कोविड (Covid 19 patients) से जंग में स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में पुलिस भी पूरी तरह से मुस्तैद है, फिर चाहे अस्पताल तक सुचारू रूप से ऑक्सीजन की सप्लाई करनी हो या किसी मरीज को अस्पताल पहुंचाना हो। इन सब के बीच ग्रीन कॉरिडोर इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में है।
दरअसल, बीती रात ही एक घटना घटी जिसमें दिल्ली पुलिस ने एक अस्पताल में ऑक्सीजन टैंकरों को पहुंचाने के लिए एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया। बस इसके बाद से ही दिल्ली पुलिस की सोशल मीडिया पर काफी तारीफ हो रही है। ज्ञात हो, इससे पहले भी बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर को इलाज के लिए हैदराबाद भेजने के लिए सागर से भोपाल 175 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
क्या है ग्रीन कॉरिडोर ?
ग्रीन कॉरिडोर का चिकित्सा में तब प्रयोग किया जाता है जब किसी आपातकाल की स्थिति में किसी मरीज को जरूरी इलाज की आवश्यकता होती है। जैसे किसी हृदय या लीवर जैसी गंभीर परिस्थिति के लिए मरीज या अंग प्रत्यारोपण किया जाना हो, उपयोगी चिकित्सा उपकरण पहुंचाना, यानि मेडिकल इमरजेंसी परिस्थिति में एक से दूसरे स्थान तक जाने के लिए कम से कम समय लगे तब ग्रीन कॉरिडॉर बनाया जाता है। इस कार्य में पुलिस के पास सबसे ज्यादा चुनौती होती है।
कैसे होता है काम ?
ग्रीन कॉरिडोर असल में अस्पताल और पुलिस के आपसी सहयोग से अस्थायी तौर पर बनाया जाने वाला एक रास्ता होता है, जिसमें कुछ देर के लिए ट्रैफिक को रोक दिया जाता है या एक नया रूट बनाया जाता है। ताकि एंबुलेंस या जरूरी मेडिकल वाहन को एक से दूसरी जगह जाने के लिए कम से कम समय लगे। इस तरह कम समय में मरीज को चिकित्सा सेवा मुहैया करवा दी जाती है जिसकी वजह से किसी की जिंदगी बचाने के लिए आपातकाल में लगने वाला समय कम हो जाता है। वैसे ग्रीन कॉरिडोर कई तरह से काम करता है। इस प्रक्रिया में कई बार अलग-अलग तरह के विशेष रूट भी तैयार किए जाते हैं।
पुलिस कर रही Covid 19 patients की मदद
कोरोना काल में पिछले एक साल से पुलिस ने अस्पताल तक मेडिकल से संबंधित तमाम उपकरण चाहे वैक्सीन हो, वेंटिलेटर हो, ऑक्सीजन या फिर किसी मरीज (Covid 19 Patients) को तत्काल इलाज की जरूरत हो, देश के अलग-अलग हिस्से में पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बना कर आपात सुविधा मुहैया कराई है।
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