दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ के कारण नागरिक स्वतंत्रताओं जैसे कि विरोध प्रदर्शन और जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही मीडिया पर भी सख्त निगरानी रखी जा रही है. मार्शल लॉ के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को विशेष अधिकार दिए गए हैं.
दक्षिण कोरिया में सरकार ने देश की बिगड़ती सुरक्षा स्थिति का हवाला देते हुए मार्शल लॉ लागू कर दिया है. यह कदम बढ़ते आंतरिक तनाव, विरोध प्रदर्शनों और सीमावर्ती क्षेत्रों में अस्थिरता के बीच उठाया गया है. मार्शल लॉ के तहत नागरिक प्रशासन के अधिकांश अधिकार सैन्य अधिकारियों को सौंप दिए गए हैं. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने कहा कि उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों से बचाने और राज्य विरोधी तत्वों को खत्म करने के लिए यह कदम जरूरी है.
नागरिक अधिकारों पर नियंत्रण
दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ के कारण नागरिक स्वतंत्रताओं जैसे कि विरोध प्रदर्शन और जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही मीडिया पर भी सख्त निगरानी रखी जा रही है. मार्शल लॉ के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को विशेष अधिकार दिए गए हैं. सैन्य अधिकारियों को गिरफ्तारियां करने कर्फ्यू लगाने और विशेष क्षेत्रों में आवागमन नियंत्रित करने का अधिकार है. योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक सांसदों को सियोल में नेशनल असेंबली के परिसर तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी जा रही है. उन्हें रोक दिया गया है.
हालांकि, कोरिया गणराज्य की स्थापना के बाद से यहां 16 बार मार्शल लॉ लगाए गए हैं. आखिरी बार मार्शल लॉ 1980 में घोषित किया गया था.
मार्शल लॉ की क्यों पड़ी जरूरत?
इस साल की शुरुआत में दक्षिण कोरिया में नेशनल असेंबली चुनावों ने विपक्ष को भारी जनादेश दिया था. ऐसे में राष्ट्रपति यून के पास ज्यादा शक्तियां नहीं रही और राष्ट्रपति यून को कानूनों को पारित करने में सफलता नहीं मिली. यून विधेयकों को वीटो करने पर मजबूर हो गया है.
इतना ही नहीं, राष्ट्रपति यून और उनकी पत्नी से जुड़े घोटालों की संख्या के कारण रेटिंग में लगातार गिरावट देखी गई है. यून की पत्नी पर स्टॉक में हेरफेर का आरोप भी लगा और विपक्ष की ओर से इसकी जांच की मांग होने लगी. AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्शल लॉ लगाने का ऐलान डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया के नेतृत्व वाले विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति यून पर सत्ता के कथित दुरुपयोग पर महाभियोग चलाने की मांग के एक महीने किया गया है. विपक्ष का कहना था कि मार्शल लॉ लगा कर राष्ट्रपति महाभियोग से बचना चाहते हैं.
विपक्ष ने जताया कड़ा विरोध
दक्षिण कोरिया की न्यूज एजेंसी ‘योनहाप’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्युंग ने कहा है कि मार्शल लॉ की घोषणा असंवैधानिक है. दूसरी ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के प्रमुख हान डोंग-हून ने भी मार्शल लॉ को गलत बताते हुए इसे रोकने की मांग की है.
मार्शल लॉ को लेकर संविधान में क्या है प्रावधान?
दक्षिण कोरिया के संविधान के अनुच्छेद 77 में देश में मार्शल लॉ की घोषणा का प्रावधान हैं. लेकिन इसको लागू करने के लिए नियम तय किए गए हैं. संविधान के अनुच्छेद 77 में कहा गया है कि जब किसी सैन्य आवश्यकता से निपटने या युद्ध, सशस्त्र संघर्ष या राष्ट्रीय आपातकाल के समय सैन्य बलों को जुटाकर सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता होती है, तो राष्ट्रपति की ओर से निर्धारित मार्शल लॉ की घोषणा कर सकते हैं.
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