Explainer: हिंसा की आग में फिर से क्यों धधकने लगा मणिपुर? केंद्र और राज्य सरकार को चेतावनी​

 मणिपुर (Manipur) पिछले दो दिनों से फिर से अशांत हो गया है. घाटी में हिंसक प्रदर्शन जारी हैं. भीड़ ने कई मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमले किए. अब इंफाल घाटी क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है क्योंकि नागरिक समाज समूहों ने केंद्र और राज्य सरकार को हथियारबंद समूहों के खिलाफ “निर्णायक कार्रवाई” करने या जनता के गुस्से का सामना करने की चेतावनी दी है.

मणिपुर (Manipur) पिछले दो दिनों से फिर से अशांत हो गया है. घाटी में हिंसक प्रदर्शन जारी हैं. भीड़ ने कई मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमले किए. अब इंफाल घाटी क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है क्योंकि नागरिक समाज समूहों ने केंद्र और राज्य सरकार को हथियारबंद समूहों के खिलाफ “निर्णायक कार्रवाई” करने या जनता के गुस्से का सामना करने की चेतावनी दी है.

मणिपुर में शनिवार को रात में भीड़ ने मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों पर हमला किया, लोग महीनों से जारी हिंसा से नाराज थे.

यह घटना जिरीबाम गोलीबारी के बाद कथित रूप से बंधक बनाए गए छह लोगों के सड़े-गले शव बरामद होने की खबर फैलने के बाद हुई. गोलीबारी में 10 कुकी उग्रवादी मारे गए थे.

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आतंकियों पर सैन्य कार्रवाई की मांग

मैतेई बहुल घाटी के नागरिक समाज समूहों ने अल्टीमेटम दिया है.  कोआर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मनीपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) के प्रवक्ता खुरैजम अथौबा ने कहा, “सभी विधायकों और अन्य नेताओं को एक साथ बैठकर मौजूदा संकट को जल्द से जल्द हल करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए.” उन्होंने आतंकवादियों और हथियारबंद समूहों पर तत्काल सैन्य कार्रवाई करने की मांग की.

उन्होंने कहा, “अगर लोगों को संतुष्ट करने वाली कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की जाती है, तो सरकार को लोगों के असंतोष और गुस्से का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.” 

राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र से छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को फिर से लागू करने की समीक्षा करने और उसे वापस लेने का आग्रह किया है. विपक्ष राज्य और केंद्र को घेरने की कोशिश कर रहा है. 

विपक्ष ने कहा- संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त

विपक्ष के नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, “हमने पहले ही कहा है कि अगर जरूरत पड़ी, अगर हम विधायक इस्तीफा दे देते हैं और इससे संकट हल हो सकता है, तो हम इसके लिए तैयार हैं.” उन्होंने कहा कि इस स्थिति के लिए राज्य और केंद्र जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा, “संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. यह सरकार की जिम्मेदारी है और वह इससे बच नहीं सकती.” 

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केंद्र ने राज्य में सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारियों को भेजा है. इस बीच कुक-जो के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में, उनके आदिवासी संगठन ने राज्य के घाटी जिलों के लिए व्यापक AFSPA (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) कवरेज की मांग की है.

कांगपोकपी जिले के सदर हिल्स की जनजातीय एकता समिति ने एक बयान जारी कर केंद्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह मणिपुर के घाटी जिलों के शेष सभी 13 पुलिस थानों में AFSPA लागू करे, तथा लीमाखोंग सहित पहाड़ी क्षेत्रों से इस अधिनियम को हटा ले.

जिरीबाम संकट को लेकर समुदाय का विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गया है. कांगपोकपी की मानवाधिकार कार्यकर्ता सिल्विया ने कहा, “बस बहुत हो गया. न्याय के लिए हमारी आवाज को अब और दबाया नहीं जा सकता. हम आज न केवल अपने शहीद भाइयों और बहनों के लिए बल्कि अपने लोगों की गरिमा और कानून के शासन के लिए मार्च कर रहे हैं.”

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