Explainer: मस्जिद वाली गली में किसने भीड़ को उकसाया? क्या बाहर से लाए गए उपद्रवी? संभल हिंसा की सच्चाई​

 संभल में जिस जगह पर शाही जामा मस्जिद है, वहां पहले मंदिर हुआ करता था. हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया. 19 नवंबर को 8 लोगों ने संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मस्जिद के खिलाफ याचिका दायर की.

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद की जगह मंदिर होने का विवाद बढ़ता जा रहा है. मस्जिद की जगह मंदिर होने के दावे को लेकर बीते 19 अक्टूबर को संभल के सिविल कोर्ट में याचिका दायर हुई थी. उसी दिन पहला सर्वे भी कर लिया गया था. फिर 24 नवंबर को सुबह 6:30 बजे टीम मस्जिद में दूसरा सर्वे करने पहुंची. इसी दौरान सर्वे टीम पर पथराव हो गया. देखते ही देखते हिंसा भड़क गई. जगह-जगह पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाएं हुईं. हिंसक घटनाओं में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है.

संभल की मस्जिद वाली गली में जो उपद्रव शुरू हुआ, जो हिंसा हुई. उसके बाद जो आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए, वो सड़क से लेकर संसद तक पहुंचे. BJP की तरफ से कहा जा रहा है कि जो कुछ हुआ कानून के तहत हुआ, जबकि BJP के विरोधियों की ओर से आरोप लगाए जा रहे हैं कि जान बूझकर मुस्लिम समाज को टारगेट किया जा रहा है. आइए जानते हैं संभल में मस्जिद वाली गली में किसने भीड़ को उकसाया? रातों रात कौन सी साजिश रची गई? आखिर गोली किसने चलाई? क्या है संभल की पूरी सच्चाई:-

क्या है संभल में मस्जिद का विवाद?
अदालत में एक याचिका दाखिल करके दावा किया गया है कि जिस जगह पर शाही जामा मस्जिद है, वहां पहले मंदिर हुआ करता था. हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया. 19 नवंबर को 8 लोगों ने संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मस्जिद के खिलाफ याचिका दायर की. 

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कौन हैं याचिकाकर्ता? 
संभल के शाही मस्जिद के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं में सबसे पहला नाम सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन हैं. ये दोनों ताजमहल, क़ुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला के मामले भी देख रहे हैं. बाकी याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव शामिल हैं. 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट को आधार बनाया है.

इस मामले में NDTV ने सरकार और ASI की ओर से पेश हो रहे वकील विष्णु शर्मा से बात की. वो चंदौसी जिला कोर्ट में बैठते हैं. विष्णु शर्मा बताते हैं, “19 नवंबर को मंदिर के दावे को लेकर एक याचिका दायर हुई. इसमें यूनियन ऑफ इंडिया, संस्कृति मंत्रालय, ASI के महानिदेशक, ASI (मेरठ सर्किल) के इंस्पेक्टर, राज्य सरकार और जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी को पार्टी बनाया गया.”

19 नवंबर को ही हो गया पहला सर्वे
स्थानीय अदालत के आदेश पर बीते मंगलवार को संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था. इसके बाद से संभल में पिछले कुछ दिनों से तनाव था. रविवार को एक टीम दूसरी बार सर्वे करने पहुंची थी. सर्वे टीम जब पहुंची, उस समय नमाज का वक्त नहीं था. मस्जिद के बाहर धीरे-धीरे हजारों की भीड़ इकट्ठा हो गई. पुलिस ने लोगों को समझाया, तो उसका विरोध शुरू हुआ.

“मुस्लिम भाइयों से गुजारिश है…सर्वे का काम पूरा हो चुका है. सर्वे टीम वापस जा रही है. बहुत खूबसूरती के साथ सर्वे हो गया है. आप किसी तरह से परेशान ना हों. आप अपने-अपने घर चले जाइए. मैं आपसे बहुत गुजारिश करता हूं, अल्लाह के वास्ते घर चले जाइए.”

रविवार (24 नवंबर) को संभल की शाही मस्जिद के पास बेकाबू हो चुकी भीड़ से पुलिस की तरफ से लगातार ये अपील की जा रही थी. जिला अदालत के आदेश पर रविवार को दोबारा मस्जिद के अंदर सर्वे का काम चल रहा था. इसी बीच बाहर भारी संख्या में भीड़ उमड़ आई. पुलिस पर पथराव हुआ. आगजनी हुई. हिंसा में 4 लोगों को जान गंवानी पड़ी.

