November 23, 2024
Bjp के हुए चंपई सोरेन, शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व शर्मा की मौजूदगी में हुए शामिल

BJP के हुए चंपई सोरेन, शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व शर्मा की मौजूदगी में हुए शामिल​

चंपई सोरेन को झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का सबसे निकट सहयोगी माना जाता था. चंपई सोरेन ने बुधवार को झामुमो छोड़ दिया था.

चंपई सोरेन को झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का सबसे निकट सहयोगी माना जाता था. चंपई सोरेन ने बुधवार को झामुमो छोड़ दिया था.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) छोड़ने के दो दिन बाद पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन शुक्रवार को यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा की मौजूदगी में सोरेन बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए. इस दौरान उनका जोरदार स्वागत किया गया, जिससे सोरेन कुछ समय के लिए भावुक भी हो गए. चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने को राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इससे राज्य के अनुसूचित जनजाति वर्ग में भाजपा को अपनी स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में बल मिलेगा. यह समुदाय झामुमो का मुख्य आधार रहा है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबुलाल मरांडी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि अलग झारखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख नेता, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन जी का भारतीय जनता पार्टी में हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है. आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में झारखंड राज्य के सर्वांगीण विकास, आदिवासी समाज के उत्थान तथा घुसपैठ के रोकथाम में पार्टी को आपका सहयोग, सहभागिता एवं मार्गदर्शन सदैव मिलता रहेगा.

अलग झारखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख नेता, पूर्व मुख्यमंत्री श्री @ChampaiSoren जी का भारतीय जनता पार्टी में हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है।

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में झारखंड राज्य के सर्वांगीण विकास, आदिवासी समाज के उत्थान तथा घुसपैठ के रोकथाम में… pic.twitter.com/G8zHWoLrEp

— Babulal Marandi (@yourBabulal) August 30, 2024

चंपई सोरेन को झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का सबसे निकट सहयोगी माना जाता था. चंपई सोरेन ने बुधवार को झामुमो छोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की वर्तमान कार्यशैली और नीतियों ने उन्हें पार्टी को छोड़ने के लिए मजबूर किया है जिसकी उन्होंने कई वर्षों तक सेवा की है. अलग झारखंड राज्य के लिए 1990 हुए आंदोलन में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘झारखंड का टाइगर’ भी कहा जाता है.

झारखंड को 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से से अलग करके बनाया गया था. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल के अंत में चुनाव होने हैं.

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