November 22, 2024
PM Modi

Gujarat Assembly Election में BJP की रिकॉर्ड जीत के मायने, जानिए to the point क्या है इस बड़ी जीत की वजह

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें प्राप्त की तो सबको इस बार सरकार बनाने को लेकर शंका थी लेकिन परिणामों ने सबको चौका दिया। आखिर बीजेपी की रिकॉर्ड तोड़ जीत की वजह क्या रही।

Gujarat Assembly Election Results 2022: गुजरात में BJP ने एकतरफा जीत हासिल कर लगातार सरकार में रहने का रिकॉर्ड बना लिया है। लगातार सातवीं बार सरकार बना रही बीजेपी ने कांग्रेस के 37 साल पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया है। 156 सीटें जीतकर बीजेपी ने कांग्रेस के 1985 के 149 सीटों को जीतने वाला रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया है। कांग्रेसी नेता माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस ने यह जीत हासिल की थी। बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें प्राप्त की तो सबको इस बार सरकार बनाने को लेकर शंका थी लेकिन परिणामों ने सबको चौका दिया। आखिर बीजेपी की रिकॉर्ड तोड़ जीत की वजह क्या रही। आईए जानते हैं जीत की मुख्य वजहें…

बीजेपी ने अपने सबसे बड़ा चेहरा और ताकत PM मोदी को उतारा

गुजरात चुनाव में बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे। चूंकि, गुजरात नरेंद्र मोदी का गृह राज्य भी है। यहां वह अपनापन दिखाकर और वोट के लिए अपनी इमोशनल अपील को लोगों पर असर डालने में सफल रहे। अपने प्रधानमंत्री की इज्जत दांव पर लगा देख लोगों ने सारे गिले-शिकवे भूलकर वोट किया। मोदी की छवि का ऐसा असर है कि कई सीटों पर जनता उम्मीदवार के नाम पर नहीं, बल्कि मोदी के नाम पर बीजेपी के लिए वोट देती है और इसका असर गुजरात चुनाव में भी साफ दिखा।

पार्टी के ‘चाणक्य’ का भी गृह राज्य

बीजेपी के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह का भी गृह राज्य गुजरात ही है। यह भी बीजेपी के लिए एक प्लस प्वाइंट है। गृह राज्य में ही अमित शाह ने पूरी राजनीति की है। इसलिए वह गुजरात के राजनीतिक मुद्दों और समीकरण के साथ ही वोटर्स की नब्ज को भी अच्छी तरह समझते हैं। दुश्मन को राजनीति के चक्रव्यूह में किस तरह फंसाना है, इसमें अमित शाह माहिर हैं। यही वजह है कि गुजरात में बीजेपी की जमीन काफी मजबूत थी।

जमीनी स्तर पर संगठन का बेहद मजबूत होना

जमीनी स्तर पर देखा जाए तो गुजरात में बीजेपी का संगठन काफी मजबूत स्थिति में है। पिछले कई सालों में पार्टी ने गांव-शहरों से लेकर बूथ लेवल तक एक ऐसा मजबूत संगठन तैयार किया, जो चुनाव से पहले ही पूरी तरह एक्टिव हो जाता है। इससे पार्टी के पक्ष में लहर बनाने में भी मदद मिली।

गुजरात में नए और युवा चेहरों को मौका देना

बीजेपी के गुजरात मॉडल का एक और फार्मूला है कि वह सीटिंग विधायकों में अधिकतर को दोहराती नहीं है। इससे लोगों में नाराजगी दूर हो जाती है और नए चेहरों को उतारने का फायदा मिल जाता है। इस बार भी पार्टी ने कई सीटों से नए और युवा चेहरों को उतारा। इसके साथ ही उन्होंने ऐसी रणनीति बनाई ताकि वोटर्स नाराज न हों। इसके अलावा गुजरात की जनता मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की छवि, उनके कामकाज और व्यवहार से खुश और संतुष्ट थी। गुजरात की जनता चाहती थी कि बीजेपी सत्ता में आए और भूपेंद्र पटेल ही सीएम बनें।

गुजरात के बड़े समुदाय के शीर्ष नेताओं को साध लेना

भाजपा पिछली बार पाटीदार आंदोलन और आरक्षण की वजह से 100 सीट भी नहीं ला पाई थी। लेकिन इस बार उसने अपनी उस कमी को सुधारा और पाटीदार समुदाय के बड़े नेता हार्दिक पटेल को साध लिया। इसके साथ ही बीजेपी ने पटेल और ठाकोर समुदाय के बड़े नेताओं को भी अपने पक्ष में किया, जिसका फायदा उन्हें मिला।

बीजेपी के टॉप लीडर्स और स्टार प्रचारकों की मौजूदगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार गुजरात चुनाव प्रचार के लिए 31 रैलियां और तीन रोड शो किए। मोदी ने अहमदाबाद और आसपास की 16 सीटों के लिए 50 KM लंबा रोड शो किया, जिसमें 4 घंटे में 10 लाख से ज्यादा लोग जुटे। साथ ही अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, हिमंता बिस्वा शर्मा, पुष्कर सिंह धामी, स्मृति ईरानी, हेमा मालिनी जैसे स्टार प्रचारकों ने भी गुजरात में चुनाव प्रचार की कमान संभाली, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ।

BJP का सभी वर्गों को एकजुट करना

गुजरात में बीजेपी को सबसे ज्यादा सवर्ण वोटर्स का साथ मिला है। करीब 59% सवर्ण वोटर्स ने बीजेपी को वोट दिया है। इसके बाद 57% ओबीसी, 49% कोली, 47% ठाकोर वोटर्स ने भी बीजेपी का साथ दिया। बीजेपी को 28 फीसदी एससी वोटर्स के अलावा करीब 33% एसटी वोटर्स ने भी पसंद किया है।

चुनौती खड़ी करने वाले पाटीदार समुदाय को साधना

2017 के चुनाव में चुनौती खड़ी करने वाले पाटीदार समुदाय को बीजेपी ने इस बार पहले ही साध लिया था। पिछले चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन जैसे मुद्दे की वजह से बीजेपी 100 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी। हालांकि, इस बार बीजेपी ने अपनी इस गलती को सुधारते हुए पाटीदार समाज से आने वाले भूपेंद्र पटेल को पहले ही गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया था। इससे पाटीदार समाज का वोट बीजेपी से नहीं छिटका।

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