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अब तक 7 FIR दर्ज, 25 गिरफ्तारियां
पुलिस ने हिंसा से जुड़े मामले में अब तक 7 FIR दर्ज की हैं. इनमें 6 नामजद और 2500 से ज्यादा अज्ञात आरोपी हैं. हिंसा के मामले में रविवार से सोमवार शाम तक 25 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. कोर्ट ने सभी आरोपियों को जेल भेज दिया है. वहीं, हिंसा में मारे गए 4 युवकों को पोस्टमार्टम के बाद देर रात ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.

संभल हिंसा मामले में किस-किस पर दर्ज हुई FIR? 
-इस मामले में पहली FIR दरोगा दीपक राठी ने दर्ज कराई है. इसमें सपा सांसद और विधायक के बेटे का नाम है. इस FIR में 800 अज्ञात आरोपी भी हैं. इनपर भीड़ को उकसाने के लिए भड़काऊ बयान देने का आरोप है.
-दूसरी FIR दरोगा शाह फैसल ने कराई है, इसमें कहा कि नखास इलाके में उप्रदवियों ने बाइक में आग लगा दी. गन की मैगजीन छीन ली. इसमें भी कुछ नामजद और बाकी अज्ञात हैं.
-संभल हिंसा के मामले में तीसरी FIR सर्किल ऑफिसर अनूप चौधरी ने दर्ज कराई है. इस FIR में 800 अज्ञात नाम हैं. इन्होंने आरोप लगाया कि उपद्रवियों ने उनके पैर में गोली मारी.
-इस केस में चौथी FIR पुलिसकर्मी जगदीश कुमार ने दर्ज कराई. इन्होंने मैगजीन और टीयर गैस लूटने का आरोप लगाया है.
-पांचवी FIR समाजवादी पार्टी के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ने 150 अज्ञात पर दर्ज कराई.
-छठवीं FIR एसडीएम रमेश बाबू ने 800 अज्ञात के खिलाफ कराई है. इन्होंने हमले का आरोप लगाया है. 
-सातवीं FIR पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सदर विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर हिंसा भड़काने के आरोप में दर्ज की. 

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अभी क्या है स्थिति?
संभल की शाही मस्जिद जिस गली में है, उस गली में सन्नाटा पसरा हुआ है. घरों में ताला लग गया है. सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस ने बताया कि संभल तहसील में इंटरनेट बैन को एक दिन के लिए बढ़ाया जा रहा है. मंगलवार को भी इंटरनेट बंद रहेगा. सोमवार को स्कूल भी बंद रखे गए हैं. इस बीच DM राजेंद्र पैंसिया ने 1 दिसंबर तक संभल जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है. संभल पुलिस ने हिंसा से जुड़े उपद्रवियों के पहली बार फुटेज जारी किए हैं. इलाके में अप्रिय घटना से निपटने के लिए एक्सट्रा फोर्स की तैनाती की गई है. पुलिस लगातार फ्लैग मार्च कर रही है. ड्रोन से ली गई तस्वीरों के जरिये पहचान की जा रही है कि उपद्रव में कौन लोग शामिल थे? इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं उपद्रवी बाहर से तो नहीं बुलाए गए थे.

सर्वे का काम दोबारा शुरू करने की क्या जरूरत थी?
इस सवाल का जवाब एडवोकेट कमिश्नर की एक चिट्ठी में है. एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव की तरफ से एक चिट्ठी जारी की गई थी. इन्हें संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के लिए नियुक्त किया गया था. 23 नवंबर को ये चिट्ठी जारी की गई है. इसमें जिक्र है कि 19 नवंबर को करीब डेढ़ घंटे तक सर्वे किया गया, लेकिन उस दिन रोशनी की कमी के चलते फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी अधूरी रह गई. फिर बाहर नमाज के लिए भीड़ इकट्ठा हो गई. इस वजह से पहले दिन सर्वे का काम अधूरा रह गया.

इसी चिट्ठी में आगे लिखा है कि सर्वे के बाकी काम के लिए 24 नवंबर 2024 को सुबह 7 बजे से करीब 11 बजे तक का समय निर्धारित किया जाता है. ये चिट्ठी जिन लोगों को भेजी गई है, उनमें मस्जिद कमेटी के चेयरमैन भी शामिल थे. यानी रविवार को जब टीम सर्वे के लिए पहुंची, तो वो कोई अलग सर्वे नहीं था, बल्कि जिस सर्वे को अधूरा छोड़ना पड़ा था, उसी सर्वे का अगला हिस्सा था. मस्जिद कमेटी को भी इसकी जानकारी थी.

भीड़ पर किसने चलाई गोली?
संभल हिंसा में जिन 4 लोगों की मौत हुई है, उनके पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि उन्हें देसी बंदूक की गोली लगी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 315 बोर की गोली से इन 4 लोगों की मौत हुई है. कुछ खबरें ये भी चल रही हैं कि गोली नजदीक से मारी गई है, जबकि पुलिस तो दूर खड़ी थी. 

दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उन्हें पहले आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. उसके बाद रबर की गोलियां चलानी पड़ी. ऐसे में क्या माना जाए? क्या संभल में कोई बड़ा षडयंत्र हुआ है? क्या संभल में पत्थरबाजी नहीं हुई, बल्कि करवाई गई है? केंद्र सरकार के एक मंत्री गिरिराज ने ऐसे ही आरोप लगाए हैं.  

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आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी
संभल हिंसा को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर पर चलने लगा है. AIMIM से हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “संभल की जामा मस्दिद 200-250 साल पुरानी है. वहां कोर्ट की तरफ से बगैर मस्जिद पक्ष को सुने सर्वे का ऑर्डर पास करा दिया गया. दूसरे सर्वे के लिए किसी को इत्तेला भी नहीं दी गई. पुलिस का काम था कि मस्जिद कमेटी या पीस कमेटी को पहले कॉन्फिडेंस में लेती. हिंसा में जिनकी जान गई, वो मर्डर है.”

वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “विपक्ष के लोगों ने जानबूझकर सोची समझी साजिश के तहत हिंसा फैलाई. ये हिंसा प्रायोजित थी. हमला सर्वे टीम पर नहीं, बल्कि भारत के संविधन पर किया गया था. ये संभल को बांग्लादेश बनाना जानते हैं. ये तो उन्हीं की गोली से मरे हैं.”

क्या कहती है पुलिस?
इस मामले में संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा, “जियाउर्रहमान बर्क और सदर विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर FIR दर्ज हुई है. उनपर भीड़ को उकसाने का आरोप है.” 

वहीं, मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह के मुताबिक, हिंसा की प्लानिंग रातों रात की गई थी. शुरुआती जांच से पता चला है कि बाहर के लोगों को बुलाया गया था. कुल 700-800 लोग हैं. 

मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह बताते हैं, “पुलिस की अब तक की जांच में सामने आया है कि हिंसा के लिए नए लड़कों को उकसाया गया. वहां छात्रों या किसानों का कोई मुद्दा नहीं था. एक टीम कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वे कर रही थी. हम सुरक्षा दे रहे थे. ऐसे में उपद्रवियों का पुलिस से भिड़ने का कोई कारण भी नहीं था. वहां नई उम्र के लड़के क्यों इकट्ठा हुए. वो लोग अपने चेहरे में कपड़ा बांधकर क्यों आए थे. मामले की गहराई से जांच की जा रही है.”

पुलिस से कहां हुई चूक?
इस मामले में पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं. एक सेंसेटिव मामले को लेकर पुलिस की तैयारी मजबूत क्यों नहीं थी? मस्जिद के सर्वे के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी क्यों नहीं थे? पुलिस को इंटेलिजेंस एजेंसियों से ऐसे साजिश के बारे में पहले से कोई इनपुट क्यों नहीं मिला था?

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अखिलेश यादव ने BJP पर लगाए आरोप
इस बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व CM अखिलेश यादव को संभल में BJP की सियासत दिखती है. उन्होंने संभल को साबरमती से जोड़ दिया. अखिलेश यादव ने कहा, “BJP ने यूपी की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव को जैसे लूटा है, उसे छिपाने के लिए ये सब किया गया है. साबरमती फिल्म देखकर लगा कि बड़ा नेता बनना है. इसलिए इसे किया गया. हम लोग सवाल उठाना चाहते थे. जब मौका मिलेगा ये सवाल उठाए जाएंगे.”

वहीं, यूपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “पूरे प्रदेश में प्रताड़ित करने की राजनीति हो रही है. इसपर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए.”

BJP नेताओं ने दिया जवाब
यूपी के डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ने कहा, “संभल की शाही मस्जिद में एक सर्वे किया जा रहा था. कोर्ट ने इसका आदेश दिया था. रविवार को जो भी हुआ, बहुत दुखद है. इस घटना की जांच होगी और निष्पक्ष कार्रवाई होगी.”

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह कहते हैं, “कोर्ट का आदेश हुआ, कोर्ट कमिश्नर गए. अगर किसी को अदालत के आदेश पर ऐतराज है, तो उसके लिए उचित प्लेटफॉर्म है. किसी को कानून तोड़कर अराजकता फैलाने का अधिकार नहीं है.”

BJP सांसद जगदंबिका पाल कहते हैं, “न्यायालय के आदेश पर सर्वे टीम गई थी. न्यायपालिका के आदेश पर कार्यपालिका काम कर रही है. तो कैसे पथराव हो गया, इसकी जांच होनी चाहिए.”

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