नई दिल्ली: दिल्ली की ब्यूरोक्रेसी पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। कांग्रेस के ऐलान के साथ आम आदमी पार्टी को राहत मिली है। मानसून सत्र के पहले कांग्रेस के आप सरकार के समर्थन में आने से विपक्षी एकता की मीटिंग में केजरीवाल की पार्टी का शामिल होना तय हो गया है। लंबी मैराथन मीटिंग के बाद रविवार को कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में फैसला लिया। हालांकि, दिल्ली व पंजाब कांग्रेस इकाई नहीं चाहती थी कि समर्थन किया जाए।
कांग्रेस का अध्यादेश को लेकर स्टैंड क्लियर:केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी कल विपक्षी मीटिंग में शामिल होगी। जहां तक (दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर) अध्यादेश का सवाल है, हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है। हम इसका समर्थन नहीं करने जा रहे हैं।
कुछ दिनों पहले AAP ने कहा कि वह ऐसी किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगी जब तक कि कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश पर अपने रुख का समर्थन नहीं करती। रविवार को आम आदमी पार्टी बेंगलुरू में विपक्षी मीटिंग को लेकर विमर्श करने वाली है।
23 जून को पटना में विपक्षी सम्मेलन के बाद से आप और कांग्रेस में ठनी थी
दरअसल, बीते 23 जून को पटना में विपक्षी एकता के लिए बुलाए गए सम्मेलन में आम आदमी पार्टी ने कह दिया था कि कांग्रेस अगर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तो उसका गठबंधन में रहना मुश्किल होगा। आप ने कहा कि कांग्रेस की हिचकिचाहट और टीम प्लेयर के रूप में कार्य करने से इनकार करने से AAP के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल हो जाएगा जिसमें कांग्रेस भी शामिल है।
केंद्र सरकार नौकरशाही पर नियंत्रण को लेकर आई है अध्यादेश
आप सरकार को नौकरशाही का नियंत्रण सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिलने के बाद केंद्र सरकार ने एक विवादित अध्यादेश लाया। इस अध्यादेश से एक बार फिर दिल्ली की नौकरशाही का नियंत्रण राज्य सरकार से दूर हो सकता है। 19 मई को विवादास्पद अध्यादेश जारी करने के केंद्र सरकार के कदम को AAP सरकार ने धोखा बताया है। आप ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने का एक तरीका है जिसने उसे राजधानी के नौकरशाहों का नियंत्रण दिया था।
इस अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल विपक्ष का समर्थन जुटा रहे हैं ताकि संसद में बीजेपी इसे पास न करा सके। कांग्रेस को छोड़कर सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने साथ देने का आश्वासन दिया था।
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