुर्मी 2.87% और मुसहर 3% हैं। बिहार में हिंदू 81.99%, मुस्लिम-17.70%, ईसाई- 0.05%, सिख 0.011%, बौद्ध 0.085 हैं। (Bihar caste survey data)

वर्गवार जानिए कौन कितना?

बिहार के जाति सर्वे (Bihar caste based survey) के अनुसार, पिछड़ा वर्ग 27.1286 प्रतिशत है तो अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.0148 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति यहां 19.6518 प्रतिशत है तो अनुसूचित जनजाति 1.6824 प्रतिशत है। अनारक्षित या सर्वण आबादी 15.5224 प्रतिशत है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी जाति जनगणना टीम को बधाई

नीतीश कुमार ने जाति आधारित गणना करने वाली टीम को दी बधाई
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर जाति आधारित गणना करने वाली टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए आगे कार्रवाई की जाएगी।

जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हो हिस्सेदारी

राजद प्रमुख लालू यादव ने जाति आधारित सर्वे जारी होने पर ट्वीट कर कहा कि सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो।

सुप्रीम कोर्ट तक गया था जाति-आधारित सर्वेक्षण का मामला

बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण को लेकर खूब राजनीति हुई थी। मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के हक में फैसला सुनाया। इसके बाद जाति-आधारित सर्वेक्षण हो सका। बिहार सरकार ने कहा कि सर्वेक्षण सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण था।

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