Central Tribal University: तेलंगाना में सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने तेलंगाना राज्य में जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापना के लिए मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके लिए 4 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा निर्णय लिया गया।
889.07 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान
केंद्रीय कैबिनेट ने इसके लिए 889.07 करोड़ रुपए की धनराशि का प्रावधान होगा। कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 (2014 की संख्या 6) की तेरहवीं अनुसूची में दिए गए प्रावधान के अनुसार, तेलंगाना राज्य के मुलुगु जिले में सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में आगामी संशोधन करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन), विधेयक, 2023 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी है।
विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में करेगा सुधार
नया विश्वविद्यालय न केवल राज्य में उच्च शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करेगा और आदिवासी आबादी के लाभ के लिए राज्य में आदिवासी कला, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली में निर्देशात्मक और अनुसंधान संबंधी सुविधाएं प्रदान करके उच्च शिक्षा और उन्नत ज्ञान के उपायों को भी बढ़ावा देगा। यह नया विश्वविद्यालय अतिरिक्त क्षमता भी तैयार करेगा और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का प्रयास करेगा।
पीएम मोदी ने तेलंगाना की जनता के बीच की थी ये घोषणा
बीते रविवार को पीएम मोदी तेलंगाना दौरे पर पहुंचे थे। यहां उन्होंने सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनाए जाने की घोषणा की थी।पीएम मोदी ने कहा था भारत सरकार, मुलुगु जिले में भी एक Central Tribal University की स्थापना करने जा रहा है। और इस विश्वविद्यालय का नाम पूज्यनीय आदिवासी देवियां सम्मक्का-सारक्का के नाम पर रखा जाएगा। सम्मक्का-सारक्का Central Tribal University इस पर करीब 900 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके पश्चात 4 अक्टूबर 2023 को इसे कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई।
जनजातीय भाषाओं में शिक्षा ग्रहण करने का आगे का रास्ता होगा तैयार
Central Tribal University खुलने से जनजातीय भाषाओं में शिक्षा ग्रहण करने के रास्ते तैयार होंगे। इससे आदिवासी छात्रों को लाभ मिलेगा। अमूमन जनजातीय भाषाओं में प्रशिक्षित शिक्षक नहीं होने की वजह से उच्च शिक्षा में समस्याएं हैं। इसलिए जरूरी है कि जनजातीय समुदाय में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय बनें। यह शिक्षा के अभियान को सफल बनाने के लिए बेहद जरूरी है।
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