October 3, 2024
Explainer: इजरायल के मल्टी टीयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम के सामने ईरानी हथियार कितने कारगर?

Explainer: इजरायल के मल्टी-टीयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम के सामने ईरानी हथियार कितने कारगर?​

Iran-Israel conflict: ईरान ने मंगलवार को रात में इजरायल पर हमले में किस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया? ईरान के शस्त्रागार (Arsenal) में बैलिस्टिक मियाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन हैं, जिनका इस्तेमाल उसने हाल ही में इजरायल को निशाना बनाने के लिए किया. ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को रात में ईरान ने करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं.

Iran-Israel conflict: ईरान ने मंगलवार को रात में इजरायल पर हमले में किस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया? ईरान के शस्त्रागार (Arsenal) में बैलिस्टिक मियाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन हैं, जिनका इस्तेमाल उसने हाल ही में इजरायल को निशाना बनाने के लिए किया. ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को रात में ईरान ने करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं.

Iran-Israel conflict: ईरान ने मंगलवार को रात में इजरायल पर हमले में किस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया? ईरान के शस्त्रागार (Arsenal) में बैलिस्टिक मियाइल, क्रूज मिसाइल और ड्रोन हैं, जिनका इस्तेमाल उसने हाल ही में इजरायल को निशाना बनाने के लिए किया. ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को रात में ईरान ने करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं.

यह हैं ईरान के आर्सेनल में शामिल मिसाइलें

अब ईरान ने शहाब-1 नाम की 300 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल का इस्तेमाल शुरू किया है. यह अपेक्षाकृत कम दूरी की मिसाइल है जो इजरायल को निशाना नहीं मार सकती. यह केवल इजरायल से दूर के क्षेत्र को ही निशाना बना सकती है.

एक और मिसाइल फतेह मिसाइल है जो 300 से 500 किलोमीटर तक जाती है. इस मिसाइल की भी रेंज इतनी नहीं है कि वह इजरायल तक पहुंच सके. इसके अलावा एक और मिसाइल शाहब 2 है, जिसकी मारक क्षमता 500 किलोमीटर है, लेकिन इसके बावजूद यह भी इजरायल में किसी टारगेट तक पहुंचने में अक्षम है.

जोल्फागर मिसाइल इजरायल को लगभग छू सकती है. इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर है, इसलिए इस मिसाइल से इजराइल के कई हिस्सों को निशाना बनाया जा सकता है.

कियाम-1 नाम की मिसाइल की मारक क्षमता 750 किलोमीटर है, जो ति शाहब-2 से 50 किलोमीटर ज्यादा है. यह अपेक्षाकृत ज़्यादा एडवांस मिसाइल है और कुछ ज्यादा इलाकों को निशाना बना सकती है, लेकिन इजराइल के बहुत अंदर तक नहीं जा सकती.

ईरान की शाहब-3 मिसाइल की मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर है और इसके जरिए पूरे इजरायल पर आसानी से हमला किया जा सकता है. वास्तव में इस मिसाइल से क्षेत्र के कई इलाकों पर हमला किया जा सकता है. तो यही वह मिसाइल है, जिसके वेरिएंट का इस्तेमाल संभव है कि मंगलवार को किए गए हमलों में किया गया हो.

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दुनिया का सबसे आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम

दूसरी तरफ इजरायल के पास दुनिया का सबसे आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. यह एक स्तरीय रक्षा प्रणाली है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि कल रात में उसे साफ तौर पर चकमा दे दिया गया. वीडियो में दिखाया गया है कि ईरानी मिसाइलों ने तेल अवीव पर हमला किया. ईरान ने अपने क्षेत्र से बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किए जाने के वीडियो भी जारी किए.

हम यह नहीं जानते कि इनमें से कितनी मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचीं और क्या इनमें से कुछ मिसाइलें इजरायली मिसाइल शील्ड द्वारा रोके जाने के बाद नीचे गिरती मिसाइलों के टुकड़े थे? डिफेंस के लिए दागी जाने वाली इजरायली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (SAMs) के बारे में बात करें तो हमें वास्तव में यह देखने की जरूरत है कि इन इंटरसेप्टर एसएएम ने कितनी दूरी तय की और ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए वे कितनी ऊंचाई तक पहुंचीं.

इजरायल का एरो सिस्टम वायुमंडल के ठीक बाहर, एक्सोस्फीयर में आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकता है. इसकी रेंज 2,000 से 2,400 किलोमीटर है. यह 100 किलोमीटर की ऊंचाई तक मार कर सकता है. शायद यह दुनिया में अपनी श्रेणी का सबसे उन्नत सिस्टम है.

कल रात ईरान की मिसाइलों को रोकने के लिए संभवतः अन्य प्रणालियों का भी इस्तेमाल किया गया था. डेविड की स्लिंग प्रणाली की बात करें तो यह इसके जरिए 300 किलोमीटर की दूरी और करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक इंटरसेप्ट किया जा सकता है.

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कम दूरी की मिसाइल प्रणाली है आयरन डोम

इजरायल के आयरन डोम के बारे में काफी चर्चा होती है. यह अपेक्षाकृत कम दूरी की मिसाइल प्रणाली है. वास्तव में जब कोई इस बारे में बात करता है कि इजरायल के पास क्या है, तो लोग कहते हैं कि यह आयरन डोम है. लेकिन आयरन डोम संपूर्ण मिसाइल रक्षा स्तर और रक्षा की अंतिम पंक्ति का एक हिस्सा है. यह 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक इंटरसेप्ट करता है और इसकी सीमा लगभग 70 किलोमीटर है. यह बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए उपयुक्त नहीं है. यह हमास और हिजबुल्लाह द्वारा दागे जा रहे कम दूरी के रॉकेटों का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित है.

जाहिर है सिस्टम काम नहीं कर सका है, लेकिन बहुत से लोगों की जान नहीं गई है और माना जाता है कि नुकसान मुख्य रूप से इजरायली सैन्य ठिकानों पर हुआ है. बड़ा सवाल यह है कि इस पर इजरायल की क्या प्रतिक्रिया होगी और यह कब होगी?

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