November 20, 2024
DGCA Alert

DGCA Alert: मिडिल-ईस्ट के पास से गुजरने वाले विमान अचानक से अपने रास्ते से क्यों हो जा रहे गायब?

डीजीसीए ने सभी भारतीय एयरलाइनों को एडवाइजरी जारी की है।

DGCA Alert to Airlines: मिडिल-ईस्ट के पास उड़ान भरने वाले विमानों के लगातार नेवीगेशन गुम हो जाने और विमानों के भटकाव की स्थितियों पर डीजीसीए ने चिंता जताई है। सिविल एविएशन के विमानों के मिडिल ईस्ट की ओर उड़ान भरने को लेकर डीजीसीए ने एडवाइजरी जारी की है। दरअसल, मिडिल-ईस्ट एयर ट्रैफिक एरिया सिविल एविएशन के लिए एक नए खतरे के रूप में उभर रहा है। इन खतरों से चिंता जताते हुए डीजीसीए ने एयरलाइंस को सलाह देते हुए सचेत किया है।

क्या है DGCA की एडवाइजरी में?

डीजीसीए (DGCA Alert) ने सभी भारतीय एयरलाइनों को एडवाइजरी जारी की है। डीजीसीए ने एडवाइजरी में कहा कि जब नागरिक विमान मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में उड़ान भरते हैं तो उनके नेविगेशन सिस्टम को धोखा दिया जा रहा है। यह तेजी से एक बड़े सुरक्षा खतरे के रूप में उभर रहा है। ऐसे में एयरलाइन्स को इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। नए खतरों और जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) जैमिंग और स्पूफिंग की रिपोर्ट के कारण विमानन उद्योग अनिश्चितताओं से जूझ रहा है। डीजीसीए ने कहा कि हाल के दिनों में मिडिल-ईस्ट में हवाई क्षेत्र पर जीएनएसएस के हस्तक्षेप की बढ़ती रिपोर्ट चिंतनीय है। ऐसी स्थिति में नेविगेशन सिस्टम के जाम होने से निपटने के लिए इमरजेंसी उपायों को तैयार रखना बेहद आवश्यक है। डीजीसीए, ऐसे खतरों की मॉनिटरिंग और एक एनालसिस नेटवर्क बनाने पर विचार कर रहा है।

क्या है विमानों के भटकने का पूरा मामला?

सितंबर के अंत में ईरान के पास कई कमर्शियल फ्लाइट्स अपने नेविगेशन सिस्टम के बंद हो जाने के बाद बंद हो गईं। इनमें से एक स्पूफिंग का शिकार होकर बिना अनुमति के ईरानी हवाई क्षेत्र में उड़ गया। ऑप्सग्रुप के अनुसार, पेशेवर पायलटों, फ्लाइट डिस्पैचर्स, शेड्यूलर्स और नियंत्रकों के एक समूह ने इस मुद्दे को उठाया है। दरअसल, चिंता यह है कि अगर नेविगेशन जाम होने के बाद हवाई जहाज भटक जाएं तो वह किसी व्यस्ततम एयरवे की ओर जा सकता है। भटकने के बाद दुर्घटनाएं हो सकती हैं। उत्तरी इराक और अज़रबैजान में एक व्यस्त हवाई मार्ग है। इसमें एरबिल के पास कई घटनाएं दर्ज की गई हैं। सितंबर तक 12 अलग-अलग घटनाएं दर्ज की गई थीं। सबसे ताजा घटना 20 नवंबर को अंकारा, तुर्की के पास दर्ज की गई थी।

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