Godhara Sabarmati Express burning case: गुजरात दंगा 2002 के दौरान गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी जलाने वाले दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने 8 दोषियों की जमानत मंजूर कर ली है। ये सभी दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे थे। हालांकि, चार दोषियों को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए अर्जी खारिज कर दी है। उम्रकैद की सजा काट रहे सभी दोषी करीब 17-18 साल से जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पादरीवाला की बेंच ने इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की।
सजा-ए-मौत पाने वालों की भी जमानत अर्जियां खारिज
उधर, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसी कांड में ट्रायल कोर्ट द्वारा सजा-ए-मौत पाने वाले 11 दोषियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी थीं। दरअसल, साबरमती एक्सप्रेस की बोगी जलाने के मामले में चल रही सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया था। इसमें 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। जबकि 20 लोगों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। सभी लोगों ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील की थी। लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को कायम रखते हुए सभी 31 दोषियों को दोषी पाया। परंतु मौत की सजा पाए 11 दोषियों की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दी थी।
सात लोगों की जमानत याचिका पेंडिंग
साबरमती एक्सप्रेस की बोगी को फूंकने के केस में कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी माना है। इन दोषियों में शुक्रवार को 8 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। जबकि 15 लोगों की जमानत याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। सात लोगों की जमानत याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। एक दोषी को पिछले साल दिसंबर में ही जमानत मिल गई थी।
सजा-ए-मौत पाए 11 लोगों को आजीवन कारावास पर फिर से विचार का अनुरोध
उधर, गुजरात सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले को फिर से चुनौती दी है जिसमें 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला गया था। गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मांग किया कि जिन दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदली गई, उन्हें दोबारा से मौत की सजा दी जाए। ये कोई ट्रेन पर पत्थर फेंकने जैसा आम मामला नहीं है। ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है। इसमें 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था, जिनमें महिलाएं-बच्चे भी शामिल थे।