November 25, 2024
Supreme Court

Electoral Bond case: सुप्रीम कोर्ट के सामने सारे दांव फेल, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सबको किया चारो खाने चित

देश के बड़े-बड़े वकील पेश हुए लेकिन सीजेआई के सामने सब विफल।

Electoral bond issue: इलेक्टोरल बॉन्ड सार्वजनिक होने के बाद उसके आंकड़ों को लेकर सोशल मीडिया और मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स से परेशान बचाव पक्ष की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि लोगों को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देना अलग बात है लेकिन उसको लेकर तमाम तरह के रिपोर्ट बनाए जा रहे हैं उसे रोकने के लिए कोर्ट को डायरेक्शन जारी करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि एक बार जब कोर्ट अपना फैसला सुना देता है तो वह पब्लिक प्रॉपर्टी हो जाती है। और जब जनता में बहस होगी और कुछ सवाल होंगे तो हम उन सवालों के जवाब जरूर खोजेंगे। सीजेआई ने कहा कि हमारे कंधे इतने मजबूत हैं कि हम आलोचना या किसी भी बात को सह सकते हैं।

क्यों कहना पड़ा अदालत को कि हमारे कंधे काफी चौड़े?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की सारी डिटेल सार्वजनिक कराई है। कोर्ट के फैसले को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर काफी तारीफ की जा रही है। उधर, इलेक्टोरल डेटा के आधार पर मीडिया व सोशल मीडिया में कई तरह के गंभीर रिपोर्ट्स भी बने हैं जिसमें कई राजनैतिक दलों और दागी कंपनियों के नेक्सस का खुलासा करने का दावा किया गया है। यही नहीं सोशल मीडिया पर एसबीआई पर भी तमाम डेटा छुपाए जाने का भी आरोप लग रहे हैं।

सोमवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोशल मीडिया व अन्य रिपोर्ट्स को लेकर कोर्ट को अवगत कराते हुए उसे रोकने के लिए डायरेक्शन जारी करने की सिफारिश की। इससे कोर्ट ने इनकार करते हुए अपने फैसले को पब्लिक प्रॉपर्टी बताते हुए उस पर चर्चा या आलोचना किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं की। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से निपटने के लिए अदालत के कंधे काफी चौड़े हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर

सुनवाई के दौरान, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत को यह जानना चाहिए कि उनके फैसले पर कैसे-कैसे और किस स्तर पर लोगों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। यह सरकार के स्तर पर नहीं हो रहा है। अदालत के फैसले के पहले ही कुछ लोग मीडिया में इंटरव्यू देकर जानबूझकर बदनाम करने में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट की बाढ़ आ गई है। इनका उद्देश्य अशांति पैदा करना है। मेहता ने कहा कि आंकड़ों को लोगों की इच्छानुसार तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। तोड़े गए आंकड़ों के आधार पर, किसी भी प्रकार की पोस्ट की जा रही हैं। क्या आपके आधिपत्य कोई निर्देश जारी करने पर विचार करेंगे?

कोर्ट ने सारे दांव कर दिए फेल

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि न्यायाधीश के रूप में हम कानून के शासन द्वारा शासित होते हैं और हम संविधान के अनुसार काम करते हैं। न्यायाधीश के रूप में सोशल मीडिया पर भी हमारी चर्चा होती है लेकिन एक संस्था के रूप में हमारे कंधे काफी चौड़े हैं ताकि सोशल मीडिया कमेंटरी पर ऐसी कमेंटरी से निपट सकें।

सॉलिसिटर जनरल ने चुनावी बांड मुद्दे पर एक मीडिया अभियान का हवाला दिया तो मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाल ही में एक साक्षात्कार में मुझसे एक फैसले की आलोचना के बारे में पूछा गया था। मैंने कहा कि एक न्यायाधीश के रूप में, अपने निर्णय पर हम अपना बचाव नहीं कर सकते। एक बार जब हम निर्णय दे देते हैं तो यह सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है।

एसबीआई के वकील हरीश साल्वे बोले-इलेक्टोरल बॉन्ड की जांच न हो

एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मीडिया हमेशा हमारे पीछे है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे एसबीआई पर कार्रवाई करेंगे, उन्हें अवमानना ​​में दोषी ठहराएंगे। उन्होंने कहा कि बैंक किसी भी जानकारी को छिपाकर नहीं रख रहा है। उन्होंने कहा कि जनहित याचिकाओं की एक सीरीज हमारे पर करने की बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि मतदाता को जानना एक बात है। लेकिन अगर जनहित याचिकाएं इसलिए पड़े कि इसकी और उसकी जांच करें, तो मुझे नहीं लगता कि इस अदालत के फैसले का यही इरादा है। श्री साल्वे ने यह भी कहा कि फैसले का इस्तेमाल छिपे हुए एजेंडे के लिए किया जा रहा है।

सीजेआई बोले-एसबीआई एफिडेविट दे कि कोई डेटा या डिटेल नहीं छुपाया

इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एसबीआई का रवैया ऐसा लगता है कि आप हमें बताएं कि क्या खुलासा करना है, हम खुलासा करेंगे। यह उचित नहीं लगता है। हम एक बार कह दिए कि पूरा डेटा सामने कीजिए। सारा विवरण का मतलब पूरा डेटा शामिल है। उन्होंने कहा कि बैंक से भुनाए गए बांड के अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर और सीरियल नंबर सहित अन्य सभी विवरणों का खुलासा कीजिए। कोर्ट ने एसबीआई चेयरमैन से एक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा जिसमें कहा गया हो कि कोई जानकारी छिपाई नहीं गई है। साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को एसबीआई से प्राप्त डेटा अपलोड करने के लिए कहा।

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