September 23, 2024
Explainer: नया 'माउंटेन टैंक' युद्ध के हालात में भारतीय सेना की ताकत कैसे बढ़ाएगा

Explainer: नया ‘माउंटेन टैंक’ युद्ध के हालात में भारतीय सेना की ताकत कैसे बढ़ाएगा​

चीन की सीमा पर अब भारत में बने टैंक गोले बरसाएंगे. डीआरडीओ ने पहली बार एक ऐसा हल्का टैंक तैयार किया है जिसे आप माउंटेन टैंक भी कह सकते हैं. डीआरडीओ ने अपने इस हल्के टैंक 'जोरावर' का जैसलमेर में सफल फील्ड ट्रायल किया. पंजाबी भाषा में 'जोरावर' का अर्थ 'बहादुर' होता है. बिल्कुल अपने नाम के अनुरूप ट्रायल में भी जोरावर हर पैमाने पर खरा उतरा.

चीन की सीमा पर अब भारत में बने टैंक गोले बरसाएंगे. डीआरडीओ ने पहली बार एक ऐसा हल्का टैंक तैयार किया है जिसे आप माउंटेन टैंक भी कह सकते हैं. डीआरडीओ ने अपने इस हल्के टैंक ‘जोरावर’ का जैसलमेर में सफल फील्ड ट्रायल किया. पंजाबी भाषा में ‘जोरावर’ का अर्थ ‘बहादुर’ होता है. बिल्कुल अपने नाम के अनुरूप ट्रायल में भी जोरावर हर पैमाने पर खरा उतरा.

चीन की सीमा पर अब भारत में बने टैंक गोले बरसाएंगे. डीआरडीओ ने पहली बार एक ऐसा हल्का टैंक तैयार किया है जिसे आप माउंटेन टैंक भी कह सकते हैं. डीआरडीओ ने अपने इस हल्के टैंक ‘जोरावर’ का जैसलमेर में सफल फील्ड ट्रायल किया. पंजाबी भाषा में ‘जोरावर’ का अर्थ ‘बहादुर’ होता है. बिल्कुल अपने नाम के अनुरूप ट्रायल में भी जोरावर हर पैमाने पर खरा उतरा.

जोरावर टैंक डीआरडीओ के कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टिब्लिशमेंट (CVRDE) ने बनाया है. ऐसे टैंक की जरूरत पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ झड़प के बाद महसूस हुई थी. इस अपने तरह के पहले हल्के टैंक के निर्माण में डीआरडीओ ने लार्सन एंड टुब्रो से मदद ली है.

इससे पहले डीआरडीओ ने अर्जुन टैंक भी बनाया था लेकिन वह करीब 60 टन का था. वह पहाड़ी इलाके में अपेक्षा के अनुसार कारगर नहीं रहा.

जोरावर खराब मौसम में भी असरदार

जोरावर का वजन करीब 25 टन है. यह उत्तरी सीमा पर खराब मौसम और मुश्किल हालात में भी बहुत असरदार साबित होगा. साथ ही रेगिस्तानी इलाकों में भी यह अपना काम कर सकेगा. हल्का होने के कारण इसे उठाकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. हेलीकॉप्टर से इसे आसानी से ले जाकर बॉर्डर एरिया में तैनात किया जा सकता है.

यह एक आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल है जिस पर बड़े से बड़े हथियारों का कोई असर नहीं होता है. यह जमीन पर भी चल सकता है और पानी में भी. इसकी स्पीड करीब 60 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इसमें 105 मिलीमीटर की कैलिबर गन लगी है. इसमें एन्टी टैंक गाइडेड मिसाइल लगा सकते हैं. इससे मशीन गन चला सकते हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक लेकर किए गए बदलाव

रूस और यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए इस टैंक में जरूरी बदलाव भी किए गए हैं. इसमें फायर भी है, मोबिलिटी भी है, ताकत भी है और यह सुरक्षित तो है ही. रिकॉर्ड समय करीब ढाई से तीन साल में तैयार हुआ यह टैंक करीब ढाई से तीन साल में सेना में भी शामिल हो जाएगा.

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