सेना की मदद करने के बदले लद्दाख के ग्रामीणों को मिला अनोखा उपहार, गांव में छाई खुशहाली

पूर्वी लद्दाख (Ladakh) के सीमावर्ती गांव को अब हर तरह से बेहतर कनेक्टिविटी मिल रही है। पेन्गॉन्ग सो के दक्षिणी किनारे पर स्थित मेराक और खाकटेड गांव में सोमवार को मोबाइल कनेक्टिविटी (Mobile connectivity in Ladakh) शुरू कर दी गई। चुशूल के पार्षद कोंचोक स्टेंजिन ने मेराक में बीएसएनएल टावर का उद्घाटन किया।

मेराक और खाकटेड गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी शुरू

लद्दाख (Ladakh) में सेना और नागरिकों के सह अस्तित्व का एक लंबा इतिहास रहा है। हाल ही जब चीन के साथ तनातनी के दौरान सेना को पूर्वी लद्दाख में बहुत समर्थन की जरूरत थी तो जीरो बॉर्डर के ग्रामीण ही उनके साथ खड़े नजर आए। ग्रामीणों ने सेना की बहुत मदद की।

जरूरत के समय सेना और ग्रामीण करते हैं एक-दूसरे की मदद

ग्रामीणों ने ऊंचाई वाली सैन्य चौंकियों पर खाद्य सामग्री पहुंचाई। हालात सामान्य हुए तो ऑपरेशन सद्भावना के तहत सेना ने ग्रामीणों के दशकों पुराने सपने को साकार करने के लिए ओएफसी केबल बिछाई। सेना और बीएसएनएल (BSNL) ने मिलकर मोबाइल टावर लगाया।

चुशूल पार्षद ने परियोजना के लिए मुहैया कराई सौर उर्जा प्रणाली

बीएसएनएल ने आवश्यक उपकरण दिए और चुशूल पार्षद कोंचोक स्टेंजिन ने परियोजना के लिए सौर उर्जा प्रणाली मुहैया करवाई। एलएएसी पर तनाव घटने और कोविड टीकाकरण शुरू होने के साथ ही चुशूल और चांगथांग में रुकी हुई विकास से जुड़ी गतिविधियों के जल्द ही जमीन पर उतरने की उम्मीद बंधी है।