रांची। बिहार के चर्चित चारा घोटाले (Fodder Scam) के डोरंडा ट्रेजरी केस (Doranda Treasury case) में बिहार (Bihar) के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को पांच साल की सजा हो गई है। डोरंडा ट्रेजरी मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस मामले में दोषी पाए गए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर 60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। वह 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में 15 फ़रवरी को ही दोषी करार दिए जा चुके हैं। सीबीआई के स्पेशल जज एसके शशि ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सजा का ऐलान किया है। इस वक्त लालू यादव रांची के रिम्स (RIMS) में भर्ती हैं।
पूरी सुनवाई में चुपचाप दिखे लालू यादव
वीडियो कांफ्रेंसिंग से हो रही सुनवाई के दौरान पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव चुप चुप दिखे। सोमवार दोपहर एक बजे सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डोरंडा ट्रेजरी मामले पर सुनवाई चल रही थी। लालू यादव रांची के रिम्स में थे। CBI के विशेष जज एसके शशि के सजा ऐलान के वक्त भी वह चुपचाप दिखाई दिए। पूरी बहस के दौरान कुछ भी नहीं बोला।
हाईकोर्ट से मिल सकती है जमानत
लालू के वकील ने बताया कि इस मामले में बेल के लिए अर्जी दी जाएगी। उनको हाईकोर्ट से जमानत मिल जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने तक उन्हें 2-3 सप्ताह का वक्त लग जाएगा। बेल नहीं मिलने तक लालू को जेल में ही रहना पड़ेगा। लालू यादव के साथ 38 दोषियों को इस केस में सजा सुनाई गई है।
सजा से पहले ही बिगड़ गई उनकी तबीयत
सजा का ऐलान से पहले लालू यादव की तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल बढ़ गया है। सजा की सुनवाई होने से पहले लालू यादव सुबह से ही काफी तनाव में थे। वहीं डॉक्टर ने बताया कि हो सकता है कि इसी चलते उनकी तबीयत में गिरावट आ गई। उनका इलाज करने वाले डॉक्टर विद्यापति ने बताया कि जब में उनका हाल चाल पूछने गया तो वह बहुत ही मायूस थे। उन्होंने ज्यादा कुछ बात ही नहीं की। जो भी जवाब दिया वह निराशाजनक था।
चारा घोटाले से जुड़े चार मामलों में लालू दोषी
लालू यादव को इससे पहले भी चारा घोटाले से जुड़े चार मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। जिसमें वह बेल पर चल रहे हैं। इन मामलों भी उनको हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। हालांकि लोअर कोर्ट या ट्रायल कोर्ट ने उनको इसमें राहत नहीं दी थी। लेकिन जब उन्होंने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई तो उनको बेल दे दी गई।
वह मामला जिसमें लालू को हुई सजा
950 करोड़ रुपए के देश के बहुचर्चित चारा घोटाले में सबसे बड़े डोरंडा ट्रेजरी से निकासी मामला है। इसमें 139.35 करोड़ रुपए का गबन किया गया था। 1990-92 के बीच चाईबासा ट्रेजरी से अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़ा करते हुए अवैध निकासी की थी।
इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था। इस केस में 10 महिलाएं भी आरोपी है। मामले में चार राजनीतिज्ञ, दो वरीय अधिकारी, चार अधिकारी, लेखा कार्यालय के छह, 31 पशुपालन पदाधिकारी स्तर के और 53 आपूर्तिकर्ता आरोपी बनाए गए हैं। अब मामले में लालू यादव समेत 99 आरोपी हैं।
अदालत को लग गए 15 साल, सैंकड़ों लोग बने गवाह
डोरंडा कोषागार मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में CBI को 15 साल लग गए। 99 आरोपियों में 53 आरोपी आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपी पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं। वहीं, 6 आरोपी तत्कालीन कोषागार अधिकारी हैं, जबकि मामले के 6 आरोपी ऐसे हैं, जिन्हें CBI आज तक नहीं खोज सकी है।
90 के दशक का सबसे बड़े घोटाले में झारखंड (Jharkhand) में 53 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें यह 52वां केस है। इस मामले में 29 जनवरी को CBI के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसले की तारीख तय की थी। इसके बाद उनके वकील के अनुरोध पर उन्हें जेल न भेजकर RIMS में भेजा गया। लालू कागजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कोर्ट से होटवार जेल गए फिर वहां से रिम्स चले गए। 21 फरवरी तक वह यहीं रहेंगे।
स्कूटर पर ढोए गए थे सांड और भैंस
जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि पशुपालन विभाग के पदाधिकारियों-कर्मचारियों, राजनेताओं और आपूर्तिकर्त्ताओं ने फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया था। घोटाले में कुछ ऐसे दस्तावेज भी सीबीआई को हाथ लगे थे जिसमें 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया था। फर्जी बिल के आधार पर पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं थीं। कुल मिलाकर करोड़ों रुपये की निकासी की गई थी। इन वाहनों के नंबर छानबीन सामने आए थे।
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